शांति समझौते के बाद ताशकंद में प्रधानमंत्री शास्त्री की मौत की जांच की मांग - Study Search Point

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शांति समझौते के बाद ताशकंद में प्रधानमंत्री शास्त्री की मौत की जांच की मांग

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दिवंगत प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री ने दावा किया है कि ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उनके पिता की हत्या कर दी गई थी। उन्होंने शनिवार को मांग की कि घटना की गहन जांच कराई जाए और घटना से संबंधित सभी फाइलें सार्वजनिक की जाएं। कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री ने सीएनएन-आईबीएन के साथ एक साक्षात्कार में कहा, "मैं भारतीय प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि दस्तावेज जारी करें। उनकी मौत की जांच कराने का विचार भी बुरा नहीं है। सभी जिंदा बचे गवाहों से पूछताछ की जाए और सभी कयासों को स्पष्ट किया जाए।" शास्त्री और पाकिस्तान के तत्कालीन फील्ड मार्शल अयूब खान को तत्कालीन सोवियत के प्रधानमंत्री अलेक्सी कोसिजिन ने 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद शांति वार्ता के लिए ताशकंद आमंत्रित किया था। 10 जनवरी, 1966 को एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था, लेकिन उसके कुछ घंटे बाद शास्त्री को मृत पाया गया था। उन्हें हृदयाघात हुआ था। लाल बहादुर शास्त्री के परिवार ने संकेत किया है कि उनके शरीर पर देखे गए नीले और सफेद निशान किसी गड़बड़ी के संकेत थे।
घटना को याद करते हुए अनिल ने कहा, "जब उनका शव पालम हवाईअड्डे पर आया, हमने पाया कि उनका शव नीला पड़ गया था और उनके शरीर पर सफेद धब्बे थे।
उन्होंने कहा, "जिस समय मेरी मां (शास्त्री की पत्नी ललिता देवी) ने शव देखा तो उन्हें पता चला कि यह कोई प्राकृतिक मौत नहीं थी। उन्होंने हमसे कहा कि यह हत्या है, इसमें बड़ी गड़बड़ी है।" अनिल शास्त्री ने इसे अविश्वसनीय कहा कि तत्कालीन सोवियत उज्बेकिस्तान की राजधानी में प्रधानमंत्री के कमरे में न कोई काल बेल थी, न टेलीफोन, न कोई केयरटेकर और न प्राथमिक उपचार की व्यवस्था थी। उन्हें खुद चलकर दरवाजे तक जाना पड़ा था।  उन्होंने आरोप लगाया कि मौत भारतीय दूतावास की गलती के कारण हुई थी और उन्होंने इसे लापरवाही की हद बताया। शास्त्री ने कहा, "भारत सरकार ने उनके निधन को गंभीरता से नहीं लिया। इससे मुझे बहुत पीड़ा होती है।

इस विचार के बारे में कि शास्त्री को गंभीरता से नहीं लिया गया, अनिल ने कहा, "जब भारत सरकार या भारतीय चिकित्सकों की ओर से कोई अनुरोध किया गया होता तब ताशकंद में पोस्टमार्टम किया गया होता।" उन्होंने कहा, "कुछ करीबी सहयोगी महसूस करते हैं कि इसमें किसी भारतीय हाथ या किसी विदेशी ताकत की साजिश लगता है।" अनिल शास्त्री ने कहा कि उनके पिता को एक घोटाले की जानकारी थी, जिसमें पोत परिवहन कारोबार से जुड़ी हस्ती धरम तेजा शामिल था। प्रख्यात पत्रकार खुशवंत सिंह के एक लेख का जिक्र करते हुए शास्त्री ने कहा कि जिस समय उनके पिता की मौत हुई थी, तेजा उस सयम ताशकंद में मौजूद था। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री भारत लौटने के बाद तेजा के खिलाफ कार्रवाई करने वाले थे और जांच का आदेश जारी करने वाले थे। पिता की मौत में एक विदेशी शक्ति का हाथ होने का संदेह जताते हुए अनिल ने कहा, "लाल बहादुर शास्त्री को उस समय अचानक ढेर सारी शक्ति मिल गई थी, जब उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ पूरी ताकत से जवाबी कार्रवाई की थी। यह अमेरिका, चीन या कोई तीसरा देश था.. मैं किसी देश का नाम नहीं ले सकता, लेकिन सच यह है कि लाल बहादुर शास्त्री क्षेत्र में बहुत ताकतवर बनते जा रहे थे।"
उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ रहे उनके निजी चिकित्सक डॉ. आर.एन. चुग के अचानक निधन पर भी संदेह जताया। चुग की एक दुर्घटना में अपने परिवार के साथ मौत हो गई थी। अनिल शास्त्री ने यह भी कहा कि उनके पिता के निजी सहायक के साथ भी दुर्घटना घटी और वह अपनी यादाश्त खो बैठा था।
उन्होंने अपने पिता की लापता हुई निजी लाल डायरी को लेकर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, "वह उसमें दैनिक गतिविधियां लिखते थे और उसमें ताशकंद समझौते के बारे में और उनके ऊपर जो दबाव पड़ा होगा उसके बारे में भी लिखे होंगे।

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