महाराष्ट्र भारत का एक राज्य है जो भारत के दक्षिण मध्य में स्थित है। इसकी गिनती भारत के सबसे धनी राज्यों में सी की जाती है। इसकी राजधानी मुंबई है जो भारत का सबसे बडा शहर और देश की आर्थिक राजधानी के रुप में भी जानी जाती है। और यहा का पुणे शहर भी भारत के बडे महानगरो मे गिना जाता है। यहा का पुणे शहर भारत का छटवां सबसे बडा शहर है। प्राचीन 16 महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास का माना जाता है। सम्राट अशोक के शिलालेखभी मुंबई के निकट पाए गए हैं। महाराष्ट्र के पहले प्रसिद्ध शासक सातवाहन (ई.पू. 230 से 225 ई.) थे जो महाराष्ट्र राज्य के संस्थापक थे। उन्होंने अपने पीछे बहुत से साहित्यिक, कलात्मक तथा पुरातात्विक प्रमाण छोड़े हैं। उनके शासनकाल में मानव जीवन के हर क्षेत्र में भरपूर प्रगति हुई। इसके बाद वाकाटक आए, जिन्होंने भारतीय साम्राज्य की स्थापना की। उनके शासनकाल में महाराष्ट्र में शिक्षा, कला तथा धर्म सभी दिशाओं में अत्यधिक विकास हुआ। उनके शासन के दौरान ही 'अजंता की गुफाओं' में उच्च कोटि के भित्तिचित्र बनाए गए। वाकाटकों के बाद कुछ समय के लिए 'कलचुरी वंश' ने शासन किया और फिर 'चालुक्य' सत्ता में आए। इसके बाद तटवर्ती इलाकों में 'शिलाहारों' के अलावा महाराष्ट्र पर 'राष्ट्रकूट' तथा 'यादव' शासकों का नियंत्रण रहा। यादवों ने मराठी को शासन की भाषा बनाया और दक्षिण के एक बड़े भाग पर अपना आधिपत्य स्थापित किया।
अलाउद्दीन ख़िलजी पहला मुस्लिम शासक था जिसने अपना राज्य दक्षिण मेंमदुरै तक फैला लिया था। उसके बाद मुहम्मद बिन तुग़लक़ (1325) ने अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर दौलताबाद कर ली। यह स्थान पहले देवगिरिनाम से प्रसिद्ध था और अहमदनगर के पास है। बहमनी शासकों ने महाराष्ट्र तथा इसकी संस्कृति को समन्वित किया, पर शिवाजी के कुशल नेतृत्व में महाराष्ट्र का सर्वांगीण विकास हुआ और यह एक अलग पहचान के साथ उभरकर सामने आया। शिवाजी ने स्वराज तथा राष्ट्रीयता की एक नई भावना पैदा की। उनकी प्रचंड शाक्ति ने मुग़लों को भारत के इस भाग में आगे नहीं बढ़ने दिया। पेशवाओं ने दक्षिण के पठार से लेकर पंजाब पर हमला बोल कर मराठाओं का आधिपत्य स्थापित किया। बहमनी सल्तनत के टूटने पर यह प्रदेश गोलकुण्डा के शासन में आया और उसके बाद औरंगजेब का संक्षिप्त शासन रहा। इसके बाद मराठों की शक्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई और अठारहवीं सदी के अन्त तक मराठा पूरे महाराष्ट्र में फैल गये थे और उनका साम्राज्य दक्षिण में कर्नाटक के दक्षिणी सिरे तक हो गया था। 1820 तक आते आते अंग्रेज़ों ने पेशवाओं को हरा दिया था और यह प्रदेश भी अंग्रेज़ी साम्राज्य का अंग बन गया।
महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस 1 मई को मनाया जाता है कभी ये दोनों राज्य मुंबई का हिस्सा थे। जब मुंबई राज्य से महाराष्ट्र और गुजरात के गठन का प्रस्ताव आया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मुंबई को अलग केन्द्रशासित प्रदेश बनाने की वकालत की। उनका तर्क था कि अगर मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी बने रहना है तो यह करना आवश्यक है। किंतु पंडित नेहरू की नहीं चली। देश के पहले वित्तमंत्री और वित्त विशेषज्ञ चिंतामणि देशमुख ने इसका प्रखर विरोध किया और इसी मुद्दे पर केन्द्रीय मंत्रिमण्डल से इस्तीफा दे दिया।
