तालीकोटा का युद्ध 1565 ई., - Study Search Point

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तालीकोटा का युद्ध 1565 ई.,

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तालीकोटा का युद्ध 25 जनवरी, 1565 ई. को लड़ा गया था। इस युद्ध को 'राक्षसी तंगड़ी का युद्ध' और 'बन्नीहट्टी का युद्ध' के नाम से भी जाना जाता है। विजयनगर साम्राज्य के विरोधी महासंघ में अहमदनगरबीजापुरगोलकुण्डा और बीदर शामिल थे। गोलकुण्डा और बरार के मध्य पारस्परिक शत्रुता के कारण बरार इसमें शामिल नहीं था।
इस महासंघ के नेता 'अली आदिलशाह' ने रामराय से रायचूर एवं 'मुद्गल' के क़िलो को वापस माँगा। रामराय द्वारा माँग ठुकराये जाने पर दक्षिण के सुल्तानों की संयुक्त सेना 'राक्षसी-तंगड़ी' की ओर बड़ी, जहाँ पर 25 जनवरी, 1565 को रामराय एवं संयुक्त मोर्चे की सेना में भंयकर युद्ध प्रारम्भ हुआ। इस युद्ध के प्रारम्भिक क्षणो में संयुक्त मोर्चा विफल होता हुआ नज़र आया, परन्तु अन्तिम समय में तोपों के प्रयोग द्वारा मुस्लिम संयुक्त सेना ने विजयनगर सेना पर कहर ढा दिया, जिसके परिणामस्वरूप युद्ध क्षेत्र में ही सत्तर वर्षीय रामराय को घेर कर मार दिया गया। इस युद्ध में रामराय की हत्या हुसैन शाह ने की थी। राजा रामराय की पराजय व उसकी मौत के बाद विजयनगर शहर को निर्मतापूर्वक लूटा गया। इस युद्ध की गणना भारतीय इतिहास के विनाशकारी युद्धो में की जाती है। इस युद्ध को 'बन्नीहट्टी के युद्ध' के नाम से भी जाना जाता है। तालीकोटा की लड़ाई 25 जनवरी 1565 ईस्वी को दक्कन की सल्तनतों और विजयनगर साम्राज्य के बीच लड़ा गया था! विजयनगर साम्राज्य की यह लडाई राक्षस-तांगड़ी नामक गावं के नजदीक लड़ी गयी थी. इस युद्ध में विजय नगर साम्राज्य को हार का सामना करना पड़ा! तालीकोटा  की लड़ाई के समय, सदाशिव राय विजयनगर साम्राज्य का शासक था! लेकिन वह एक कठपुतली शासक था! वास्तविक शक्ति उसके मंत्री राम राय द्वारा प्रयोग किया जाता था! सदाशिव राय नें दक्कन की इन सल्तनतों के बीच अंतर पैदा करके उन्हें पूरी तरह से कुचलने की कोशिश की थी! हालाकि बाद में इन सल्तनतों को विजयनगर के इस मंसूबे के बारे में पता चल गया था और उन्होंने एकजुट होकर एक गठबंधन का निर्माण किया था! और विजयनगर साम्राज्य पर हमला बोल दिया था! दक्कन की सल्तनतों ने विजयनगर की राजधानी में प्रवेश करके उनको बुरी तरह से लूटा और सब कुछ नष्ट कर दिया!
इसके परिणाम
• तालीकोटा की लड़ाई के पश्चात् दक्षिण भारतीय राजनीति में विजयनगर  राज्य की प्रमुखता समाप्त हो गयी!
• मैसूर के राज्य, वेल्लोर के नायकों और शिमोगा में केलादी के नायकों नें विजयनगर से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की!
• यद्यपि दक्कन की इन सल्तनतों नें विजयनगर की इस पराजय का लाभ नहीं उठाया और पुनः पहले की तरह एक दुसरे से लड़ने में व्यस्त हो गए और अंततः मुगलों के आक्रमण के शिकार हुए!
विजयनगर की हार के कारण
• दक्कन की सल्तनतों की तुलना में  विजयनगर के सेना में घुड़सवार सेना की कम संख्या थी, अतः विजयनगर के सेना को पराजय का सामना करना  पड़ा ,
• दक्कन की सल्तनतों की तुलना में  विजयनगर के सेना में जो भी हथियार इस्तेमाल किये जा रहे थे वे अधिक परिष्कृत नहीं थे!
• दक्कन की सल्तनतों के तोपखाने युद्ध में बेहतर थे!
• विजयनगर की हार का सबसे बड़ा कारण गिलानी भाइयों का विश्वासघात था जिसके कारण विजयनगर की सेना को पराजय का सामना करना पड़ा,

1 टिप्पणी:

  1. हल्दीघाटी का दर्रा इतिहास में महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच हुए युद्ध के लिए प्रसिद्ध है। यह राजस्थान में एकलिंगजी से 18 किलोमीटर की दूरी पर है। यह अरावली पर्वत शृंखला में खमनोर एवं बलीचा गांव के मध्य एक दर्रा (pass) है। यह राजसमन्द और पाली जिलों को जोड़ता है। यह उदयपुर से ४० किमी की दूरी पर है। इसका नाम 'हल्दीघाटी' इसलिये पड़ा क्योंकि यहाँ की मिट्टी हल्दी जैसी पीली है।[
    Battle Of Haldighati | #Eduemerald | History By Piyush Khatri Sir

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