अंकुरित आहार स्वास्थ्य का आधार, अदरक : एक अच्छे स्वास्थ्य के लिये, - Study Search Point

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अंकुरित आहार स्वास्थ्य का आधार, अदरक : एक अच्छे स्वास्थ्य के लिये,

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अंकुरित आहार -
➤ अंकुरित भोजन क्लोरोफिल, विटामिन (`ए´, `बी´, `सी´, `डी´ और `के´) कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होता है।
➤ अंकुरीकरण की प्रक्रिया में अनाज/दालों में पाए जाने वाले कार्बोहाइट्रेड व प्रोटीन और अधिक सुपाच्य हो जाते हैं।
अंकुरित आहार न सिर्फ हमें उन्नत रोग प्रतिरोधी व उर्जावान बनाता है बल्कि शरीर का आंतरिक शुद्धिकरण कर रोग मुक्त भी करता है । अंकुरित आहार अनाज या दालों के वे बीज होते जिनमें अंकुर निकल आता हैं इन बीजों की अंकुरण की प्रक्रिया से इनमें रोग मुक्ति एवं नव जीवन प्रदान करने के गुण प्राकृतिक रूप से आ जाते हैं। अंकुरित भोजन क्लोरोफिल, विटामिन (`ए´, `बी´, `सी´, `डी´ और `के´) कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होता है। अंकुरित भोजन से काया कल्प करने वाला अमृत आहार कहा गया है अर्थात् यह मनुष्य को पुनर्युवा, सुन्दर स्वस्थ और रोगमुक्त बनाता है। यह महँगे फलों और सब्जियों की अपेक्षा सस्ता है, इसे बनाना खाना बनाने की तुलना में आसान है इसलिये यह कम समय में कम श्रम से तैयार हो जाता है। खड़े अनाजों व दालों के अंकुरण से उनमें उपस्थित अनेक पोषक तत्वों की मात्रा दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है, मसलन सूखे बीजों में विटामिन 'सी' की मात्रा लगभग नहीं के बराबर होती है लेकिन अंकुरित होने पर लगभग दोगुना विटामिन सी इनसे पाया जा सकता है।
अंकुरण की प्रक्रिया से विटामिन बी कॉम्प्लेक्स खासतौर पर थायमिन यानी विटामिन बी१, राइबोप्लेविन यानी विटामिन बी२ व नायसिन की मात्रा दोगुनी हो जाती है। इसके अतिरिक्त 'केरोटीन' नामक पदार्थ की मात्रा भी बढ़ जाती है, जो शरीर में विटामिन ए का निर्माण करता है। अंकुरित करने की प्रक्रिया में अनाज पानी सोखकर फूल जाते हैं, जिनसे उनकी ऊपरी परत फट जाती है व इनका रेशा नरम हो जाता है। परिणामस्वरूप पकाने में कम समय लगता है और वे बच्चों व वृद्धों की पाचन क्षमता के अनुकूल बन जाते हैं। अंकुरित करने के लिये चना, मूँग, गेंहू, मोठ, सोयाबीन, मूँगफली, मक्का, तिल, अल्फाल्फा, अन्न, दालें और बीजों आदि का प्रयोग होता है। अंकुरित भोजन को कच्चा, अधपका और बिना नमक आदि के प्रयोग करने से अधिक लाभ होता है। द्विदलीय अंकुरित (चना, मूंग, मोठ, मटर, मूंगफली, सोयाबीन, आदि) के साथ टमाटर, गाजर, खीरा, ककड़ी, शिमला मिर्च, हरे पत्ते (पालक, पुदीना, धनिया, बथुआ, आदि) और सलाद, नींबू मिलाकर खाना बहुत ही स्वादिष्ट और स्वास्थ्यदायक होता है। इसे कच्चा खाने बेहतर है क्यों कि पकाकर खाने से इसके पोषक तत्वों की मात्रा एवं गुण में कमी आ जाती है। अंकुरित दानों का सेवन केवल सुबह नाश्ते के समय ही करना चाहिये। एक बार में दो या तीन प्रकार के दानों को आपस में मिला लेना अच्छा रहता है। यदि ये अंकुरित दाने कच्चे खाने में अच्छे नहीं लगते तो इन्हें हल्का सा पकाया भी जा सकता है।

➤ अंकुरित करने वाले बीजों को कई बार अच्छी तरह पानी से धोकर एक शीशे के जार में भर लें शीशे के जार में बीजों की सतह से लगभग चार गुना पानी भरकर भीगने दें अगले दिन प्रातःकाल बीजों को जार से निकाल कर एक बार पुनः धोकर साफ सूती कपडे में बांधकर उपयुक्त स्थान पर रखें ।
➤ गर्मियों में कपडे के ऊपर दिन में कई बार ताजा पानी छिडकें ताकि इसमें नमी बनी रहे।
➤ गर्मियों में सामान्यतः २४ घंटे में बीज अंकुरित हो उठते हैं सर्दियों में अंकुरित होने में कुछ अधिक समय लग सकता है । अंकुरित बीजों को खाने से पूर्व एक बार अच्छी तरह से धो लें! यथासंभव इसमें नमक न मिलाना ही हितकर है।
➤ अंकुरित करने से पूर्व बीजों से मिटटी, कंकड़ पुराने रोगग्रस्त बीज निकलकर साफ कर लें। प्रातः नाश्ते के रूप में अंकुरित अन्न का प्रयोग करें । प्रारंभ में कम मात्रा में लेकर धीरे-धीरे इनकी मात्रा बढ़ाएँ।
➤ अंकुरित अन्न अच्छी तरह चबाकर खाएँ।


