भूल गए वो यह कि उन्हें हसाया किसने था; जब वो रूठे थे तो मनाया किसने था; वो कहते हैं वो बहुत अच्छे है शायद; वो भूल गए कि उन्हें यह बताया किसने था।
ज़िंदा रहे तो क्या है, जो मर जायें हम तो क्या; दुनिया से ख़ामोशी से गुज़र जायें हम तो क्या; हस्ती ही अपनी क्या है ज़माने के सामने; एक ख्वाब हैं जहान में बिखर जायें हम तो क्या। |
मेरी कबर पे वो रोने आये हैं; हम से प्यार है ये कहने आये हैं; जब ज़िंदा थे तो रुलाया बहुत; अब आराम से सोये हैं तो जगाने आये हैं।
वक़्त का पता नहीं चलता अपनों के साथ, पर अपनों का पता चलता है, वक़्त के साथ; वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ, पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं वक़्त के साथ।
किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह; वो आशना भी मिला हमसे अजनबी की तरह; किसे ख़बर थी बढ़ेगी कुछ और तारीकी; छुपेगा वो किसी बदली में चाँदनी की तरह। |
कितना इख़्तियार था उसे अपनी चाहत पर; जब चाहा याद किया जब चाहा भुला दिया; बहुत अच्छे से जानता है वो मुझे बहलाने के तरीके; जब चाहा हँसा दिया जब चाहा रुला दिया।
ना छेड़ क़िस्सा वो उल्फत का; बड़ी लम्बी यह कहानी है; हारे नहीं हम अपनी ज़िन्दगी से; यह तो किसी अपने की मेहरबानी है।
वादा करके निभाना भूल जाते हैं; लगा कर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैं; ऐसी आदत हो गयी है अब तो सनम की; रुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं।
हसीनों ने हसीन बन कर गुनाह किया; औरों को तो क्या हमको भी तबाह किया; पेश किया जब ग़ज़लों में हमने उनकी बेवफाई को; औरों ने तो क्या उन्होंने भी वाह - वाह किया। |
वादे वफ़ा करके क्यों मुकर जाते हैं लोग; किसी के दिल को क्यों तड़पाते हैं लोग; अगर दिल लगाकर निभा नहीं सकते; तो फिर क्यों दिल से इतना लगाते हैं लोग।
सब फ़साने हैं दुनियादारी के, किस से किस का सुकून लूटा है; सच तो ये है कि इस ज़माने में, मैं भी झूठा हूँ तू भी झूठा है। |
एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है; जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है; मैं जो ज़िद्दी हूँ तो वो भी कुछ कम नहीं; मेरे कहने पर कहाँ उसने चले आना है।
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