वर्ष 2015 में मोदी सरकार ने लोगों की उम्मीदों और भरोसे से जुड़े कई बड़े फैसले लिये। मोदी सरकार ने एक साथ सामाजिक सुरक्षा पर तीन बड़ी योजनाएं शुरू कीं। पहली, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, दूसरी, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और तीसरी, अटल पेंशन योजना। ये योजनाएं एक साथ देश की 115 जगहों पर शुरू की गईं। इसके अलावे भी कई फैसले लिये गए।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत जनता को सिर्फ 12 रुपए का सलाना प्रीमियम देना है जिसमें मृत्यु पर 2 लाख का दुर्घटना कवर दिया जाएगा। दुर्घटना के दौरान विकलांग होने पर 1 लाख का कवर दिया जाएगा। दुर्घटना पर आंखों की रोशनी जाने पर पीड़ित को 2 लाख रुपए मिलेंगे। योजना का फायदा लेने के लिए बैंक में बचत खाता अनिवार्य है। इस योजना के लिए उम्र सीमा 18 से 70 साल तक तय की गई।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना
दुर्घटना बीमा के साथ-साथ सरकार ने देश की गरीब जनता के लिए जीवन बीमा योजना की भी शुरुआत की। यानी प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना। देश के 18 से 50 साल की उम्र के नागरिक इस योजना का फायदा ले सकते हैं। जिसके लिए उन्हें सालाना 330 रुपए का प्रीमियम देना होगा। योजना के तहत मृत्यु के बाद 2 लाख का बीमा कवर तय हुआ है। इस योजना के लिए आपको हर साल नवीनीकरण कराना होगा। लेकिन कोई शख्स एक से ज्यादा बैंक खातों पर इस योजना का लाभ नहीं उठा सकता। इस योजना में देश के वरिष्ठ नागरिकों को शामिल नहीं किया गया।
अटल पेंशन योजना
इस योजना के तहत 60 साल की उम्र के बाद पेंशन का प्रावधान है। 18 से 40 साल की उम्र के नागरिक इस योजना के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके तहत आपको 20 साल या उससे ज्यादा योगदान देना होगा। और रिटायरमेंट के बाद आप न्यूनतम 1000, 2000, 3000, 4000 या 5000 रुपये के बीच पेंशन का लाभ उठा सकेंगे। यही नहीं इस स्कीम में मृत्यु के बाद पेंशन की रकम आश्रित के खाते में भी जाएगी।
किसानों को डेढ़ गुना ज्यादा मुआवजा
आंकड़े कहते हैं कि देश में हर साल करीब 12000 किसान आत्महत्या कर लेते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक पिछले तीन साल में 3313 किसानों ने आत्महत्या की थी। इस साल तो ये आंकड़ा और भी दर्दनाक था। बेमौसम बरसात और मौसम की मार ने देश में गेंहू की करीब 40 फीसदी फसलों को बर्बाद कर दिया और ऐसे मुश्किल वक्त में मोदी सरकार का एक बड़ा फैसला कर्ज में डूबे किसानों के लिए नई संजीवनी लेकर आया। और वो फैसला था किसानों को डेढ़ गुना ज्यादा मुआवजे का। इस साल करीब गेहूं की 40 फीसदी फसल को नुकसान हुआ। जिसका न्यूनतम मूल्य तकरीबन 65000 करोड़ के आसपास था। पिछले साल तक किसानों को 50 फीसदी फसल की बर्बादी पर ही मुआवजा दिया जाता था। लेकिन मोदी सरकार ने इस आंकड़े को घटाकर 33 फीसदी तक कर दिया। सिर्फ यही नहीं सरकार ने मुआवजे की रकम को भी डेढ गुना बढ़ा दिया। यानी फैसले के बाद बिना सिंचाई वाली फसलों के लिए मुआवजा 4500 रुपए प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 6765 रुपए किया गया। जबकि सिंचाई वाली फसलों के लिए 9000 से बढ़कर 13500 रुपए कर दिया गया। इतना ही नहीं सरकार ने किसानों के लिए मुआवजा की प्रक्रिया को भी आसान बनाया, ताकि कर्ज की मार से परेशान किसानों को सरकार दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें।