स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी -
अदरक  : एक अच्छे स्वास्थ्य के लिये
➤ अदरक का प्रयोग गले को सुरीला बनाने के लिये किया जाता है।
➤ अदरक का उपयोग नमकीन और मीठे दोनों प्रकार के व्यंजनों में सुगंध के लिये होता है।
➤ 1930 से 1960 के बीच भारत अदरक का उत्पादन करने वाले विश्व के तीन प्रमुख देशों में से एक था।
➤ अदरक एक उच्च कोटि की कीटाणुनाशक है। इसके इस गुण को ध्यान में रखते हुए ही भारत की लगभग 76 प्रतिशत व्यंजन विधियों में इसका प्रयोग होता है।
अदरक का इतिहास अत्यंत रोचक है। कहते हैं इसको 2500 वर्ष ईसा पूर्व चीन से यूरोप ले जाया गया और वहाँ से यह अन्य अमरीका और आस्ट्रेलिया पहुँची। जमैका में इसके प्रयोग के विषय में 1500 वर्ष ईसापूर्व के विवरण मिलते हैं। किन्तु इससे बहुत पहले भारत में इसका प्रयोग भोजन और चिकित्सा के क्षेत्र में विकास पा चुका था।  इसे घरेलू औषधि के रूप में माना गया है। शास्त्रों में यह महौषध, विश्वौषध या विश्वा के नाम से भी सुशोभित है। "आर्द्रक" यानि "आर्द्र" अर्थात गीला। नम रहने तक यह अदरक तथा सूखने पर सौंठ बन जाता है। नम रूप में इसकी तासीर ठंडी व सौंठ रूप में गर्म होती है, जिसे चरक संहिता में बलबद्धर्क कहा गया है। सूखने पर अदरक खराब नहीं होता और वजन में यह हल्का हो जाता है। शक्ति और स्फूर्ति का अनमोल खजाना अदरक भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में प्रयोग में लिया जाता है। कम्बोडिया में इसे टॉनिक तथा चीन, मलेशिया व अफ्रीका में औषधि के रूप में काम में लेते हैं। पौष्टिक और बलदायक अदरक मसाले के साथ उपयोगी व स्वादवर्धक है। चरक ने इसे "वृश्य" माना है क्योंकि वृष अर्थात सांड पौऋा का प्रतीक है। वायु, वात और कफ नाशक अदरक शरीर को चुस्त और स्वस्थ बनाता है वहीं स्मरण शक्ति बढ़ाते हुए सौंदर्य के निखार में भी उपयोगी है। लगातार खांसी आरही हो तो अदरक की एक फांक मिश्री या शहद के साथ चूसने से आराम मिलता है। खट्टी,मीठी चटनी, सलाद, मिर्च मसालों, साग, सब्जियों मूली व नींबू के साथ, चाय में या फलों के रस में उपयोगी अदरक सर्दी, जुकाम, खांसी ब्रोंकाइटिस, दमा, क्षय, अजीर्ण, अफारा, वात एवं कफ आदि अनेक दुसाध्य रोगों में उपयोगी है। "अदरक पाक" प्राय: बच्चों को सर्दी खाँसी में दिया जाता है। 
➤ सोंठ का चूर्ण अजीर्ण या पेट के रोग में काले नमक के साथ खिलाने पर लाभ होता है।
➤ सौंठ, हरड़ व  अजमोद कूट पीस कपड़े से छान कर बनाया गया चूर्ण 3-4 ग्राम सुबह शाम गुनगुने पानी के साथ लेने से गठिया रोग में लाभप्रद होता है।
➤ मसूढ़े फूलने पर एक चम्मच अदरक रस एक कप गुनगुने पानी में चुटकी भर नमक मिलाकर दिन में तीन बार मुँह में कुल्ले की तरह पानी घुमाकर पीने से मसूढ़ों की टीस, सूजन जैसे विकार दूर होते हैं। मवाद हो तो केवल कुल्ला करके जल बाहर ही थूक दें।
➤ अदरक का रस और शहद मिलाकर चाटने से सर्दी में कफ से छुटकारा मिलता है व बलगमी खाँसी में भी लाभकारी हैं।
➤ अदरक के रस में नींबू का रस व नमक मिलाकर खाने से अपच नहीं होता। अदरक के रस में गर्म पानी मिलाकर गरारा करने सें बंद गला खुलकर आवाज सुरीली होती है।
➤ दस-दस ग्राम सौंठ व मिश्री पीस कर शहद में मिली गोली खाने से बंद गला खुलता है।
➤ दस ग्राम की मात्रा में अदरक, लहसुन और काला नमक गन्ने के सिरके में खरल कर पीने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं तथा इनके कारण होने वाले वमन, आफरा. अजीर्ण तथा पेट दर्द की शिकायत भी दूर होती है।
➤ अदरक की दो गाँठें, एक मूली और आधे नीबू का रस मिली चटनी में इच्छानुसार नमक मिलाकर खाने से जिगर की सूजन मिट जाती है।
➤ शीत गर्मी से उछली पित्ती, जिससे शरीर पर चिकत्ते उभरते हैं तथा असहनीय खुजली व जलन होने लगती है, के कष्ट में अदरक का रस व शहद मिलाकर चटावें या अदरक-अजवाइन और पुराना गुड़ कूट पीस लें। चार-चार घंटे के अन्तर में बीस-बीस ग्राम की फाँकी गुनगुने पानी के साथ देने पर आराम आ जाता है।

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