साल 2015 में वो मशहूर हस्तियां, - Study Search Point

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साल 2015 में वो मशहूर हस्तियां,

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मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का 27 जुलाई 2015 को 83 साल की उम्र में शिलॉन्ग में निधन हो गया। कलाम एक कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे। इसी दौरान वह अचेत होकर गिर गए और उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी मृत्यु हो गई। तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे अब्दुल कलाम भारत के जाने-माने मिसाइल वैज्ञानिक थे और वे 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे।
'मिसाइल मैन' के नाम से मशहूर अब्दुल कलाम ने सोमवार 27 जुलाई की सुबह 11.30 बजे आख़िरी ट्वीट किया था, 'शिलॉन्ग जा रहा हूं। लिवेबल प्लेनेट अर्थ पर आईआईएम में एक कार्यक्रम में भाग लेने।' उनका भारत की मिसाइल टेकनोलॉजी में अहम योगदान था और वे पोलर सैटेलाइट लॉंच व्हीकल के जनक माने जाते हैं। एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ज्वॉइन किया। उन्हें 1997 में भारत रत्न से नवाजा गया। माना जाता है कि भारत के मिसाइल कार्यक्रम के पीछे मद्रास इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलोजी से एयरोनोटिक्स इंजीनियरिंग करने वाले कलाम की ही सोच थी और वाजपेयी के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार पूर्व राष्ट्रपति ने 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण में निर्णायक भूमिका निभाई। बतौर राष्ट्रपति कलाम ने छात्रों से संवाद के हर मौके का इस्तेमाल किया और खासतौर से स्कूली बच्चों को उन्होंने बड़े सपने देखने को कहा ताकि वे जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल कर सकें। पूर्व राष्ट्रपति ने विवाह नहीं किया था। वह वीणा बजाते थे और कर्नाटक संगीत में उनकी खास रुचि थी। वह जीवन पर्यंत शाकाहारी रहे।

विहिप नेता अशोक सिंघल
विश्व हिन्दू परिषद के वरिष्ठ नेता और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण आंदोलन के जनक अशोक सिंघल का 17 नवंबर 2015 मंगलवार को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। वह 89 वर्ष के थे। विहिप के मुख्य संरक्षक अशोक‍ सिंघल का जन्म 15 सितंबर 1926 में आगरा में हुआ था। उनके पिता सरकारी अधिकारी थे। अशोक सिंघल ने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से 1950 में मैटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री हासिल की थी। इं‍जीनियरिंग की डिग्री के बाद वे 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक में शामिल हो गए। उन्होंने 1980 में दिल्ली और हरियाणा में प्रांत प्रचारक के रूप में भूमिका निभाई। इसके बाद 1984 में उन्हें विश्व हिन्दू परिषद में प्रतिनियुक्त किया गया। वे 20 साल से विश्व हिन्दू परिषद के प्रमुख थे। लंबे समय तक विश्व हिन्दू परिषद के जनरल सेक्रेटरी रहे। दलितों के साथ तिरस्कार की भावना और उसके चलते हो रहे धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए भी अशोक सिंघल ने अहम भूमिका निभाई। अशोक सिंघल की पहल से ही दलितों के लिए अलग से 200 मंदिर बनाए गए और उन्हें हिन्दू होने की अहमियत समझाई। हिंदुओं को एक जुट करने में अशोक सिंघल ने एक बड़ी भूमिका निभाई थी। अशोक सिंघल ने साल 1984 में धर्म संसद का आयोजन कर हिंदुओं को एकजुट किया। इसी धर्म संसद में साधु संतों की बैठक के बाद राम जन्मभूमि आंदोलन की नींव पड़ी थी। इस आंदोलन से भी अशोक सिंघल काफी लंबे समय से जुड़े रहे। बाबरी ढांचा गिराने के मामले में भी अशोक सिंघल आरोपी थे। अशोक सिंघल हिन्दुस्तानी संगीत में गायक भी थे।

रसिपुरम कृष्णस्वाणी अय्यर लक्ष्मण
आम आदमी को पहचान देने वाले और कॉमनमैन को नायक बनाने वाले भारत के सबसे मशहूर कार्टूनिस्ट रसिपुरम कृष्णस्वामी अय्यर लक्ष्मण (आर.के. लक्ष्मण) का 94 साल की उम्र में 26 जनवरी 2015 को पुणे में निधन हो गया। लक्ष्मण का जन्म 24 अक्तूबर 1921 में मैसूर में हुआ। बचपन से ही उन्हें कार्टून और चित्रकारी का शौक था। घर की दीवारों से लेकर ज़मीन यहां तक कि पीपल के पत्ते कुछ भी लक्ष्मण के कलम और चॉक से अछूते नहीं रहे। लक्ष्मण की ज़िंदादिल शख्शियत का एक और पहलू था कि वह बचपन में अपने मोहल्ले में शरारतों के लिए मशहूर थे और उनके कारनामों से प्रेरित होकर उनके भाई मशहूर लेखक आर.के. नारायण ने कई कहानियां लिखीं जो बहुत लोकप्रिय हुईं।लक्ष्मण ने मैसूर यूनीवर्सिटी से आर्ट की डिग्री ली और फिर हुई उस सफर की शुरुआत जिसने भारत को उसका सबसे लोकप्रिय कार्टूनिस्ट दिया। चेक शर्ट पहने आर.के. लक्ष्मण का ये आम आदमी रोजमर्रा के जीवन, आम आदमियों की परेशानियां और नेताओं पर कटाक्ष कसने का कोई मौका नहीं छोड़ता और धीरे-धीरे ये कार्टून भारत के आम आदमी की आवाज के रूप में देखा जाने लगा। लक्ष्मण को उनकी कला के लिये पद्म-विभूषण और रेमन मैग्सेसे अवार्ड से भी नवाजा गया।

