आज का चिंतन : जून, - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

आज का चिंतन : जून,

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चिंतन (सूक्तियाँ) एक झलक : जून
  • नीच व्यक्ति किसी प्रशंसनीय पद पर पहुंचने के बाद सबसे पहले अपने स्वामी को ही मारने को दौड़ता है। ~ नारायण पंडित
  • खुद डरा हुआ व्यक्ति दूसरों को भी डरा देता है। ~ प्रश्नव्याकरणसूत्र
  • श्रेष्ठ व्यक्तियों का सम्मान करके उन्हें अपना बना लेना दुर्लभ पदार्थों से भी अधिक दुर्लभ है। ~ तिरुवल्लुवर
  • प्रेम करने वाला पड़ोसी दूर रहने वाले भाई से कहीं उत्तम है। ~ चाणक्य
  • प्राप्त हुए धन का उपयोग करने में दो भूलें हुआ करती हैं, जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए। अपात्र को धन देना और सुपात्र को धन न देना। ~ वेद व्यास
  • बैरी भी अद्भुत कार्य करने पर प्रशंसा के पात्र बन जाते हैं। ~ सोमेश्वर
  • श्रेष्ठ पुरुषों के मनोरथों को पूर्ण करने में श्रेष्ठ पुरुष ही समर्थ होते हैं। ~ अज्ञात
  • अशुद्ध साधनों का परिणाम अशुद्ध ही होता है। ~ गांधी
  • संतुष्ट मन वाले के लिए सदा सभी दिशाएं सुखमयी हैं। ~ भागवत
  • धनों में श्रद्धारूपी धन ही श्रेष्ठतम है। ~ अश्वघोष


  • जीवित होते हुए भी मृत के समान कौन है? जो पुरुषार्थहीन है। ~ शंकराचार्य
  • अपने पर अविश्वास का होना अश्रद्धा का रूप है। प्रश्नों का उत्पन्न न होना तो तम या मूर्च्छा है। संदेह या प्रश्नों को परास्त करने की शक्ति ही जिज्ञासु की श्रद्धा कहलाती है। ~ वासुदेवशरण अग्रवाल
  • श्रद्धा या आस्था के बिना जीवन-दृष्टि तो नहीं होती, जीने का ढर्रा या नक्शा-भर बन सकता है। ~ अज्ञेय
  • मन में प्रसन्नता और बड़ी आकांक्षा पैदा कर देना श्रद्धा की पहचान है। ~ मिलिंदप्रश्न
  • चाहे गुरु पर हो और चाहे ईश्वर पर हो, श्रद्धा अवश्य रखनी चाहिए, क्योंकि बिना श्रद्धा के सब बातें व्यर्थ होती हैं। ~ समर्थ रामदास
  • यदि प्रेम स्वप्न है तो श्रद्धा जागरण। ~ रामचंद्र शुक्ल
  • मनुष्य के सारे व्यवहारों में ज्वार भाटा का सा उतार चढ़ाव होता है। यदि मनुष्य बाढ़ को पकड़े तो भाग्य की ड्योढ़ी पर पहुंच जाए। ~ शेक्सपियर
  • मनुष्य के लिए जीवन में सफलता का रहस्य हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है। ~ डिजरायली
  • अवसर भी बुद्धिमान के ही पक्ष में लड़ता है, मूर्ख के नहीं। ~ यूरीपेडीज
  • अवसर बार बार हाथ नहीं लगता। ऐसा मत सोचो कि अवसर तुम्हारा द्वार दोबारा खटखटाएगा। ~ सफोक्लीज
  • समय और उचित अवसर पर बोला गया एक शब्द युगों की बात है। ~ कार्लाइल
  • अवसर के अनुकूल आचरण हमें कहीं का कहीं पहुंचा देता है। ~ चेखव


  • ऐसी कोई वस्तु नहीं जो अभ्यास से प्राप्त न की जा सकती हो। कोई अभ्यास के बल पर आकाश में गति पा लेते हैं। कोई बाघ और सांपों को काबू कर लेते हैं। कोई तो अभ्यास से शब्द ब्रह्मा को मात दे देते हैं। ~ संत ज्ञानेश्वर
  • अभ्यास करते करते जड़मति भी सुजान हो जाता है। रस्सी पर बार बार आने-जाने से पत्थर पर भी निशान बन जाता है। ~ वृंद
  • अभ्यास के लिए अभिलाषा जरूरी है। जिस अभिलाषा में शक्ति नहीं, उसकी पूर्ति असंभव है। ~ गुलाब रत्न वाजपेयी
  • जीवन में कोई भी कार्य कठिन नहीं होता। मन से अभ्यास करने से हर कार्य संभव हो जाता है। ~ अज्ञात
  • अधिक संपन्न होने पर भी जो असंतुष्ट रहता है, वह सदा निर्धन है। धन से रहित होने पर भी जो संतुष्ट रहता है, वह सदा धनी है। ~ अश्वघोष
  • जिसकी अभिलाषाएं नहीं मरतीं, वह मरकर भी भटकते हैं। अभिलाषाओं से मुक्ति ही प्रभु में विलय है। ~ स्वामी हरिहर चैतन्य
  • मेरा लक्ष्य संसार से मैत्री है और मैं अन्याय का प्रबलतम विरोध करते हुए भी दुनिया को अधिक से अधिक स्नेह दे सकता हूं। ~ महात्मा गांधी
  • जिस प्रकार फूल के रंग या गंध को बिना हानि पहुंचाए भौंरा रस को लेकर चल देता है, उसकी प्रकार मुनि ग्राम में विचरण करे। ~ इल्लीस जातक
  • विषयों की खोज में दुख है। उनकी प्राप्ति होने पर तृप्ति नहीं होती। उनका वियोग होने पर शोक होना निश्चित है। ~ अश्वघोष
  • शूरवीर व्यक्ति जलहीन बादल के समान व्यर्थ गर्जना नहीं करते। ~ वाल्मीकी

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