भारत : प्रमुख नहरें भाग - 2, - Study Search Point

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भारत : प्रमुख नहरें भाग - 2,

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यह उत्तर प्रदेश की एक नहर है। ख़टीमा रेलवे स्टेशन से 14 किलोमीटर दूर पश्चिम में नानकमत्ता ( U.S.Nagar) नन्दौर नदी पर नानक सागर बाँध और दूसरा बाँध नैनीताल ज़िले में किच्छा तहसील से 6 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में बनाया गया है। इन बाँधों से नहर निकालकर सिंचाई की जाती है।



पूर्वी यमुना उत्तर प्रदेश की एक नहर है। यह नहर सहारनपुर ज़िले के फ़ैज़ाबाद नामक स्थान के निकट यमुना नदी के बाएँ किनारे से सन् 1831 में निकाली गई थी। इस नहर की शाखाओं सहित लम्बाई 1440 किलोमीटर है। इस नहर के द्वारा सहारनपुरमुज़फ़्फ़रनगरमेरठगाज़ियाबाद और दिल्ली की लगभग 2 लाख हैक्टेयर की भूमि सींची जाती है। यह नहर दिल्ली तक यमुना के समान्तर बहती है और पुनः यमुना में ही मिल जाती है।

यह उत्तर प्रदेश की एक नहर है। बस्ती ज़िले में शाहरतगढ़ स्थान से 5 किलोमीटर दूर बानगंगा पर एक बैराज बनाया गया है। जिससे 145 किलोमीटर लम्बी नहरें निकाली गई हैं। इन नहरों के द्वारा बस्ती ज़िले की 23,000 एकड़ भूमि की सिंचाई होती है।



यह उत्तर प्रदेश की एक नहर है। ग़ाजीपुर ज़िले में कर्मनाशा नदी पर नौगढ़ के निकट नौगढ़ बाँध निर्मित किया गया है। इससे नहरें निकालकर वाराणसी (चन्दौली तहसील) और ग़ाजीपुर (जमानिया परगना) की 80 हज़ार एकड़ भूमि सींची जाती है।


यह उत्तर प्रदेश की एक नहर है। यह नहर बेतवा नदी से झाँसी से 24 किलोमीटर दूर परिच्छा नामक स्थान से निकाली गई है। यह 1885 में बनाई गई थी। इस नहर के द्वारा झाँसी, जालौन, हमीरपुर, ज़िलों की लगभग 83,000 हैक्टेयर भूमि सींची जाती है।
इस नहर की दो मुख्य शाखाएँ हैं-

  1. हमीरपुर शाखा और
  2. कठौना शाखा।



नगवाँ बाँध नहर उत्तर प्रदेश राज्य की नहर है। यह नहर कर्मनाशा नदी पर 'नगवाँ' नामक स्थान पर बने बाँध से निकाली गई है। नगवाँ स्थान के नाम पर ही इसे 'नगवाँ बाँध नहर' कहा जाता है। इस नहर के द्वारा मिर्ज़ापुर व सोनभद्र ज़िलों की 60,000 एकड़ भूमि सींची जाती है।


त्रिवेणी नहर भारत में बिहार के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के चंपारन ज़िले में सिंचाई करने के लिये बनाई गई नहर एक है। यह नहर गंडक नदी के बाएँ तट से निकाली गई है। यह प्रणाली दक्षिण-पूर्व में 62 मील तक गई है। इस नहर को 1909 ई. में प्रारंभ किया गया था।  त्रिवेनी नहर भारत में बिहार के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के चंपारन जिले में सिंचाई करने के लिये बनाई गई नहर है, जो गंडक नदी के बाएँ तट से निकाली गई है। यह प्रणाली दक्षिण-पूर्व में लगभग 100 किमी तक गई है। पहले उपर्युक्त क्षेत्र शुष्क था, लेकिन इस नहर के कारण अब धानगेहूँजौगन्ने आदि की कृषि यहाँ की जाने लगी है।

यह उत्तर प्रदेश की एक नहर है। वाराणसी ज़िले में चकिया स्थान से 19 किलोमीटर दक्षिण में चन्द्र प्रभा नदी पर एक बाँध बनाया गया है। इस बाँध से निकाली गई नहरों से चकिया और चन्दौली तहसीलों की 24,000 एकड़ भूमि सींची जाती है।

