मेघालय भारत के उत्तर पूर्व में एक राज्य है। मेघालय का निर्माण असम के अंतर्गत 2 अप्रैल, 1970 को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में किया गया। इसे पूर्व का स्कॉटलैण्ड भी कहा जाता है। पूर्ण राज्य मेघालय 21 जनवरी, 1972 को बना। इसकी उत्तरी और पूर्वी सीमाएं असम से और दक्षिणी तथा पश्चिमी सीमाएं बांग्लादेश से मिलती हैं। मेघालय का शाब्दिक अर्थ है मेघों का आलय अर्थात बादलों का घर। मेघालय मूलत: एक पहाड़ी राज्य है। यहाँ खासी, जैंतिया और गारों आदिवासी समुदाय के लोग मुख्यत: रहते हैं। मेघालय के मध्य और पूर्वी भाग मेंखासी और जैंतिया पहाड़ियाँ और एक विशाल पठारी क्षेत्र है।
यहाँ विस्तृत मैदान, पहाडियां और नदी, घाटियां हैं। पहाड की तलहटी पर समतल भूमि की संकरी पट्टी बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ लगी है। मेघालय की जलवायु उपोष्ण (उष्ण और शीत के मध्य) तथा आर्द्र है। वार्षिक वर्षा 1200 से.मी. तक होती है जिसके कारण इस राज्य देश का सबसे "नम" राज्य कहा जाता है। चेरापूंजी, जो कि राजधानी शिलांग के दक्षिण में स्थित है, ने एक कैलेंडर महीने में सर्वाधिक बारिश का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है, जबकि इसी शहर के पास के गांव मौसिनराम के नाम सर्वाधिक सालाना बारिश का रिकॉर्ड दर्ज़ है। राज्य का लगभग एक तिहाई हिस्सा वनाच्छादित है। राज्य की गारो, खासी तथा जयंतियापहाड़ियां अधिक ऊँची नही हैं। शिलांग शिखर, जिसकी उचाई 1966 मीटर है, सर्वोच्च शिखर है। कई गुफाओं में चूने जल की विभिन्न आकृतियां हैं जिनमें स्टेलैक्टाईट और स्टेलैग्माईट जैसी आकृतियां प्रसिद्ध हैं।
यहाँ विस्तृत मैदान, पहाडियां और नदी, घाटियां हैं। पहाड की तलहटी पर समतल भूमि की संकरी पट्टी बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ लगी है। मेघालय की जलवायु उपोष्ण (उष्ण और शीत के मध्य) तथा आर्द्र है। वार्षिक वर्षा 1200 से.मी. तक होती है जिसके कारण इस राज्य देश का सबसे "नम" राज्य कहा जाता है। चेरापूंजी, जो कि राजधानी शिलांग के दक्षिण में स्थित है, ने एक कैलेंडर महीने में सर्वाधिक बारिश का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है, जबकि इसी शहर के पास के गांव मौसिनराम के नाम सर्वाधिक सालाना बारिश का रिकॉर्ड दर्ज़ है। राज्य का लगभग एक तिहाई हिस्सा वनाच्छादित है। राज्य की गारो, खासी तथा जयंतियापहाड़ियां अधिक ऊँची नही हैं। शिलांग शिखर, जिसकी उचाई 1966 मीटर है, सर्वोच्च शिखर है। कई गुफाओं में चूने जल की विभिन्न आकृतियां हैं जिनमें स्टेलैक्टाईट और स्टेलैग्माईट जैसी आकृतियां प्रसिद्ध हैं।
मेघालय प्रधानत: कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या मुख्य रूप से खेती पर ही निर्भर है। यहाँ की मिट्टी और जलवायु बाग़वानी के अनुकूल है। शीतोष्ण, उष्णोष्ण और उष्ण कटिबंधिय फलों और सब्जियों के उत्पादन की भी यहाँ पर अपार संभावनाएं हैं।
यहाँ की मुख्य फ़सलें चावल और मक्का हैं। इनके अतिरिक्त संतरे (खासी मेंडेरियन), अनन्नास, केला, कटहल और आलू बुखारा, नाशपाती तथा आड़ू जैसे शीतोष्ण फलों के लिए प्रसिद्ध है। नकदी फ़सलों में आलू, हल्दी, अदरक,काली मिर्च, सुपारी, पान टैपियोका, छोटे रेशे वाली कपास, पटसन और मेस्टा, सरसों और तोरिया हैं। इस समय तिलहनों (मूँगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी), काजू, स्ट्रॉबरी, चाय और कॉफी, मशरूम, जड़ी-बूटियों, ऑर्किड आदि फूलों की खेती पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
सांस्कृति : -