स्वर्ण मौद्रीकरण योजना
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 5 नवंबर 2015 को तीन स्वर्ण संबंधी योजनाओं की शुरुआत की। ये योजनाएं हैं:– स्वर्ण मौद्रीकरण योजना, सार्वभौम गोल्ड बांड योजना और भारतीय स्वर्ण सिक्का। स्वर्ण मौद्रीकरण योजना बैंक में सोना अल्पावधि (1-3 वर्ष), मध्यमावधि (5-7 वर्ष) और दीर्घावधि (12-15 साल) के लिए रखने का अवसर प्रदान करती है। डिपाजिट रखे गए सोने पर ब्याज प्राप्त होगा, और वह पूंजी लाभ सहित कई अन्य करों से मुक्त होगा। सावरेन स्वर्ण बॉंन्ड योजना के तहत निवेशक रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा जारी किए गए बांड पत्र खरीद सकेंगे। 24 कैरेट का सोने का सिक्का निकालने की भी योजना है। देश में इस तरह की यह पहली योजना है। प्रधानमंत्री ने कहा, कोई कारण नहीं है कि भारत को गरीब देश कहा जाए, उसके पास 20,000 टन सोना है।
डिजिटल इंडिया
पीएम नरेंद्र मोदी ने एक जुलाई 2015 को अपने सबसे महत्वाकांक्षी योजना 'डिजिटल इंडिया' को लॉन्च किया। इसके साथ पीएम ने ई-लॉकर सर्विस को भी लॉन्च किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया कैंपेन से अब ई-गवर्नेंस नहीं बल्कि एम-गवर्नेंस यानी मोबाइल गवर्नेंस का रास्ता आसान होगा। इस मौके पर उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया कैंपेन में कॉरपोरेट सेक्टर 4.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेगा। वहीं, इससे 18 लाख लोगों को नौकरियां मिलेंगी। मोदी सरकार इस स्कीम के जरिए सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ना चाहती है। इसके अलावा, ई-गर्वनेंस को बढ़ावा देना और पूरे भारत को इंटरनेट से कनेक्ट करना इस मुहिम का मुख्य लक्ष्य है। उद्योगपति मुकेश अंबानी ने 250 हजार करोड़ के निवेश का एलान किया।
स्मार्ट सिटी योजना
देश के हर परिवार को अपना घर और बेहतरीन जीवनशैली मुहैया करवाने के इरादे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी समेत तीन बड़ी योजनाओं को लॉन्च किया। मोदी ने पुनरोद्धार एवं शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन और सभी के लिए आवास मिशन की शुरूआत की। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत देशभर में 100 स्मार्ट शहर बसाने की योजना है। वहीं एएमआरयूटी योजना के तहत देश के 500 शहरों का कायाकल्प किया जाएगा। ये शहर हाइटेक सुविधाओं से लैस होंगे। आवास योजना के तहत 2022 तक देश के तमाम परिवारों को घर मुहैया करवाया जाएगा। स्मार्ट सिटी परियोजना में सबसे ज्यादा फायदा उत्तर प्रदेश को है। इस योजना के तहत यूपी में सबसे ज्यादा 13 स्मार्ट सिटी विकसित किये जाएंगे। इसके बाद तमिलनाडु में 12 और महाराष्ट्र में 10 स्मार्ट सिटी बनाए जाएंगे। 100 स्मार्ट सिटी पांच साल के भीतर विकसित किये जाएंगे और सभी के लिए आवास योजना के तहत अगले 7 साल में दो करोड़ मकानों का शहरी क्षेत्रों में निर्माण कराना है।
प्रधानमंत्री मुद्रा बैंक योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अप्रैल 2015 को देश में छोटे कारोबारियों के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा बैंक योजना की शुरुआत की। मुद्रा बैंक फिलहाल एनबीएफसी के तौर पर काम करेगा। मुद्रा बैंक यानी माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट फंड रिफाइनेंस एजेंसी है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में 10 लाख रुपये तक के सस्ते लोन दिए जाएंगे। शुरुआती दौर में मुद्रा बैंक सिडपी की यूनिट के तौर पर काम करेगी। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 3 तरह के लोन मिलेंगे। इनके नाम होंगे शिशु, किशोर और तरुण। शिशु योजना के तहत 50 हजार रुपये तक के लोन दिए जाएंगे। किशोर योजना के तहत 50 हजार रुपये से 5 लाख रुपये तक के लोन दिए जाएंगे। तरुण योजना के तहत 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक के लोन दिए जाएंगे। मुद्रा बैंक से देश के करीब 5 करोड़ 77 लाख छोटे कारोबारियों को फायदा मिलेगा। छोटी विनिर्माण ईकाई और दुकानदारों को इससे लोन मिलेगा। इसके साथ ही सब्जी वालों, सैलून, खोमचे वालों को भी इस योजना के तहत लोन मिल सकेगा। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में हर सेक्टर के हिसाब से स्कीम बनाई जाएगी। इन पर ब्याज की दरें रिजर्व बैंक के निर्देश के आधार पर तय होंगी।
एफडीआई नियमों में सुधार
मोदी सरकार ने 10 नवंबर 2015 को एफडीआई नियमों को आसान करने का फैसला लिया, जिसमें एफडीआई प्रस्ताव की लिमिट को 3,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5,000 करोड़ रुपये कर दिया गया। अब 5,000 करोड़ रुपये तक के एफडीआई प्रस्तावों को एफआईपीबी की मंजूरी लेना जरूरी नहीं होगा। साथ ही जहां एफडीआई पहले से 100 फीसदी तक है वहां नियमों को और आसान किया जाएगा। मंजूरी की प्रक्रिया तेज की जाएगी और कुछ सेक्टरों में ऑटोमेटिक अप्रूवल का दायरा बढ़ाया जाएगा। सभी एफडीआई नियमों की एक किताब बनेगी। सरकार ने डिफेंस, ब्रॉडकास्टिंग, प्राइवेट बैंकिंग, एग्रीकल्चर, प्लांटेशन, माइनिंग, सिविल एविएशन, कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट, सिंगल ब्रांड रिटेल, कैश एंड कैरी होलसेल और मैन्युफैक्चरिंग समेत 15 सेक्टरों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ा दी है।
सरकार ने ड्यूटी फ्री शॉपिंग पर एफडीआई के नियमों में भी ढील दी है। सरकार ने कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 5 साल के भीतर एफडीआई लाने की शर्त हटा ली गई है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 5 साल के बाद भी एफडीआई लाना मुमकिन होगा। एनआरआई निवेश में भी एफडीआई नियम आसान कर दिए गए हैं। डिफेंस सेक्टर में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 49 फीसदी के एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है। ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर के तहत गैर-खबरिया चैनल में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 100 फीसदी एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है। वहीं ब्रॉडकास्ट सेक्टर में एफआईपीबी के जरिए 49 फीसदी एफडीआई निवेशक की छूट का ऐलान किया गया है।
एफएम रेडियो और न्यूज चैनल में 49 फीसदी एफडीआई पर एफआईपीबी की मंजूरी जरूरी होगी। डीटीएच और केबल नेटवर्क में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है। रबर और कॉफी सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है। एयरलाइंस ग्राउंड हैंडलिंग में 100 फीसदी एफआईडी को मंजूरी दी गई है। रीजनल एयरलाइंस में 49 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है। एनआरआई निवेश में भी एफडीआई नियम आसान किए गये हैं।