नासा, ने मंगल ग्रह को लेकर एक बड़ी घोषणा करने वाला है। ऐसा माना जा रहा है कि नासा को अपने शोध में मंगल ग्रह पर पानी अथवा जीवन होने के संकेत मिले हैं। यदि वाकई ऐसा हुआ तो पृथ्वी के बाहर यह इंसानों के लिए बहुत बड़ी उम्मीद की किरण बन सकता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा वॉशिंगटन स्थित अपने मुख्यालय में सोमवार को एक प्रेसवार्ता का आयोजन करने जा रही है। इसमें वो मंगल ग्रह संबंधी अपनी खोज का खुलासा कर सकती है। खुलासे में मंगल पर जीवन की संभावना तथा पानी के बारे में जानकारी दी जाएगी।
जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक लुजेंद्र ओझा ने एक थ्योरी बनाई है, जिसमें उन्होंने यह दावा किया है कि मंगल ग्रह पर लिक्विड साल्ट वाटर (तरल नमकीन पानी) उपलब्ध है। ग्रह पर गर्मी के मौसम में यह पानी बहता है। नासा भी लगभग यह मान चुका है कि मंगल ग्रह पर तरल पानी मौजूद है। वहीं माना जा रहा है कि इस ग्रह के ध्रुवों पर बर्फीले रूप में भी पानी उपलब्ध था। हालांकि अभी इसके पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं। इसी साल अप्रैल महीने में नासा के क्यूरोसिटी रोवर को मंगल ग्रह पर पहुंचे हुए तीन साल पूरे हो गए हैं। रोवर ने अपने शोध में पाया कि मंगल की सतह पर मौजूद मिट्टी में पानी के लक्षण मौजूद हैं। ग्रह की सतह मिली गहरी घाटियों और ऊंची चट्टानों से यह तो निश्चित होता है कि यहां कभी न कभी पानी मौजूद था। क्योंकि इस तरह की संरचना का निर्माण बिना पानी के संभव नहीं है।
लाल ग्रह यानी मंगल
जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक लुजेंद्र ओझा ने एक थ्योरी बनाई है, जिसमें उन्होंने यह दावा किया है कि मंगल ग्रह पर लिक्विड साल्ट वाटर (तरल नमकीन पानी) उपलब्ध है। ग्रह पर गर्मी के मौसम में यह पानी बहता है। नासा भी लगभग यह मान चुका है कि मंगल ग्रह पर तरल पानी मौजूद है। वहीं माना जा रहा है कि इस ग्रह के ध्रुवों पर बर्फीले रूप में भी पानी उपलब्ध था। हालांकि अभी इसके पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं। इसी साल अप्रैल महीने में नासा के क्यूरोसिटी रोवर को मंगल ग्रह पर पहुंचे हुए तीन साल पूरे हो गए हैं। रोवर ने अपने शोध में पाया कि मंगल की सतह पर मौजूद मिट्टी में पानी के लक्षण मौजूद हैं। ग्रह की सतह मिली गहरी घाटियों और ऊंची चट्टानों से यह तो निश्चित होता है कि यहां कभी न कभी पानी मौजूद था। क्योंकि इस तरह की संरचना का निर्माण बिना पानी के संभव नहीं है।

लाल ग्रह यानी मंगल
- हमारे सौर मंडल का चौथा ग्रह। यानी सूर्य के चौथे नंबर पर यह सूर्य की परिक्रमा करता है।
- इसका नामकरण रोम के युद्ध देवता के नाम पर रखा गया है। सामान्यत: इसे लाल ग्रह भी कहा जाता है।
- यहां के वातावरण में कार्बनडाय ऑक्साइड की मात्रा सबसे ज्यादा है। मंगल ग्रह पर पृथ्वी के मुकाबले एक-तिहाई गुरुत्व बल है।
- मंगल की सतह पर मौजूद पर्वतों में लौह की मात्रा काफी ज्यादा होने तथा धूल भरे वातावरण के कारण यह लाल दिखाई देता है।
- सितंबर 2014 तक पूरी दुनिया से 40 से ज्यादा मिशन मंगल ग्रह के लिए शुरू किए गए थे।
- इसमें भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का प्रोजेक्ट भी शामिल है।