दामोदर मेनन भारत के प्रमुख स्वतन्त्रता सेनानियों में से एक थे। इनका जन्म 10 जून, 1906 ई. को केरल के 'करमलूर' नामक स्थान पर हुआ था। इन्होंने क़ानून की डिग्री प्राप्त की थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू तथा महात्मा गाँधी का इनके जीवन पर व्यापक प्रभाव था।
दामोदर मेनन ने 'महाराजा कॉलेज', त्रिवेंद्रम और 'रंगून यूनिवर्सिटी', बर्मा (वर्तमान म्यांमार) से शिक्षा पाई थी। इसके बाद इन्होंने त्रिवेंद्रम से क़ानून की डिग्री ली। किन्तु उनकी रूचि सार्वजनिक कार्यों और पत्रकारिता में अधिक थी। वे गाँधी जी और जवाहरलाल नेहरू जी से प्रेरित होकर वे स्वतंत्रता-संग्राम में सम्मिलित हो गए। 1930 ई. के नमक सत्याग्रह और 1932 ई. के सविनय अवज्ञा आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भाग लिया और जेल में भी रहे।
समाजवादी विचारों के होते हुए भी दामोदर मेनन गाँधी जी के अहिंसा के सिद्धांत में विश्वास करते थे। उनके आर्थिक विचार बड़े उदार थे। वे मानते थे कि धर्म व्यक्ति का निजी मामला है। इसीलिए वे अंतर्जातीय ही नहीं, भिन्न धर्मावलंबियों के बीच विवाह-सम्बन्धों के भी समर्थक थे।
समाजवादी विचारों के होते हुए भी दामोदर मेनन गाँधी जी के अहिंसा के सिद्धांत में विश्वास करते थे। उनके आर्थिक विचार बड़े उदार थे। वे मानते थे कि धर्म व्यक्ति का निजी मामला है। इसीलिए वे अंतर्जातीय ही नहीं, भिन्न धर्मावलंबियों के बीच विवाह-सम्बन्धों के भी समर्थक थे।
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