निचली गंगा नहर
नरोरा बांध से एक वाहिका (चैनल) नहर प्रणाली को नानु से 48 किमी नीचे से काटती है और सेंगर नदीसेरसा नदी और मैनपुरी जिले के शिकोहाबाद को पार कर आगे बढ़ती है और गंगा नहर की भोगनीपुर शाखा कहलाती है। इसे 1880 में खोला गया था। यह शाखा, मैनपुरी जिले के जेरा गांव से शुरु होकर 166 किमी की दूरी के बाद कानपुर पहुंचती है। 64 किलोमीटर की दूरी पर बलराय सहायक शाखा जो एक 6.4 किमी लंबी वाहिका है, अतिरिक्त पानी को यमुना नदी में छोड़ती है। इस शाखा में सहायक वाहिकाओं की कुल दूरी 386 किलोमीटर है। भोगनीपुर शाखा, कानपुर और इटावा शाखाओं के साथ निचली गंगा नहर के नाम से जानी जाती है। नानु और नरोरा से निकली वाहिका जहां नहर प्रणाली को काटती है के बीच स्थित पुरानी कानपुर और इटावा शाखाओं के पुराने चैनलों जिन्हें "स्टंप” कहा जाता है को निचली गंगा नहर में कम पानी होने की स्थिति में प्रयोग किया जाता है। नहर की मुख्य शाखा कानपुर (आईआईटी कानपुर के पीछे से) से गुजरने के बाद कई उपशाखाओं में बंट जाती है। एक उपशाखा कानपुर जल संस्थान जो श्री राधाकृष्ण मंदिर के पीछे स्थित है, तक जाती है। यह नहर बुलन्दशहर ज़िले के नरौरा नामक स्थान से निकाली गई है। इसका निर्माण कार्य 1872 में प्रारम्भ हुआ था 1878 में समाप्त हुआ था।
इस नहर की दो मुख्य शाखाएँ हैं —
  1. कानपुर शाखा और
  2. इटावा शाखा।
इस नहर के द्वारा बुलन्दशहर, अलीगढ़, एटा, फ़िरोज़ाबाद, मैनपुरी, फ़र्रुख़ाबाद, कानपुर, फ़तेहपुर और इलाहाबाद ज़िलों की लगभग 4.5 लाख हैक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है।
मुख्य नहर, शाखाओं व प्रशाखाओं सहित इस नहर की कुल लम्बाई 8,800 किलोमीटर है।


ऊपरी गंगा नहर

ऊपरी गंगा नहर ही मूल गंगा नहर है जो हरिद्वार में हर की पौड़ी से शुरु होकर, मेरठबुलंदशहर से अलीगढ़ में स्थित नानु तक जाती है जहां से यह कानपुर और इटावा शाखाओं में बंट जाती है। गंगा नहर के साथ साथ चलने वाला एक राजमार्ग कई बार प्रस्तावित किया गया है। 2010 में ऐसा ही एक प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया गया क्योंकि प्रस्तावित राजमार्ग के निर्माण से लगभग एक लाख वृक्ष प्रभावित होते जिसके कारण, इस क्षेत्र की वनस्पतियों को नुकसान पहुँचता और वन्य जीवन के प्राकृतिक पर्यावास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता। यह प्रस्तावित एक्सप्रेसवे (आशुगमार्ग) कुछ स्थानों पर तो हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य की सीमा से सिर्फ 500-600 मीटर ही दूर था। दो सड़कें एक तो राष्ट्रीय राजमार्ग-58 और दूसरी कांवड़ मार्ग पहले से ही आवागमन के लिए उपलब्ध हैं। एक पर्यावरण कार्यकर्ता विजयपाल बघेल दृढ़ता से इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं।

यह उत्तर प्रदेश की एक नहर है। नैनीताल ज़िले में काशीपुर के 19 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में तुमरिया तथा ढेला नदियों के आर-पार 12 किलोमीटर लम्बा मिट्टी का बाँध बनाया गया है। इससे नहरें निकालकर मुरादाबाद एवं नैनीताल ज़िलों की 40,000 एकड़ भूमि को सींचा जाता है।

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