समर्थ किसान - समृद्ध भारत के तहत भारत सरकार की योजनाएं., - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

समर्थ किसान - समृद्ध भारत के तहत भारत सरकार की योजनाएं.,

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समर्थ किसान - समृद्ध भारत
(10. 5. 2018)

किसान और बजट 2018-19 -
➤ कृषि मंत्रालय के लिए बजट आवंटन 2018 -19 वित्त वर्ष के लिए 13 प्रतिशत बढ़कर 58,080 करोड़ रुपये हुआ, 2017-18 में यह 51,576 करोड़ रुपये था।
➤ 2018-19 के लिए कृषि ऋण लक्ष्य 11 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया  जो 2017-18 में 10 लाख करोड़ रुपये और 2016-17 में 9 लाख करोड़ रुपये था।
➤ मत्स्य पालनऔर पशुपालन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन।
➤ कृषि बाजार बुनियादी ढांचा फंड: कृषि-बाजार आधारभूत संरचना निधि के रूप में 2,000 करोड़ रुपये आवंटित।
राष्ट्रीय बांस मिशन : छोटे उद्योगों की स्थापना और बांस क्षेत्र में नए रोजगार सृजित करने के लिए 1,290 करोड़ रुपये की घोषणा ।
➤ कृषि पश्चात गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कर प्रोत्साहन।
ऑपरेशन ग्रीन्स : बजटीय परिव्यय के साथ ऑपरेशन फ्लड की तर्ज पर 500 करोड़ रुपये का इंतजाम।  किसानों और उपभोक्ताओं की सहायता के लिए टमाटर, प्याज और आलू (टॉप) जैसे उत्पादों की कीमत में अस्थिरता की चुनौती को दूर करने के लिए दी गयी राशि
ग्रामीण कृषि‍ बाजार : 86 प्रतिशत से ज्‍यादा छोटे और सीमांत किसानों के हितों को ध्‍यान में रखते हुए मौजूदा 22000 ग्रामीण कृषि बाजाारों का विकास और उन्‍नयन। इन बाजारों के डिजिटल रूप से ई नाम से जुड़ने से किसानों को सीधे उपभोक्‍ताओं और थोक खरीदारों को अपने उत्‍पाद बेचने में आसानी होगी।
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना : कृषि क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला अवसंरचना को उन्‍नत बनाने के लिए प्रधानमंत्री किसान संपदा योजनाकी शुरुआत
➤ खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बजटीय आवंटन दोगुना किया गया।
➤ 2009-14 की तुलना में 2014-19 में बजटीय आवंटन 74.5 प्रतिशत बढ़ाकर 1,21,082 करोड़  से 2,11,694 करोड़ रुपये कर दिया गया।
2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्‍य -
सात सूत्री रणनीति -
➤ प्रति बूंद अधिक फसल के लक्ष्‍य के साथ सिंचाई पर विशेष ध्‍यान केन्द्रित करते हुए पर्याप्‍त बजट आंवटन।
➤ हर खेत के लिए उसकी मिट्टी के हिसाब से गुणवत्‍ता युक्‍त बीजों और पोषक उर्वरकों की व्‍यवस्‍था
➤ खाद्य प्रसंस्‍करण के माध्‍यम से मूल्‍य संवर्द्धन।
➤ बाधाओं को दूर करते हुए ई प्‍लैटफार्म के जरिए 585 स्टेशनों में राष्‍ट्रीय कृषि बाजार की  स्‍थापना।
➤ जोखिम से निबटने के लिए किफायती दर पर नयी फसल बीमा योजना की शुरुआत।
➤ मुर्गी पालन , मधुमक्‍खी पालन और मत्‍स्‍य पालन जैसे कृषि से जुड़े अन्‍य व्‍यवसायों को प्रोत्‍साहन।
एकीकृत  'हरित क्रांति -  कृषोन्‍नति योजना'
➤ कृषि क्षेत्र के 11 कार्यक्रमों को मिलाकर बनी  'हरित क्रांति कृषोन्‍नति योजना'।
उद्धेश्‍य : कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों का वैज्ञानिक तरीकों से सार्वभौमिक विकास और उत्‍पादन,उत्‍पादकता तथा उपज से बेहतर आमदनी के जरिए किसानों की आय दोगुना करना।
अवधि : 33,269.976 करोड़ रूपये की लागत से यह कार्यक्रम तीन वित्‍त वर्षों – 2017-18,  2018-19 और 2019-20 तक जारी रहेगा।
'हरित क्रांति कृषोन्‍नति योजना' के अंतर्गत मिशन/कार्यक्रम : -
(i)  समन्वित बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच)।
(ii)  राष्‍ट्रीय तिलहन एवं ऑयल पाम मिशन (एनएमओओपी) सहित राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनआईएफएस)
(iii)  राष्‍ट्रीय टिकाउ कृषि मिशन (एनएमएसए)
(iv)  कृषि विस्‍तार उप-मिशन (एसएमएई)
(v)  बीज एवं पादप सामग्री उप-मिशन (एसएमएसपी)
(vi)  कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (एसएमएएम)
 (vii)  पादप संरक्षण और पादप संगरोधन उपमिशन (एसएमपीपीक्‍यू)
(viii)   समन्वित कृषि गणना, अर्थव्‍यवस्‍था एवं सांख्यिकी कार्यक्रम (आईएसएसीईएस)
(ix)  समन्वित कृषि सहयोग कार्यक्रम (आईएसएसी)
(x)  समन्वित कृषि विपणन कार्यक्रम (आईएसएएम)
(xi)  राष्‍ट्रीय ई-गवर्नेंस कार्यक्रम: उन्नत फसल उत्पाद (2017-18 अनुमानित)

