मुंहासे (Pimples or Acne) त्वचा की एक स्थिति है जो सफेद, काले और जलने वाले लाल दाग के रूप मे दिखते हैं। यह लगभग 14 वर्ष से शुरू होकर 30 वर्ष तक कभी भी निकल सकते हैं। ये निकलते समय तकलीफदायक होते हैं व बाद में भी इसके दाग-घब्बे चेहरे पर रह जाते हैं। मुंहासों के कई रूप होते है जैसे-पसदार मुंहासे, बिना पस कील के रूप में, काले खूटें के रूप में आदि। मुंहासों की शुरूआत भी अजीब होती है। पहले ये छोटे-छोटे दानों के रूप में चेहरे पर उभरते हैं। चेहरे में भी ललाट, गालों और नाक पर इनकी मात्रा ज्यादा होती है। यदि रोग की तीव्रता ज्यादा हो तो कंधे, पीठ और हाथ-पैरों पर हो सकते हैं। कुछ रोगियों में मुंहासे दाने के आकार से बड़े होकर पीवयुक्त गांठों के रूप में भी हो जाते हैं। इन मवादयुक्त गांठों में दर्द, जलन, सूजन और लालिमा पाई जाती है। कुछ मुंहासे काले सिर वाले होते हैं जिन्हें "कील" कहा जाता है। यदि इनको दबाया जाए, तो काले सिर के साथ-साथ भीतर से सफेद रोम जैसा पदार्थ बाहर निकलता है और इससे पैदा होने वाला छेद स्थाई हो जाता है।
कारण -
ऐलोपैथिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मुंहासों का कारण होता है - वसा ग्रन्थियों (सिबेसियस ग्लैंड्स) से निकलने वाले स्राव का रुक जाना। यह स्राव त्वचा को स्निग्ध रखने के लिए रोम छिद्रों से निकलता रहता है। यदि यह रुक जाए तो फुंसी के रूप में त्वचा के नीचे इकट्ठा हो जाता है और कठोर हो जाने पर मुंहासा बन जाता है। इसे 'एक्ने वल्गेरिस' कहते हैं। इसमें पस पड़ जाए तो इसे कील यानी पिम्पल कहते हैं। पस निकल जाने पर ही यह ठीक होते हैं!
मुहांसों के प्रभाव को कैसे कम करें? -
ऐलोपैथिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मुंहासों का कारण होता है - वसा ग्रन्थियों (सिबेसियस ग्लैंड्स) से निकलने वाले स्राव का रुक जाना। यह स्राव त्वचा को स्निग्ध रखने के लिए रोम छिद्रों से निकलता रहता है। यदि यह रुक जाए तो फुंसी के रूप में त्वचा के नीचे इकट्ठा हो जाता है और कठोर हो जाने पर मुंहासा बन जाता है। इसे 'एक्ने वल्गेरिस' कहते हैं। इसमें पस पड़ जाए तो इसे कील यानी पिम्पल कहते हैं। पस निकल जाने पर ही यह ठीक होते हैं!
मुहांसों के प्रभाव को कैसे कम करें? -
- भोजन में ज्यादा घी, तेल, मसालों का प्रयोग न करें।
- चिकनाई वाले कॉस्मेटिक उत्पाद न लगाएं।
- चेहरे को किसी अच्छे मैडीकेटेड साबुन से धोएं।
- बालों में रूसी न होने पाए, इस बात का घ्यान रखें।
- कच्ची सब्जियां व कम से कम 10-12 गिलास पानी दिन में पीएं।
- तनाव मुक्तरहें क्योंकि तनाव व नींद पूरी न होने से भी मुंहासे बढ़ते हैं।
- मुंहासे ज्यादा हों, तो कुछ दिन के लिए बालों में तेल न लगाएं।
- प्रात: काल ताजी स्वच्छ हवा में घूमें व व्यायाम करें।
- गर्म चीजों का सेवन न करें।
- ज्यादा मीठा, चाय-कॉफी, मिर्च मसाले भी कब्ज पैदा करते हैं। जिससे मुंहासे होते हैं। अत: इनका सेवन न करें।
- होम्योपैथिक चिकित्सा भी इस समस्या में लाभकारी होती है।
- चेहरे को धोकर गर्म पानी से भाप लें, ब्लैक हैड रिमूवर से कील दबाकर निकाल दें, अब रूई से कील वाले स्थान पर स्किन टोनर लगाएं। बाद में ठंडे पानी से मुंह धो लें व फेस पैक लगा लें।
- मुंहासों को दबाने, फोड़ने या रगड़ने से बचने का प्रयास करें।
- हाथ या अंगुलियों से चेहरो को छूने से परहेज करें।
घरेलू उपचार -
- त्वचा को कच्चे दूध में नींबू मिलाकर रूई द्वारा साफ करें, इससे त्वचा पर जमी गंदगी हट जाएगी।
- मुल्तानी मिट्टी में नींबू व टमाटर का रस मिलाकर लगाएं, सूखने पर धो डालें। मुल्तानी मिट्टी में चंदन पाउडर व गुलाब जल मिलाकर भी लगाया जा सकता है। यह पैक त्वचा में कसाव उत्पन्न करता है व रोमछिद्रों को सिकोड़ देता है।
- मसूर की दाल का पाउडर बना लें, अब दो चम्मच पाउडर में चुटकी भर हल्दी, नींबू की कुछ बूंदें, दही मिलाकर लेप बनायें व चेहरे पर लगायें, सूखने पर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें।
- एक बड़ा चम्मच तुलसी के पत्तों का पाउडर, एक चम्मच नीम के पत्तों का पाउडर और एक चम्मच हल्दी पाउडर मिला लें। थोड़ा सा मुल्तानी मिट्टी का पाउडर भी मिला लें। जब भी प्रयोग करना हो, इसका पेस्ट बनाकर सप्ताह में दो बार चेहरे पर लगाएं। चेहरा कोमल व साफ बनेगा।
- अपने बालों की सफाई का पूरा घ्यान रखें।
- मुहासों ने गंभीर रूप ले लिया हो, तो त्वचा रोग विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।