इजरायली ड्रोन को भारत में भी उत्पादन की तैयारी - Study Search Point

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इजरायली ड्रोन को भारत में भी उत्पादन की तैयारी

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चीन और पाकिस्तान की सैन्य तैयारियों को देखते हुए भारत ने इजरायल से हथियारों से लैस किए जा सकने वाले ड्रोन खरीदने की कवायद तेज कर दी है। सैन्य सूत्रों के मुताबिक, इजरायल से करीब 2600 करोड़ रुपये में दस हेरॉन ड्रोन की खरीद पर जल्द हस्ताक्षर की उम्मीद है। सैन्य सूत्रों का कहना है कि ऐसे ड्रोन की मदद से सेना विदेशी जमीन पर कम जोखिम के साथ हमला करने की क्षमता से लैस होगी। भारत ने कश्मीर के दुर्गम इलाकों में और चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निगरानी में सक्षम इजरायली ड्रोन पहले ही तैनात कर रखे हैं, लेकिन वे हथियारों से लैस नहीं हैं। हाल ही में पाकिस्तान ने स्वदेशी ड्रोन से कबायली इलाकों में आतंकवादियों पर हमला कर ऐसी तकनीक होने का संकेत दिया था। चीन ने भी ऐसे सैन्य ड्रोन की एक टुकड़ी तैयार कर ली है।

सूत्रों के अनुसार सेना ने जनवरी में सरकार को इनकी आपूर्ति में तेजी लाने के लिए पत्र लिखा था। सितंबर में सरकार ने वायुसेना के आग्रह को स्वीकार करते हुए इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) से दस हेरॉन टीपी ड्रोन खरीदने के अनुरोध को मंजूरी दे दी थी। इन ड्रोन को जमीन पर मौजूद लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए हथियारों से लैस किया जा सकता है। रक्षा विश्लेषक गुरमीत कंवल ने कहा कि 2016 के अंत तक हेरोन ड्रोन मिलने के बाद वायुसेना दुश्मन की सीमा के काफी अंदर तक हमला करने की ताकत से लैस हो जाएगी। दक्षिण एशिया के रक्षा विशेषज्ञ माइकल कुगेलमैन ने कहा कि पाकिस्तान को आशंका है कि भारत सैन्य ड्रोन का इस्तेमाल आतंकी ठिकानों पर हमला करने के लिए कर सकता है।
भारत में भी उत्पादन की तैयारी
मेक इन इंडिया के तहत हेरॉन ड्रोन को भारत में बनाने पर भी दोनों पक्षों में बातचीत चल रही है। आईएआई इजरायल की ऐसे ड्रोन तकनीक से लैस कई कंपनियों में से एक है। हालांकि इजरायल ऐसी हथियारों की बिक्री दूसरे देश की सरकारों से गोपनीयता के समझौते के तहत ही करता है। डीआरडीओ लंबे समय से रुस्तम सीरीज के ड्रोन को मिसाइल से लैस करने की तकनीक विकसित करने में अब तक असफल रहा है। जबकि इजरायली विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी सहयोग के जरिये हेरॉन में भारतीय मिसाइलें फिट की जा सकती है।

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