ए. के. गोपालन (जन्म- 1 अक्टूबर, 1904, कन्नूर, केरल; मृत्यु- 22 मार्च, 1977, तिरुवनंतपुरम, केरल) भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक और केरल के प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेता थे। इन्होंने सात वर्ष तक अध्यापन कार्य भी किया था। निर्धन छात्रों के लिए वे अलग से कक्षाएँ लगाते थे। जब महात्मा गाँधी ने 'सत्याग्रह आन्दोलन' शुरू किया, तब ए. के. गोपालन ने अध्यापक का पद त्याग दिया।
वर्ष 1934 में कांग्रेस समाजवादी पार्टी बनने पर वे उसके सदस्य बन गए थे। बाद में उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। 1932 ई. में 'गुरुवायूर सत्याग्रह' में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही तथा मन्दिर प्रवेश के मुद्दे पर उनकी पिटाई भी हुई। इसके पश्चात्त गोपालन ने पूरे केरल में जनजागरण यात्राएँ कीं। बाद में उनका झुकाव कम्युनिज़्म की तरफ होने लगा तथा वे केरल के सबसे लोकप्रिय कम्युनिस्ट नेता बने। केरल में काँग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही थी। देशभक्ति की भावना उनके अन्दर आरम्भ से ही थी। पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए वे अलग से कक्षाएँ लगाते और खादी का प्रचार करते थे। 1930 में जब गांधीजी ने 'नमक सत्याग्रह' आरम्भ किया, तो गोपालन ने अध्यापक का पद त्याग दिया और सत्याग्रह में भाग लेने के कारण गिरफ्तार कर लिए गए। ए. के. गोपालन ने 1932-1933 के 'असहयोग आन्दोलन' में भाग लिया और 1934 में कांग्रेस समाजवादी पार्टी बनने पर वे उसके सदस्य बन गए। बाद में इस पार्टी के केरल के सब सदस्यों ने कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। गोपालन ने किसानों और मज़दूरों को संगठित करने में अपनी शक्ति लगाई। इसमें इन्होंने केरल के कन्नूर से मद्रास तक 750 मील लम्बे मोर्चे का नेतृत्व किया था।
मार्च, 1941 में गिरफ्तार करके जब इन्हें जेल में बन्द कर दिया गया तो, सितम्बर में वे जेल तोड़कर बाहर निकल आए। फिर 5 वर्ष तक भूमिगत रहकर काम करते रहे। स्वतंत्रता के बाद भी उन्हें 1947 में नज़रबन्दी क़ानून में गिरफ्तार किया गया। किन्तु हाईकोर्ट के निर्णय पर वे रिहा हो गए। ए. के. गोपालन का निधन 22 मार्च, 1977, 'तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज' में हुआ।
मार्च, 1941 में गिरफ्तार करके जब इन्हें जेल में बन्द कर दिया गया तो, सितम्बर में वे जेल तोड़कर बाहर निकल आए। फिर 5 वर्ष तक भूमिगत रहकर काम करते रहे। स्वतंत्रता के बाद भी उन्हें 1947 में नज़रबन्दी क़ानून में गिरफ्तार किया गया। किन्तु हाईकोर्ट के निर्णय पर वे रिहा हो गए। ए. के. गोपालन का निधन 22 मार्च, 1977, 'तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज' में हुआ।
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