चेप्पूदिरा मुथाना पुनाचा (Cheppudira Muthana Poonacha ; जन्म- 16 जून, 1910, कुर्ग कर्नाटक; मृत्यु- 3 अगस्त, 1990), जिन्हें आमतौर पर सी. एम. पुनाचा के नाम से जाना जाता है, स्वतंत्रता सेनानी तथा राजनीतिज्ञ थे। वे कुर्ग में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के सदस्यों में से एक थे। इनके पूर्वज कुर्ग राज्य केदीवान रहे थे। सी. एम. पुनाचा 1930 में स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए थे।
आज़ादी के बाद वे कुर्ग के मुख्यमंत्री बने। मैसूर राज्य बनने पर सी. एम. पुनाचा 1956 में उद्योग तथा वाणिज्य मंत्री रहे। अपने विद्यार्थी जीवन में ही सी. एम. पुनाचा 'भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन' में रूचि होने के कारण अध्ययन छोड़कर सन 1930 में स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गये। सन 1932 तथा 1933 में उन्हें दो बार कारावास की सज़ा मिली। इसके बाद 1940-1941 में व्यक्तिगत रूप से सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें फिर से कारावास की सज़ा काटनी पड़ी। वर्ष 1935 में सी. एम. पुनाचा कुर्ग ज़िला कांग्रेस कमेटी के सेक्रेटरी रहे। 1938 में प्रान्तीय कमेटी की कार्यकारिणी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य तथा कुर्ग ज़िला बोर्ड के लिए निर्वाचित हुए तथा 1941 में इसके अध्यक्ष भी रहे। सी. एम. पुनाचा सन 1945-1951 तक परिषद के कांग्रेस विधायक दल के नेता भी रहे। वे 1947-1951 में संविधान सभा के सदस्य तथा अस्थायी संसद के सदस्य रहे। देश की आज़ादी के बाद सी. एम. पुनाचा 1952-1956 में कुर्ग के मुख्यमंत्री बने। नया मैसूर राज्य निर्मित होने पर सी. एम. पुनाचा 1956 में उद्योग तथा वाणिज्य मंत्री रहे तथा बाद में गृह कार्य तथा उद्योग मंत्री रहे। सी. एम. पुनाचा का निधन 3 अगस्त, 1990 को हुआ।
के. केलप्पन : -
के. केलप्पन (K. Kelappan ; जन्म- 24 अगस्त, 1889, कालीकट, केरल; मृत्यु- 7 अक्टूबर, 1971) केरल के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता, स्वतन्त्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। ये महात्मा गाँधी से बहुत प्रभावित थे। जब गाँधी जी ने 'असहयोग आन्दोलन' प्रारम्भ किया तो के. केलप्पन ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी और आन्दोलन में कूद पड़े।
वर्ष 1930 में 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' के समय गाँधी जी ने उन्हें प्रथम सत्याग्रही नामजद किया था। के. केलप्पन 'मुम्बई विश्वविद्यालय में क़ानून की पढ़ाई कर ही रहे थे कि इसी समय महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन आरंभ कर दिया। देश भक्त और मातृभूमि से प्रेम करने वाले के. केलप्पन ने भी विश्वविद्यालय छोड़ दिया और आन्दोलन में योगदान देने के लिए उसमें सम्मिलित हो गए। बाद के दिनों में के. केलप्पन मुम्बई से मालाबार चले गए। उस समय 'असहयोग आन्दोलन' और ख़िलाफ़त आन्दोलन' बड़े जोर-शोर से साथ-साथ चल रहे थे। आंदोलन में भाग लेने के कारण गिरफ़्तार होने वाले के. केलप्पन केरल के पहले व्यक्ति थे। 1930 ई. के 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने उन्हें केरल से प्रथम सत्याग्रही नामजद किया था। बाद के दिनों में के. केलप्पन मुम्बई से मालाबार चले गए। उस समय 'असहयोग आन्दोलन' और ख़िलाफ़त आन्दोलन' बड़े जोर-शोर से साथ-साथ चल रहे थे। आंदोलन में भाग लेने के कारण गिरफ़्तार होने वाले के. केलप्पन केरल के पहले व्यक्ति थे। 1930 ई. के 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने उन्हें केरल से प्रथम सत्याग्रही नामजद किया था। समाज सुधार और छूआछूत निवारण के क्षेत्र में भी के. केलप्पन अग्रणी व्यक्ति थे। मंदिर प्रवेश के 'वायकोम सत्याग्रह' में उनके ऊपर पुलिस की मार भी पड़ी। गुरुवायुर के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर में हरिजनों के प्रवेश पर रोक लगी हुई थी, इसके लिए उन्होंने 10 महीने तक सत्याग्रह का नेतृत्व किया और अंत में भूख हड़ताल पर बैठे गए। राष्ट्रभक्त के. केलप्पन का निधन 7 अक्टूबर, 1971 में हुआ।

के. केलप्पन : -
के. केलप्पन (K. Kelappan ; जन्म- 24 अगस्त, 1889, कालीकट, केरल; मृत्यु- 7 अक्टूबर, 1971) केरल के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता, स्वतन्त्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। ये महात्मा गाँधी से बहुत प्रभावित थे। जब गाँधी जी ने 'असहयोग आन्दोलन' प्रारम्भ किया तो के. केलप्पन ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी और आन्दोलन में कूद पड़े।

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