प्यार में गिला सिकवा ( Hindi Shayari ), - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

प्यार में गिला सिकवा ( Hindi Shayari ),

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जो बात मुनासिब है वो हासिल नहीं करते;
जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे हैं;
बे-इल्म भी हम लोग हैं ग़फ़लत भी है तेरी;
अफ़सोस के अंधे भी हैं और सो भी रहे हैं।


ज़िंदा रहे तो क्या है, जो मर जाएं हम तो क्या;
दुनिया से ख़ामोशी से गुज़र जाएं हम तो क्या;
हस्ती ही अपनी क्या है ज़माने के सामने;
एक ख्वाब हैं जहान में बिखर जायें हम तो क्या।



एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है;
जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है;
मैं जो ज़िद्दी हूँ तो वो भी है अना का कैदी;
मेरे कहने पे कहाँ उसने चले आना है।




ज़िन्दगी में हमेशा नए लोग मिलेंगे;
कहीं ज्यादा तो कहीं कम मिलेंगे;
ऐतबार ज़रा सोच समझ कर करना;
मुमकिन नहीं हर जगह तुम्हें हम मिलेंगे।




तू छोड़ दे कोशिशें इंसानो को पहचानने की;
यहाँ ज़रूरत के हिसाब से सब बदलते नक़ाब हैं;
अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डाल कर;
हर शख्स कहता है ज़माना बड़ा खराब है।


ना जाने यह नज़रें क्यों उदास रहती हैं;
ना जाने इन्हे किसकी तलाश रहती है;
जानती हैं यह कि वो किस्मत में नहीं;
लेकिन फिर भी ना जाने क्यों उन्हें पाने की आस रखती हैं।




कब तक रह पाओगे आखिर यूँ दूर हम से;
मिलना पड़ेगा आखिर कभी ज़रूर हम से;
नज़रें चुराने वाले ये बेरुखी है कैसी;
कह दो अगर हुआ है कोई कसूर हम से।


और भी बनती लकीरें दर्द की शायद कई;
शुक्र है तेरा खुदा जो हाथ छोटा सा दिया;
तूने जो बख्शी हमें बस चार दिन की ज़िंदगी;
या ख़ुदा अच्छा किया जो साथ छोटा सा दिया।

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