मिज़ोरम एक पर्वतीय प्रदेश है। फ़रवरी, 1947 को यह भारत का २३वां राज्य बना। 1972 में केंद्रशासित प्रदेश बनने से पहले तक यह असम का एक ज़िला था। 1891 में ब्रिटिश अधिकार में जाने के बाद कुछ वर्षो तक उत्तर का लुशाई पर्वतीय क्षेत्र असम के और आधा दक्षिणी भाग बंगाल के अधीन रहा। 1898 में दोनों को मिलाकर एक ज़िला बना दिया गया जिसका नाम पड़ा-लुशाई हिल्स ज़िला और यह असम के मुख्य आयुक्त के प्रशासन में आ गया। 1972 में पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम लागू होने पर मिज़ोरम केंद्रशासित प्रदेश बन गया। भारत सरकार और मिज़ो नेशनल फ़्रंट के बीच 1986 में हुए ऐतिहासिक समझौते के फलस्वरूप 20 फ़रवरी 1987 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। पूर्व और दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में बंग्लादेश के बीच स्थित होने के कारण भारत के पूर्वोत्तर कोने में मिज़ोरम सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण राज्य हैं। मिज़ोरम में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है तथा इस क्षेत्र में प्रकृति की विभि्न छटाएं देखने को मिलती हैं। यह क्षेत्र विभिन्न प्रजातियों के प्राणियों तथा वनस्पतियों से संपन्न हैं। मिज़ो’ शब्द की उत्पत्ति के बारे में ठीक से ज्ञात नहीं है। मिज़ोरम शब्द का स्थानीय मिज़ो भाषा में अर्थ है, पर्वतनिवासीयों की भूमि। 19वीं शताब्दी में यहां ब्रिटिश मिशनरियों का प्रभाव फैल गया और इस समय तो अधिकांश मिज़ो लोग ईसाई धर्म को ही मानते हैं। मिज़ो भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है। मिशनरियों ने मिज़ो भाषा और औपचारिक शिक्षा के लिए रोमन लिपि को अपनाया। मिज़ोरम में शिक्षा की दर तेजी से बढ़ी हैं। वर्तमान में यह 88.8 प्रतिशत है, जोकि पूरे देश में केरल के बाद दूसरे स्थान पर है। मिज़ोरम शिक्षा के क्षेत्र में सबसे पहले स्थान पर आने के लिए बड़े प्रयास कर रहा हैं।
इतिहास और भूगोल
भूगर्भशास्त्रीय दृष्टि से मिज़ो पहाड़ियाँ अराकान आर्क का हिस्सा है जो सुसंगठित समानांतर पर्वतस्कंधों की उत्तर-दक्षिण दिशा में स्थित शृंखला है, जिसका निर्माण तृतीयक बलुआ पत्थर, चूना-पत्थर और स्लेट-पत्थर से हुआ है। संकरी नदी घाटियों से विभक्त पर्वतस्कंधों की ऊँचाई 2,157 मीटर है।
जलवायु दक्षिण में कलादान और इसकी सहायक नदियाँ दक्षिण दिशा में बहती हुई म्यांमार में प्रवेश करती हैं, जबकि धालेश्वरी (त्लावंग) और सोनाई (तुइरेल) नदियाँ उत्तर दिशा में असम की और बहती हैं। आइज़ोल औसत समुद्र तल से 1,132 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। मिज़ोरम की जलवायु समशीतोष्ण है। आइज़ोल का वार्षिक औसत तापमान 20° से. है। वर्षा मुख्यत: दक्षिण मॉनसून (मई से सितंबर) के दौरान होती है और कुछ क्षेत्रों में कुल वार्षिक वर्षों 2,500 मिमी तक होती है।
मिज़ोरम की पहाड़ियां घने सदाबहार वनों से ढकी हैं, जिनमें चंपक, आयरन वुड और गुर्जुन जैसे मूल्यवान इमारती लकड़ी के वृक्ष पाए जाते हैं। वास्तविक वनाच्छादित क्षेत्र 18,775 वर्ग किमी है, जो भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 89 प्रतिशत है। इन जंगलों में हाथी, बाघ, भालू, हिरन और जंगली भैंसों समेत कई जंतुओं का पर्यावास है।