भौगोलिक संरचना
महाराष्ट्र भारत के उत्तर में बसा हुआ है और भौगोलिक दृष्टि से यह राज्य मुख्यत: पठारी है। महाराष्ट्र पठारों का पठार है। इसके उठे हुए पश्चिमी किनारे सह्याद्रि पहाड़ियों का निर्माण करते है और समुद्र तट के समानांतर हैं तथा इसकी ढलान पूर्व तथा दक्षिण पूर्व की ओर धीरे धीरे बढ़ती है। राज्य के उत्तरी भाग में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ है, जबकि अजंता तथा सतमाला पहाड़ियां राज्य के मध्य भाग से होकर जाती है। अरब सागर महाराष्ट्र की पश्चिमी सीमा का प्रहरी है, जबकि गुजरात और मध्य प्रदेश इसके उत्तर में हैं। राज्य की पूर्वी सीमा पर छत्तीसगढ़ है और कर्नाटक तथाआंध्र प्रदेश इसके दक्षिण में है। महाराष्ट्र में कई प्रकार की आकर्षक भू- आकृतियां हैं। नर्मदा नदी, जो विभ्रंश घाटी से होकर बहती हुई अरब सागर में गिरती है, राज्य की उत्तरी सीमा के एक हिस्से का निर्माण करती है। अरब सागर में ही मिलने वालीताप्ती नदी की विभ्रंश घाटी इसकी उत्तरी सीमा के दूसरे हिस्से को चिह्नित करती है। ये दो नदी घाटियाँसतपुड़ा शृंखला नामक उत्खंड से विभक्त होती हैं। ताप्ती घाटी के दक्षिण में अरब सागर के किनारे कोंकण का तटीय क्षेत्र है, जिसके पूर्व में पश्चिमी घाट या सह्याद्रि पहाड़ियों के नाम से विख्यात कगार स्थित है। सह्याद्रि पहाड़ियों की तराई कोंकण में अरब सागर से 6.4 किमी की दूरी तक पहुँचती है, कोंकण का तटीय किनारा संकरा है। इसके बीच-बीच में सह्याद्रि पहाड़ियों के पर्वतीय स्कंध हैं और इस क्षेत्र को कई पश्चिमवर्ती द्रुतगामी नदियाँ अपवाहित करती हैं: उत्तर में स्थित उल्हास इनमें सबसे बड़ी है। सह्याद्रि पहाड़ियाँ उत्तर-दक्षिण दिशा में दीवार की तरह लगभग 640 किमी. तक लगातार स्थित हैं। लेकिन इससे गुज़रने वाले कई दर्रे तटीय भूमि और भीतरी क्षेत्र के बीच महत्त्वपूर्ण सड़क और रेल संपर्क उपलब्ध कराते हैं। सह्याद्रि की पूर्वी ढलान का उतार दक्कन के पठार की ओर क्रमिक है, जो पूर्व की ओर ढलान वाली गोदावरी, भीमा और कृष्णा नदी की घाटियों द्वारा निर्मित हैं। इन नदियों के अंत:प्रवाह से महादेव, अजंता, बालाघाट और अन्य प्रर्वत शृंखलाओं को आकार मिला है। महाराष्ट्र में स्थित ये पर्वत शृंखलाएँ और घाटियाँ रूके हूए लावे से निर्मित हैं। जिनकी मोटाई कई स्थानों पर 3,050 मीटर है। कई पहाड़ियों में लावे के विभिन्न प्रकार के अपरदन के कारण पठारी समतल जैसे ऊपरी हिस्से से युक्त सीढ़ीनुमा कगार की विशेष संरचनाएँ बन गई हैं। पूर्व में नागपुर के बाद यह पाशित चट्टानी क्षेत्र समाप्त हो जाता है और प्राचीन रवेदार चट्टानों से बनी भू-आकृति शुरू हो जाती है। महादेव पहाड़ियों और मैकाल श्रेणी से आगे पूर्व की ओर गोदावरी नदी की कई महत्त्वपूर्ण सहायक धारांए दक्षिण-पूर्व दिशा में बहती हैं, जिनमे वर्धा,वेनगंगा और पेनगंगा सर्वप्रमुख हैं। इस क्षेत्र में कई झीलें हैं। सुदूर पूर्व में इस क्षेत्र में कई वनाच्छादित पर्वत है, जो अपेक्षाकृत दुर्गम हैं।