पत्रकार विनोद मेहता
वरिष्ठ पत्रकार और आउटलुक के संस्थापक संपादक विनोद मेहता का 8 मार्च 2015 को नई दिल्ली में निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे और नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती थे। मेहता का जन्म 31 मई 1942 में रावलपिंडी में हुआ था। उनका बचपन लखनऊ में बीता। बीए पास करने के बाद उन्होंने कई तरह के कामों में अपने हाथ आज़माए। उन्होंने 'डेबोनेयर' पत्रिका से अपने पत्रकारिता के करियर की शुरूआत की। इसके बाद उन्होंने द पायनियर, संडे ऑब्ज़र्वर और आउटलुक का संपादन किया। पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें प्रतिष्ठित जीके रेड्डी मेमोरियल पुरस्कार और यश भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

सिस्टर निर्मला जोशी
मदर टेरेसा के बाद मिशनरीज ऑफ चैरिटी की प्रमुख पद की जिम्मेदारी संभालने वाली सिस्टर निर्मला जोशी का 23 जून 2015 की सुबह निधन हो गया। वह 81 साल की थीं। मदर टेरेसा के निधन से छह महीने पहले 13 मार्च, 1997 को सिस्टर निर्मला को मिशनरीज ऑफ चैरिटी का सुपीरियर जनरल चुना गया था। सिस्टर निर्मला का जन्म 1934 में एक नेपाली मूल के हिंदू-ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना में अफसर थे। पटना में ईसाई मिशनारियों द्वारा उनको शिक्षा दी गई। पर वे 24 साल की उम्र तक वह हिन्दू बनी रहीं। जब उन्होंने मदर टेरेसा के काम के बारे में जाना तो रोमन कैथलिक धर्म अपना लिया। सिस्टर निर्मला को राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल था तथा उन्होंने वकालत में खास प्रक्षिक्षण भी ली थी। वे उस मंडली के कुछ पहले सिस्टरों में से थी जिनको विदेश में मिशन के लिए पनामा भेजा गया था। 1976 में उन्होंने मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी के मननशील शाखा की शुरुआत की तथा उसके प्रधान बने रहे। सन 2009 में भारत सरकार द्वारा सिस्टर निर्मला को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 25 मार्च 2009 को वे अपने पद से सेवानिवृत्त हुई और जर्मन महिला सिस्टर मैरी प्रेमा ने उनका पद सम्भाला।

शाह अब्दुल्ला बिन अब्दुलअजीज
सऊदी अरब के सुल्तान शाह अब्दुल्ला का 23 जनवरी 2015 को 90 साल की उम्र में निधन हो गया है। सुल्तान अब्दुल्ला साल 2005 में अपने सौतेले भाई शाह फहद की मौत के बाद सत्ता में आए थे। सुल्तान अब्दुल्ला को देश में सुधार कार्यक्रमों को बढ़ावा देने और चुनावों में महिलाओं को वोट का अधिकार दिलाने के लिए जाना जाता है। शाह ने अपने शासनकाल में वाशिंगटन के साथ ऐतिहासिक तौर पर करीबी संबंध बनाए रखा, लेकिन उन्होंने इन संबंधों को सऊदी अरब की शर्तों पर स्थापित करने की कोशिश की जिसके चलते संबंधों में टकराव हुआ। इसाइल-फिलस्तीन के विवाद पर वाशिंगटन द्वारा अपनी मध्यस्थता में कोई हल न निकाल पाने के कारण वह लगातार निराश रहे। शाही अदालत के बयान के अनुसार, उनके 79 वर्षीय छोटे भाई शहजादे सलमान को उनका उत्तराधिकारी घोषित किया गया। अब्दुल्ला का जन्म वर्ष 1924 में रियाद में हुआ था। वह सउदी अरब के संस्थापक शाह अब्दुल-अजीज अल सऊद के एक दर्जन पुत्रों में से एक थे। अब्दुल अजीज के सभी बेटों की तरह अब्दुल्ला को भी प्रारंभिक शिक्षा ही मिली थी। अच्छी कदकाठी वाले शाह अब्दुल्ला को राज्य के रेगिस्तानी इलाके नेज्ड में रहना ज्यादा पसंद था। वहां वह घुड़सवारी और बाजों का शिकार करते थे। उनकी सख्त परवरिश की झलक उस समय मिली थी, जब उन्हें युवावस्था में तीन दिन जेल में बिताने पड़े थे। यह सजा उन्हें उनके पिता ने दी थी क्योंकि वह एक आगंतुक को बैठने के लिए जगह देने की खातिर अपने स्थान से नहीं उठे थे। यह बडूइन (अरब में एक जातीय समूह) मेहमाननवाजी का उल्लंघन था।

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