यह क्षेत्र जनजातीय संस्कृति और लोक परम्परा से समृद्ध है। भैंस के सींगों, बाँसुरी और मृदंगों से निकली स्वर लहरियों के साथ नृत्य और मदिरापान यहाँ के सामाजिक समारोहों व धार्मिक अनुष्ठानों का अभिन्न अंग है।विवाह सम्बन्ध अपने कुल-गोत्र के बाहर होते हैं। 19वीं सदी के मध्य में ईसाईयत के आगमन और उसके साथ जुड़ी सख़्त नैतिकता ने अनेक जनजातीय और सामुदायिक संस्थाओं को क्षति पहुँचाई है। गारो जाति के लोगों में एक विचित्र प्रथा यह है कि शादी के बाद सबसे छोटा दामाद अपने सास-ससुर के घर आकर रहने लगता है और उसकी सास के मायके में उसके ससुर का प्रतिनिधि नोकरोम बन जाता है। यदि ससुर की मौत हो जाती है तो, नोकरोम की उसकी विधवा सास की शादी कर दी जाती है (और इस विवाह को दाम्पत्य की सम्पूर्णता भी प्रदान की जाती है) और इस तरह वह माँ और बेटी, दोनों का पति बन जाता है। यह रिवाज अब ख़त्म होता जा रहा है। ख़ासियों में पहले नरबलि की प्रथा भी थी। मेघालय राज्य में अनेक गुफ़ाएँ, पर्वत शिखर, बाग़, झील-रिज़ॉर्ट स्थल, ख़ूबसूरत दृश्यावलियाँ, गर्म पानी के सोते और जलप्रपात हैं। प्रमुख पर्यटक स्थल हैं- शिलांग, उमियाम झील, चेरापूँजी, मॉसिनराम, जाक्रीयम, माईरांग, जोवाई, नार्तियांग, थदलाशीन, तुरा, सीजू और बलपाक्रम राष्ट्रीय उद्यान।
जिले
- पूर्वी गारो हिल्स
- पूर्वी खासी हिल्स
- जयंतिया हिल्स
- री भोई
- दक्षिण गारो हिल्स
- पश्चिम गारो हिल्स
- पश्चिम खासी हिल्स
पर्यटन स्थल
मेघालय में बहुत से ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जहां पर प्रकृति अपने भव्य रूप में उपस्थित है। राजधानी शिलांग में भी अनेकसुन्दर स्थल हैं। जिनमें वार्डस लेक, उमियाम झील, लेडी हैदरी उद्यान, पोलो ग्राउंड, मिनी चिडियाघर, हाथी झरना, और शिलांग की पर्वत चोटी प्रमुख हैं। शिलांग की पर्वत चोटी से पूरे नगर का दृश्य दिखाई देता है। यहाँ का गोल्फ कोर्स देश के अच्छे गोल्फ कोर्स मैदानों में से एक है। शिलांग समुद्र तल से 1496 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह असम को काट कर बनाया गया है। शिलांग का मनोरम प्राकृतिक परिवेश पूरे वर्ष अवकाश बिताने के लिए उत्तम है। गाड़ी से जाने योग्य पर्वतीय स्थानों में से एक माना जाने वाला शिलांग ऐसा पर्यटन स्थल जहाँ इतना अधिक पैदल नहीं चलना होता। शिलांग की उपयुक्त सुविधाएं, मनोरम दृश्य, खुशहाल लोग, बादल और लंबे पाइन के पेड़, पर्वत, घाटियाँ, दलदल और एक शानदार गोल्फ कोर्स शिलांग को एक अच्छा गंतव्य बनाते हैं। खांसी, जैंतिया और गारो पहाडियों के लोग एक रंगबिरंगी जीवन शैली जीते हैं और साथ ही वे अपनी परंपराएं भी निभाते हैं। शिलांग मेघालय में अन्य स्थानों पर जाने के लिए एक आधार के तौर पर कार्य कर सकता है। पश्चिमी गारो पहाड़ी ज़िले में स्थित नोकरेक नेशनल पार्क और बायोस्फीयर रिजर्व तूरा से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है। नोक रेक गारों पहाडियों को सबसे ऊंचा बिन्दु है और यहाँ हाथी तथा हू लॉक गिब्बन सहित अनेक प्रकार की वन्य प्रजातियाँ पाई जाती हैं। नोक रेक नेशनल पार्क की स्थापना नोकरेक में तथा इसके आस पास वाले स्थानों में जंगली हाथियों के समूह, पक्षियों की दुर्लभ किस्में तथा दुर्लभ ऑर्किड के संरक्षण के लिए की गई थी। इस पार्क में सिट्रस इंडिका की अत्यंत दुर्लभ प्रजाति पाई जाती है जिसका नाम है मेमांग नारंग (भावनाओं का संतरा)। नोकरेक को जंगली मनुष्य का घर माना जाता है और नोकरेक के गांव के आस पास इन्हें देखे जाने के मामले बताए गए हैं। यह राष्ट्रीय वन्य जीवन पार्क तूरा से लगभग 167 किलोमीटर की दूरी पर है। यह दुनिया के सबसे अधिक दुर्लभ लाल पांडा का घर माना जाता है। इसका सामान्य रूप से नाम लेसर पांडा है। बालपकाराम का अर्थ है लगातार चलती हवाओं का घर जो बाघ, हाथी, बायसन, काले भालू, चीते, सांभर, हिरण सहित अनेक प्रकार के वन्य जंतुओं के साथ लगभग 220 वर्ग किलोमीटर में फैला है।
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