निजी और सार्वजनिक उद्यमों के माध्यम से महाराष्ट्र भारत का एक सुविकसित और समृद्ध राज्य बन गया है। विद्युत उत्पादन इस दिशा में सबसे महत्त्वपूर्ण सहायक कारकों में से एक है। महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट स्थित जलप्रपातों के ज़रिये पनबिजली उत्पादन किया जाता है। पूर्वी क्षेत्रों में ताप- विद्युत उत्पादन की प्रधानता है। नागपुर और चंद्रपुर में बड़े ताप विद्युत गृह स्थित हैं। भारत का पहला परमाणु बिजली संयंत्रमुंबई से 113 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। बिजली की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए नए विद्युत संयंत्र लगाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र केखनिज संसाधनों में मैंगनीज, कोयला, चूना- पत्थर, लौह अयस्क, तांबा, बॉक्साइट और सिलिकायुक्त रेत शामिल है। इनमें से अधिकांश खनिज पदार्थ, भंडारा, नागपुर और चंद्रपुर ज़िलों में पाए जाते हैं और दक्षिण कोंकण में भी कुछ भंडार हैं। सह्याद्रि क्षेत्र के कई हिस्सों में बॉक्साइट भी पाया जाता है। बॉम्बे हाई में हाइड्रोकार्बन का उत्पादन भी बढ़ रहा है।
महाराष्ट्र के दो- तिहाई निवासी कृषक हैं। फ़सल उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए विद्युतीकरण, उन्नत बीजों का उपयोग, व्यापक खेती और किसानों को सुविधा प्रदान करने जैसे उपाय किए जा रहे हैं। अपर्याप्त तथा असमान वर्षा से निपटने के लिए कई सिंचाई परियोजनाएं बनाई गई हैं और कई परियोजनाएं निर्माणधीन हैं। फ़सलों में बाजरा, ज्वार और दलहन प्रमुख है। 1,016 मिलीमीटर से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल की खेती होती है। नमी धारण करने की क्षमता वाले खेतों में शीत ऋतु में गेहूँ की फ़सल उगाई जाती है। 610-990 मिलीमीटर वर्षा वाले क्षेत्रों मेंकपास, तंबाकू और मूंगफली प्रमुख फ़सलें हैं। आजकल बाग़वानी पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। फलों की खेती में अंगूर, आम, केला और काजू ज़्यादा लोकप्रिय हैं। सिंचाई की सुविधा ने महाराष्ट्र भारत का सबसे बड़ा गन्ना और चीनी उत्पादक क्षेत्र बना दिया गया है। चीनी ने कृषि- औद्योगिक क्षेत्रों को बढ़ावा दिया है।
महाराष्ट्र का सांस्कृतिक जीवन प्राचीन भारतीय संस्कृति, सभ्यता और ऐतिहासिक घटनाओं के प्रभावों का मिश्रण है। मराठी भाषाऔर मराठी साहित्य का विकास महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान की अभिव्यक्ति है। स्थानीय व क्षेत्रीय देवताओं के प्रति भक्ति, ज्ञानेश्वर व तुकाराम जैसे संत कवियों की शिक्षाओं और छत्रपति शिवाजी व अन्य राजनीतिक तथा सामाजिक नेताओं के प्रति आदरभाव, महाराष्ट्र की संस्कृति की विशेष पहचान है। कोल्हापुर, तुलजापुर, पंढरपुर, नासिक, अकोला, फल्तन, अंबेजोगाई और चिपलूण व अन्य धार्मिक स्थलों पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मेलों और त्योहारों का भी महत्व कम नहीं है। महाराष्ट्र के सांस्कृतिक जीवन में गणेश चतुर्थी, रामनवमी, अन्य स्थानीय व क्षेत्रीय मेले और त्योहार महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इनके द्वारा लोगों का स्थानीय तथा क्षेत्रीय मेल-मिलाप होता है और ये सामाजिक एकता को बढ़ावा देते हैं। अन्ध धर्मों के त्योहारों में भी लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं, जो सांस्कृतिक जीवन के महानगरीय चरित्र को दर्शाता है। ‘महानुभाव मत’ और डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर द्वारा पुनर्जीवित किए गए बौद्ध धर्म से सांस्कृतिक जीवन को नया आयाम मिला है।
