प्रमुख दर्रे और घाटियाँ - Study Search Point

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प्रमुख दर्रे और घाटियाँ

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लिपुलेख दर्रा
लिपुलेख ला या लिपुलेख दर्रा हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो नेपालके दारचुला जिल्ले को तिब्बत के तकलाकोट (पुरंग) शहर से जोड़ता है। यह प्राचीनकाल से व्यापारियों और तीर्थयात्रियों द्वारा भारत ,नेपालऔर तिब्बत के बीच आने-जाने के लिये प्रयोग किया जा रहा है। 

यह दर्रा भारत से कैलाश पर्वत व मानसरोवर जाने वाले यात्रियों द्वारा विशेष रूप से इस्तेमाल होता है।  पिथौरागढ़ में स्थित यह दर्रा उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है। 5,334 मीटर (17,500 फीट) की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा तिब्बत में पुरंग को उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र से जोड़ता है। यह भारत के चीन से होने वाले व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लिपुलेख दर्रा व्यास और तिब्बत क्षेत्र के चौदंस घाटी को जोड़ता है। वर्षा काल में होने वाले भूस्खलन तथा शीतकाल में होने वाले हिमस्खलन, इस दर्रे की परिवहन व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी समस्याएं हैं। उत्तराखंड से लगी चीन सीमा पर लिपुलेख दर्रे से 1991 से भारत-चीन व्यापार शुरू किया गया था। गौरतलब है कि भारत-चीन के बीच अपनी तरह का यह एकमात्र जमीनी व्यापार है। हालांकि दो साल पहले नाथुला दर्रे को भी ट्रेड के लिए खोल दिया गया था। 

सेला दर्रा
सेला दर्रा अरुणाचल प्रदेश राज्य के तवांग ज़िले में स्थित है। यह दर्रा तवांग से 78 कि.मी. और गुवाहाटी से 340 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह समुद्री स्‍तर से 4170 मीटर (13,800 फुट) की ऊँचाई पर है। सेला दर्रा कई पहाड़ियों के ऊपरी हिस्से में बना दर्रा है। दर्रा तवांग, तेजपुर और गुवाहाटी को सड़क मार्ग द्वारा जोड़ता है। तवांग शहर तक पहुँचने का यह दर्रा मुख्य मार्ग है। इस दर्रे में शीत ऋतु के दौरान भारी बर्फबारी होती है, लेकिन यह वर्ष भर खुला रहता है। सेला दर्रा तवांग और बौद्ध धर्म के प्रसिद्ध 'तवांग मठ' का प्रवेश द्वार है।

देब्सा दर्रा
देब्सा दर्रा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और स्पीति ज़िलों के मध्य महान हिमालय में स्थित है। यह दर्रा समुद्र तल से 5360 मीटर (17,590 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। देब्सा दर्रा कुल्लू और स्पीति को जोड़ने वाले पिन-परवती दर्रे की तुलना में एक आसान और कम दूरी का विकल्प है। सुंदर स्पीति घाटी हिमालय के पहाड़ों में हिमाचल प्रदेश के उत्तर-पूर्वी भाग में तिब्बत और भारत के बीच एक रेगिस्तानी पहाड़ भूमि है। यह दर्रा कुल्लू में पार्वती नदी की घाटी से होकर गुजरता है।

कोहाट दर्रा
कोहाट दर्रा (Kohat Pass) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा राज्य में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है जो पेशावर को कोहाट ज़िले की राजधानी कोहाट से जोड़ता है। जून 2003 में यहाँ वाहन यातायात बढ़ाने के लिये कोहाट सुरंग बनाई गई। कोहाट दर्रा पेशावर को कोहाट ज़िले की राजधानी से जोड़ता है। कोहाट नामक गाँव अफ़ग़ानिस्तान से सटी हुई भारतीय सीमा पर स्थित है। इतिहास प्रसिद्ध खैबर दर्रे के परिसर में यह गांव है। अंग्रेज़ी शासन काल में इस भाग को "नार्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्राव्हिन्स' कहा जाता था। कोहाट छावनी से 60 मील की दूरी पर ही 'थल' नामक आउट पोस्ट थी, जहाँ कैप्टन आनंद जाधव की ग्रेनेडियर बटालियन तैनात थी।

शिपकी ला दर्रा
शिपकी ला या शिपकी दर्रा हिमालय का एक प्रमुख दर्रा हैं। यह भारत के हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िले को तिब्बत के न्गारी विभाग के ज़ान्दा ज़िले से जोड़ता है। सतलुज नदी इस दर्रे के पास ही एक तंग घाटी से गुज़रकर तिब्बत से भारत में दाख़िल होती है।

शिपकी ला दर्रा हिमाचल प्रदेश में किन्नौर ज़िले में स्थित है। इस दर्रे से होकर शिमला से तिब्बत का मार्ग उपलब्ध होता है। चीन और भारत के बीच व्यापार अधिकतर इसी दर्रे से होता है। सतलुज नदी भारत में इसी दर्रे से होकर प्रवेश करती है। समुद्र तल से लगभग 4300 मीटर से भी अधिक ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा, सतलुज महाखड्ड से होकर हिमाचल प्रदेश को तिब्बत से सम्बद्ध करता है। भारत के चीन से होने वाले व्यापर के लिए यह 'नाथु ला' और 'लिपुलेख' के बाद तीसरा दर्रा (राजमार्ग 22) है।

तुजु दर्रा 
तुजु दर्रा मणिपुर के दक्षिण-पूर्व में म्यांमार की सीमा पर स्थित है। इस दर्रे से होकर म्यांमार के लिए मार्ग जाता है।

दिहांग दर्रा
दिहांग दर्रा अरुणाचल प्रदेश में स्थित है। यह समुद्र तल से लगभग 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। दिहांग दर्रा अरुणाचल प्रदेश को मंडाले (म्यांमार) से जोड़ता है।

बारा लाचा दर्रा
बारा लाचा दर्रा जम्मू कश्मीर में समुद्र तल से 4890 मीटर (16,040 फुट) की ऊँचाई पर स्थित है। यह दर्रा मनाली को लेह से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। शीत ऋतु में नवंबर से मई के मध्य तक यह दर्रा बर्फ से ढके होने के कारण आवागमन के लिये बंद रहता है। चंद्रभागा या चिनाब नदी की सहायक 'भागा नदी', यहाँ मनाली के पास स्थित सुटी तल से निकलती है। बारा लाचा दर्रा जास्कर श्रेणी का सबसे ऊँचा दर्रा है।

चांग ला दर्रा 
चांग ला दर्रा हिमालय का दर्रा है, जो लद्दाख को तिब्बत से जोड़ता है। यह समुद्र तल से 5360 मीटर (17,590 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। यह दर्रा लेह से पांगोंग झील को जाने वाले रस्ते में पड़ता है, जो तिब्बत के एक छोटे से शहर तांगत्से से जोडता है। इसका नाम इस दर्रे में स्थित 'चांग-ला' बाबा के मंदिर के नाम पर किया गया है। बर्फ से ढक जाने के कारण शीत ऋतु में यह दर्रा बंद रहता है। चांग ला दुनिया का तीसरा सबसे ऊँचा परिवहन योग्य दर्रा है, जो सिन्धु घाटी को पांगोंग झील के क्षेत्र से जोड़ता है। चांगथंग पठार अपनी उच्च ऊँचाई, विशाल झीलों और महान हिमालय के विशाल ऊँचे मैदानों के लिए जाना जाता है।

इमिस ला दर्रा 
इमिस ला दर्रा समुद्र तल से 5271 मीटर (17293 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। यह दर्रा लद्दाख को तिब्बत से जोड़ने का आसान रास्ता उपलब्ध कराता है। दुरूह भू-भाग और खड़ी ढाल वाला यह दर्रा शीत ऋतु में बर्फ से ढक जाता है, इसीलिए इन दिनों में यह बंद रहता है।

ग्रेट सेंट बर्नार्ड दर्रा 
ग्रेट सेंट बर्नार्ड स्विस आल्प्स का एक दर्रा, जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 8,111 फुट है। इसके पूर्व में माउंट वेलन तथा पश्चिम में प्वाइंट डि ड्रोनाज नामक पर्वत श्रेणियाँ हैं। इस दर्रे का पता रोम वालों को 57 ई. पू. में ही लग गया था। यहाँ एक सैनिक राजमार्ग की स्थापना 76 ई. में हो गई थी, जिसके अवशेष अब भी मिलते हैं। ग्रेट सेंट बर्नार्ड दर्रे के सिरे पर रोम राज्यकाल का बना हुआ जूपिटर पोनिनस का एक देवालय है, जो 1890-1893 ई. की खोदाई में प्राप्त हुआ था। इसकी चोटी पर सन 962 ई. में मेंथान के सेंट बर्नार्ड ने एक विश्राम गृह बनवाया था, जिसमें आजकल प्राचीन वस्तुओं का एक अति सुंदर संग्रहालय है।

दिफू अथवा डिफू दर्रा
दिफू अथवा डिफू दर्रा अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है। यह दर्रा 4587 मीटर (15049 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। अरुणाचल प्रदेश में स्थित यह दर्रा इस राज्य को मंडाले (म्यांमार) तक का आसान और सबसे छोटा रास्ता उपलब्ध कराता है। यह भारत और म्यांमार के बीच एक परंपरागत दर्रा है, जो व्यापार और परिवहन के लिए वर्ष भर खुला रहता है। डिफू दर्रा भारत, चीन और बर्मा की सीमाओं के पास है। पूर्वी असम के लिए इसका एक रणनीतिक महत्त्व भी है।

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