मिज़ोरम के पास संसाधनों की प्रचुरता है जिनका उपयोग राज्य में कई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए किया जाता है। बांस की प्रचुरता के अलावा बागवानी वाली कई फ़सलें निवेशकों के लिए कई प्रकार से लाभदायक हो हैं। देश का दूसरा सर्वाधिक साक्षर राज्य होने से मिज़ोरम देश का सर्वाधिक 'आई.टी.' साक्षर राज्य बनने जा रहा है। इसके अतिरिक्त यहाँ की ख़ूबसूरत प्राकृतिक छटा के साथ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध सांस्कृतिक विरासत इसे पर्यटकों के लिए आकर्षक स्थान बनाता है। कृषि यहाँ की मुख्य आर्थिक गतिविधि है। मिज़ोरम प्रदेश के लगभग 80 प्रतिशत लोग कृषि कार्यों में लगे हुए हैं। सीढ़ीदार खेती और झूम खेती[5] का प्रचलन है। अनुमानत: 21 लाख हेक्टेयर भूमि में से 6.30 लाख हेक्टेयर भूमि बागवानी के लिए उपलब्ध है। वर्तमान में 4127.6 हेक्टेरयर भूमि पर ही विभिन्न फ़सलों की बागवानी की जा रही है, जो कि अनुमानित संभावित क्षेत्र का 6.55 प्रतिशत मात्र है। मिज़ोरम में बागवानी फ़सलों के विकास की विस्तृत संभावनाएँ हैं। बागवानी की मुख्य फ़सलें फल हैं। इनमें मैडिरियन संतरा, केला, सादे फल, अंगूर, हटकोडा, अनन्नास और पपीता आदि शामिल हैं।
- लघु उद्योग
लघु उद्योगों में रेशम, हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग, आरा मिल तथा फर्नीचर कार्यशालाएँ तेल परिशोधन अनाज की मिल व अदरक प्रसंस्करण शामिल हैं। राज्य के 3,087 लघु उद्योगों में से 287 आइज़ोल ज़िले में स्थित हैं।
मिज़ोरम में 8 जिले हैं-
- आइजोल जिला
- कोलासिब जिला
- चम्फाई जिला
- ममित जिला
- लुंगलेई जिला
- लॉन्गतलाई जिला
- सइहा जिला
- सेरछिप जिला
पर्यटन स्थल
समुद्र तल से लगभग 4,000 फुट की उंचाई पर स्थित पर्वतीय नगर आइजोल, मिज़ोरम का एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। म्यांमार की सीमा के निकट चमफाई एक सुंदर पर्यटन स्थल है। तामदिल एक प्राकृतिक झील है जहां मनोहारी वन हैं। यह आइजोल से 80 किलोमीटर और पर्यटक स्थल सैतुअल से 10 किलोमीटर की दूरी पर है। वानतांग जलप्रपात मिज़ोरम में सबसे ऊंचा और अति सुंदर जलप्रपात है। यह थेनजोल कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है। पर्यटन विभाग ने राज्य में सभी बडे कस्बों में पर्यटक आवास गृह तथा अन्य कस्बों में राजमार्ग रेस्त्रां तथा यात्री सरायों का निर्माण किया है। जोबौक के निकट जिला पार्क में अल्पाइन पिकनिक हट तथा बेरो त्लांग में मनोरंजन केंद्र भी बनाए गए हैं।
जनजीवन/त्योहार
मिज़ो नागरिक (मिज़ोरम) मूलत: किसान हैं। अत: उनकी तमाम गतिविधियां तथा त्योहार भी जंगल की कटाई करके की जाने वाली झूम खेती से ही जुड़े हुए हैं। त्योहार के लिए मिज़ो शब्द ‘कुट’ है। मिज़ो लोगों के विभिन्न त्योहारों में से आज कल केवल तीन मुख्य त्योहार ‘चपचार’, ‘मिम कुट’ और ‘थालफवांग कुट’ मनाए जाते हैं। मिज़ोरम की अधिकतर जनसंख्या मिज़ो नागरिकों की है। मिज़ोरम की आबादी विभिन्न समूहों के मेल से बनी है, जिन्हें आमतौर पर मिज़ो कहते हैं, स्थानीय भाषा में जिसका अर्थ उच्च भूमि के निवासी है। इस क्षेत्र की जनजातियों, जिनमें से कई पहले मनुष्यों का शिकार करती थीं, में कूकी, पावी, लखेर और चकमा शामिल हैं। इन्हें तिब्बती-बर्मी लोगों के वर्ग में रखा गया है और ये कई तिब्बती-बर्मी बोलियों का उपयोग करते हैं; कुछ जनजातियाँ इतनी अलग-थलग हैं कि उनकी बोली पड़ोसी घाटी में रहने वालों को भी समझ में नहीं आती है। मिज़ो कई प्रजातियों में बँटे हुए हैं। जो मिज़ो/लुशाई, म्हार, पोई, कमा, राल्ते, पोवाई, कुकी, है। इनमें लुशाई जाति के नागरिकों की संख्या सबसे अधिक है, जोकि राज्य की कुल जनसंख्या के दो तिहाई भाग से अधिक है। अन्य प्रमुख प्रजातियों में राल्ते, म्हार, कमा, पोई और पोवाई हैं। गैर मिज़ो प्रजातियों में सबसे प्रमुख चकमा जाति के लोग हैं।
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