पर्यटन स्थल
यहाँ के महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र है अजंता, एलोरा, एलिफेंटा, कन्हेरी गुफ़ाएँ, पीतलखोरा और कारला गुफाएं, महाबलेश्वर, माथेरान और पंचगनी, जवाहर, मालशेज घाट, अंबोली, चिकलधारा और पन्हाला पर्वतीय स्थल। पंढरपुर, नाशिक, शिरडी, नांदेड, औधानागनाथ, त्रयंबकेवर, तुलजापुर, गणपतिपुले, भीमशंकर, हरिहरेश्वर, शेगाव, कोल्हापुर, जेजुरी तथा अंबजोगई धार्मिक स्थान है। भारत देश में महाराष्ट्र सबसे बड़ा औद्योगिक प्रान्त है। मुंबई, पुणे, औरंगाबाद, नागपुर और नासिक महाराष्ट्र के बडे शहरों में गिने जाते हैं। यहाँ के निवासियों की मातृभाषा मराठी है और यहाँ के लोगों को महाराष्ट्रीयन कहा जाता है। पहाड़ी नगरों में 'महाबलेश्वर' और 'माथेरान' काफ़ी प्रसिद्ध है। छुट्टियों के समय इन नगरों में बहुत ही भीड़ होती है और मौसम भी बहुत सुहावना होता है। धार्मिक नगरों में नाशिक के काफ़ी नज़दीक शिर्डी नगर है। इस नगर का साईं बाबा का मन्दिर बहुत ही प्रसिद्ध है। इसी तरह मुंबई का 'महालक्ष्मी मन्दिर' और पुणे के 'दगडूशेठ गणपति मन्दिर' बहुत ही अधिक ख्याति प्राप्त हैं।
प्रमुख नगर
- मुंबई
मुंबई पूर्वी न्यूयॉर्क के नाम से भी विख्यात है। मुंबई में चौपाटी, गेटवे ऑफ़ इन्डिया, प्रिन्स वेल्स म्युज़ियम, एलिफ़ेन्टा केव्स और मडआईलॅन्ड बहुत ही प्रसिद्ध है।
- पुणे
पुणे महाराष्ट्र का संस्कृति प्रधान नगर माना जाता है। शनिवारवाडा, लाल महल, सिंहगढ़ जैसे ऐतिहासिक स्थान हैं। पुणे का आई.टी. पार्क और लक्ष्मी रोड काफ़ी जाना माना है।
- औरंगाबाद
नागपुर औरंगाबाद नगर महाराष्ट्र के मध्य भाग में स्थित है। यहाँ के अजंता-एलोरा केव्स विश्व प्रसिद्ध हैं। इन गुफाओं में बुद्ध के तक्षण बनाये गये हैं।
नागपुर एक बहुत ही सुन्दर शहर है और यहाँ के संतरे पूरी दुनिया में जाने माने हैं।
- नासिक
नासिक एक काफ़ी सुन्दर शहर है और यहाँ का मौसम सुहाना है। नाशिक के कालाराम और दूसरे मन्दिर विख्यात है और लोग गोदावरी नदीमें नहाना पवित्र समझते हैं।
- नंदुरबार
नंदुरबार नगर भारत में महाराष्ट्र राज्य के धूलिया ज़िले में पश्चिमी घाट के पर्वतों के उत्तरी छोर पर धूलिया से 45 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित है।
अन्य नगर
महाराष्ट्र के बरार में अमरावती के उत्तर में स्थित एलिचपुर मध्यकाल का जाना पहचाना नगर था। महाराष्ट्र के वर्धा ज़िले में स्थित पवनार एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। पवनार की पहचान वाकाटकों की राजधानी प्राचीन प्रवरपुर से की जाती है।
महाराष्ट्र में 35 जिले हैं -
- अकोला जिला
- अमरावती जिला
- अहमदनगर जिला
- औरंगाबाद जिला
- वांद्रे उपनगर जिला (सबअर्बन)
- बीड जिला
- भंडारा जिला
- बुलढाणा जिला
- चन्द्रपूर जिला
- धुले जिला
- गडचिरोली जिला
- गोंदिया जिला
- हिंगोली जिला
- जळगाव जिला
- जालना जिला
- कोल्हापुर जिला
- लातूर जिला
- मुंबई जिला
- नागपूर जिला
- नांदेड जिला
- नंदुरबार जिला
- नाशिक जिला
- उस्मानाबाद जिला
- परभणी जिला
- पुणे जिला
- रायगड जिला
- रत्नागिरी जिला
- सातारा जिला
- सांगली जिला
- सिंधुदुर्ग जिला
- सोलापूर जिला
- ठाणे जिला
- वर्धा जिला
- वाशीम जिला
- यवतमाळ जिला
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें