कौन जिम्मेदार धरती के बढ़ते तापमान के लिए.., - Study Search Point

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कौन जिम्मेदार धरती के बढ़ते तापमान के लिए..,

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धरती के बढ़ते तापमान के लिए जिम्मेदार कार्बन डाइआक्साइड गैसों के उत्सर्जन के मामले में भारत भले ही चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर हो लेकिन जनसंख्या के अनुपात के लिहाज से वह इस मामले में कई देशों से काफी पीछे है! ब्रिटिश पेट्रोलियम की ओर से वर्ल्ड एनर्जी पर जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार एक भारतीय नागरिक की तुलना में ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा और अमेरिका के नागरिक पांच से 12 गुना अधिक कार्बन उत्सर्जन करते हैं, जबकि दुनिया की कुल आबादी का छठवां हिस्सा समेटे भारत प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन के मामलें में 20 वें स्थान पर है! भारत अपनी कुल 1 अरब 27 करोड़ आबादी के साथ सालाना 1.93 अरब टन कार्बन उत्सर्जन करता है, जबकि जापान महज 12 करोड़ 70 लाख आबादी के साथ 1.4 टन कार्बन उत्सर्जन कर रहा है! इस लिहाज से एक जापानी नागरिक भारतीय नागरिक की तुलना में सात गुना अधिक कार्बन उत्सर्जन कर रहा है!
इसी तरह दुनिया की एक चौथाई से भी कम आबादी वाले देश चीन और अमेरिका वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में 44 प्रतिशत का योगदान कर रहे हैं, जबकि रूस और यूरोपीय देश इसमें 20 प्रतिशत का योगदान कर रहे हैं! इसमें भारत का योगदान महज 5.5 प्रतिशत है! ये आंकड़े इस बात का प्रमाण है कि ग्रीन हाउस गैसों का सबसे ज्यादा उत्सर्जन चीन तथा कई विकसित देशों की ओर से हो रहा है! ऐसे में यह सवाल लाजिमी है के ये देश कार्बन डाइआक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को घटाने के लिए भारत पर दबाव कैसे बना रहे हैं! इसका बड़ा कारण देश में ईंधन के मुख्य स्रोत के रूप में कोयले का इस्तेमाल है! कोयला जीवाश्म ईंधन की श्रेणी में आता है, जिसे पर्यावरण विशेषज्ञ कार्बन डाइआक्साइड का सबसे बड़ा स्रोत मानते हैं! भारत के साथ विवशता यह है कि देश की एक चौथाई आबादी के पास अभी भी बिजली की पहुंच नहीं है! ईधन और ऊर्जा के लिए कोयला पर उसकी सर्वाधिक निर्भरता है! घरेलू कामकाज के साथ ही कल कारखानों में भी कोयला ही मुख्य रूप से इस्तेमाल होता है! तेल और प्राकृतिक गैस की अपेक्षा कोयला सस्ता पड़ता है! यह भी इसके बढ़ते इस्तेमाल की एक मुख्य वजह है! भारत एक तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था है! ऐसे में औद्योगिक गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं, जिसके लिए बिजली चाहिए! बिजली उत्पादन के लिए ईंधन की दरकार है! कोयला इसका सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है! यही वजह है कि भारत दुनिया में कोयले की खपत वाला तीसरा बड़ा देश बन चुका है! पर्यावरण विशेषज्ञ भारत में कोयले के इस कदर इस्तेमाल को लेकर चिंतित हैं! उनका मानना है कि कोयले पर यह निर्भरता यदि इसी तरह बनी रही तो पर्यावरण को इससे बड़ा नुकसान होगा! लेकिन तर्क यह भी है कि ऐसा अकेले भारत में नहीं हो रहा पूरी दुनिया में ईंधन की कुल खपत में कोयले, तेल और प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 86 प्रतिशत है और ये सभी जीवाश्म ईंधन ही हैं! यदि भारत जीवाश्म ईंधनों पर अपनी निर्भरता घटाता है तो उसे परमाणु ऊर्जा, हाइड्रोपावर और नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल बढाना होगा!

By - NBP

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