➤ 275 मिलियन टन से अधिक अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन और लगभग 305.4 मिलियन टन बागवानी उत्पादन।
न्यूनतम समर्थन मूल्य और खरीद -
➤ खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्‍य में लागत की तुलना में  डेढ़गुना वृद्धि।
➤ 2017-18 में खरीफ मौसल की दालों की एमएसपी- अरहर का न्यूनतम समर्थ मूल्य 5050 रुपये से बढ़कर 5,450 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। उड़द का एमएसपी 5,000 रुपये से बढकर 5,400 रुपये प्रति क्विंटल ,मूंग का एमएसपी 5,225 रुपये से बढ़कर 5,575 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया ।
➤ रबी दालों की एमएसपी में पर्याप्त वृद्धि। चने का न्यूनमत समर्थन मूल्य 4,000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 4400 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। मसूरकी दाल का एमएसपी 3950 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 4250 रुपएप्रत‍ि क्विंटल कर दिया गया।
➤ दालों  का बफर स्टॉक 1.5 लाख टन से बढ़कर 20 लाख टन हो गया ।
➤ पिछले साल के 231.3 लाख मिट्रिक टन की तुलना में 2017-18 (दूसरे अग्रिम अनुमानों के मुताबिक) में दालों का उत्पादन 3.5 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया, जो एक रिकॉर्ड है।
➤ प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना कृषि क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला बुनियादी ढांचे को उन्‍नत बनाने के लिए शुरू की गई।
➤ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को प्रोत्‍साहित करने के लिए कृषि सम्‍पदा योजना के तहत बजट आवंटन दोगुना हुआ।

उर्वरक (डी/ओ उर्वरक) उर्वरक सब्सिडी -
➤ उर्वरक सब्सिडी: यूरिया और पोषक तत्वों की सब्सिडी करीब 8 फीसदी बढ़कर 70000 करोड़ रुपये हो गई।
उर्वरक सब्सिडी में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण -
➤ सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को 1 मार्च 2018 से उर्वरकों के मामले में डीबीटी के ढांचे के तहत लाया।
➤ सभी प्रकार के सब्सिडी वाले सभी प्रकार के उर्वरकों की बिक्री पीओएस मशीनों के के जरिए खुदरा दुकानों से करने की व्‍यवस्‍था की गयी। इस सुविधा के लिए लाभार्थियों की आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और किसान क्रेडिट कार्ड आदि के जरिए करने की व्‍यवस्‍था है।
➤ इसके लिए शुरुआती प्रशिक्षण के दौरान करीब 2.05 लाख खुदरा कारोबारियों को जानकारी उपलब्ध करायी गयी।
 पायलट जिलों में डीबीटी का सफल क्रियान्‍वयन -
➤ डीबीटी के क्रियान्‍वयन से उर्वरकों की बिक्री प्रणाली सुव्‍यवस्थित हुयी। नीम कोटेड यूरिया की वजह से जिलों में खुदरा कारोबारियों और किसानों को उर्वरकों की कोई कमी नहीं हुयी।
➤ मोबाइल आधारित उर्वरक प्रबंधन प्रणाली (एमएफएमएस) से लाभार्थी किसानों की पहचान आसान हुयी। सब्सिडी भुगतान में देरी से बचने के लिए उर्वरक कंपनियों द्वारा एमएफएमएस पर उर्वरकों की बिक्री करने वाले खुदरा कारोबारियों और सहकारी इकाइयों की जानकारी अपलोड की गयी है।
➤ पीओएस मशीन पर उर्वरक खरीद का भुगतान करने से दुकानदारों द्वारा  किसानों से उर्वरकों की ज्‍यादा कीमत वसूलने के मामले कम हुए हैं , क्‍योंकि पीओएस मशीन से मिलने वाली भुगतान की रसीद में उर्वरक का मूल्‍य और उसपर सरकार द्वार दी जा रही सब्सिडी दोनों अंकित होता है।
➤ इससे किशनगंज के रास्‍ते नेपाल और बंगलादेश को उर्वरकों की सीमा पार बिक्री के मामले भी घटे हैं।
नीम कोटेड यूरिया -
➤ सरकार द्वारा 25.5.2015 से यूरिया को नीम कोटेड बनाना अनिवार्य बनाया गया।
➤ स्‍वदेशी यूरिया और आयातित यूरिया की शत-प्रतिशत नीम कोटिंग का लक्ष्‍य क्रमश: 01 सितंबर, 2015 और 01 दिसंबर, 2015 तक प्राप्‍त कर लिया गया।
➤ मृदा यानी मिट्टी के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार।
➤ पादपों को कीटो के संक्रमण से बचाने के लिए उपयोग में लाए  जाने वाले  रसायनों के इस्‍तेमाल में कमी।
➤ कीटों और बीमारियों के हमलों में कमी दर्ज हुई। 
➤ कृषि से भिन्‍न उद्देश्‍यों में अत्‍यधिक सब्सिडी वाले यूरिया का इस्‍तेमाल घटकर नगण्‍य रह गया।
➤ धान,गन्‍ने,मकई ,सोयाबीनऔर अरहर का उत्‍पादन बढ़ा
➤ पिछले तीन सालों -2014-15, 2015-16और 2016-17 के दौरान उर्वरकों के इस्‍तेमाल में प्रति हेक्‍टेयर - प्रति किलोग्राम की दर से कमी आयी और यह क्रमश 152.53श,149.61 तथा 140.84 रह गया। ऐसा नीम कोटेड यूरिया की वजह से हुआ जिसके इस्‍तेमाल से नाइट्रोजन का प्रवाह घटा और मृदा की क्षमता बढ़ी।

किसान हितैषी नई यूरिया नीति 2015 -
➤ नई यूरिया नीति 1 जून, 2015 से प्रभावी ।
➤ यूरिया उत्पादन को ऊर्जा दक्ष बनाना, स्वदेशी स्तर पर यूरिया का अधिकतम उत्पादन तथा केन्द्र सरकार द्वारा यूरिया पर दी जाने वाली सब्सिडी का बोझ कम करना।
➤ घरेलू यूरिया उत्पादक क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना।
उर्वरक सब्सिडी के भुगतान के लिए बैकां के जरिए विशेष व्‍यवस्‍था -
➤ उर्वरक कंपनियों के लिए कार्यशली पूंजी की व्‍यवस्‍था करने के लिए उर्वरक विभाग की ओर से विशेष बैंकिंग व्‍यवस्‍था की गयी । इसके तहत 2017-18 के दौरान राष्‍ट्रीय बैंकों के जरिए 7 हजार करोड़ रूपए की राशि जारी करने की व्‍यवस्‍था की गयी। सब्सिड का ज्‍यादातर बोझ सरकार द्वारा वहन किया गया।
➤ 50 किलोग्राम के यूरिया बैग की जगह 45 किलोग्राम के यूरिया बैग की शुरूआत : 4.9.2017 से
➤ आर्थिक मामलो की मंत्रीमंडलीय समित‍ि ने 20 फरवरी 2018 को यूरिया के(242 किलोग्राम) प्रति बैग की अधिकतम मूल्‍य को मंजूरी दी। पी एंड के उर्वरकों की दरों में कमी। 
उर्वरक क्षेत्र के लिए नई निवेश नीति 2012 -
सरकार ने उर्वरक क्षेत्र में नई निवेश नीति 2012 की घोषणा 2 जनवरी, 2013 को की। उर्वरक क्षेत्र में नये सिरे से निवेश को सुगम बनाने तथा उर्वरक उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 7 अक्टूबर, 2014 को इसमें संशोधन किया।
➤ मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड कैमिकल्स लिमिटेड, पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में सालाना 1.3 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता वाले अमोनिया-यूरिया इकाई लगाएगी। इसमें 1 अक्टूबर, 2017 से उत्पादन शुरू हो जाएगा।
➤ चम्बल फर्टिलाइजर्स एंड कैमिकल्स लिमिटेड, राजस्थान के गाडेपान में 1.34 मिलियन मीट्रिक टन सालाना उत्पादन क्षमता वाली इकाई लगाएगी। इस इकाई में जनवरी, 2019 से उत्पादन शुरू हो जाने की संभावना है।

सिटी कंपोस्ट योजना -
➤ सिटी कंपोस्ट को प्रोत्साहित करने की नीति 10 फरवरी, 2016 को अधिसूचित की गई। इस नीति के तहत शहर के कंपोस्ट के उत्पादन और खपत को बढ़ाने के लिए विपणन विकास सहायता (एमडीए) 1500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से प्रदान की जाती है। (2016)
➤ विभाग के सतत् प्रयासों के कारण 2017-18 के दौरान सिटी कंपोस्ट की बिक्री 1.64 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गई और इस दौरान 7.26 करोड़ रुपये की विपणन विकास सहायता दी गई।
ई - नाम (कृषि) -
➤ प्रधानमंत्री द्वारा 14 अप्रैल, 2016 को राष्‍ट्रीय साझा कृषि बाजार योजना का शुभारंभ कि‍या गया।
➤  ई-नाम के जरिये किसानों को अपनी फसलों की बेहतर कीमतें मिल सकेंगी।
➤  ई-नाम पर 16 राज्यों और 2 संघ शासित प्रदेशों की 585 मंडियां सीधे जुड़ी हैं।
➤  ई-नाम प्लेटफॉर्म के जरिए 8 मई 2018 तक 46025 करोड़ रुपये मूल्य के 182.75 लाख टन कृषि उत्पादों का लेनदेन किया गया।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड (कृषि) -
➤ उवर्रक के उपयोग और इससे जुड़े खर्चों में कमी के लिए योजना शुरू की गई।
➤ 2015-17 के दौरान पहले चरण में 10.70 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए।
➤ 2017-18 के दौरान दूसरे चरण में 3.5 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए
➤ मृदा स्‍वास्‍थ्‍य प्रबंधन योजना के अंतर्गत 2014-2017 के दौरान राज्‍यों 243.82 करोड़ रुपये जारी किए गए, जबकि 2011-2014 के दौरान 27.76 करोड़ रुपये जारी किए गए थे
➤ मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत, 2014-17 के दौरान राज्यों को 401.65 करोड़ रूपए जारी किए गए।
➤ 2014-17 के बीच राज्यों के लिए 8752 मिनी लैबों सहित 9243 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं मंजूर की गईं, जबकि 2011-14 के दौरान इसकी संख्‍या मात्र 15 थीं।
➤ 1076 नई मिनी प्रयोगशालाओं और सभी 648 किसान विकास केन्द्रों के 100% कवरेज के लिए आरकेवीवाई योजना के तहत आईसीएआर को 925.36 लाख रुपये की राशि जारी की गई है।
➤  स्थानीय उद्यमियों द्वारा गांव स्तर पर मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना के लिए योजना मंजूर की गई।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना -
➤ हर खेत को पानी : हर खेत को पानी सुनिश्चित करने के लिए योजना को 01 जुलाई 2015 को कैबिनेट की मंजूरी।
➤  ‘हर खेत को पानी’ का लक्ष्‍य प्राप्‍त करने के लिए पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
➤  किसानों को सौर पंप लगाने में मदद करने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना -
➤ किसानों के लिए अब तक की सबसे कम प्रीमियम दर तथा अतिरिक्‍त लाभ वाली फसल बीमा योजना की सुविधा 13 जनवरी, 2016 को शुरू की गई।
➤ 13 जनवरी, 2016 को इसकी शुरुआत हुई। 2018-19 बजट में लगभग 21% की वृद्धि कर 21,000 करोड़ रुपये किया गया जो कि 2017-18 में 10701 करोड़ रुपये था।
➤ फसल बीमा में केंद्र सरकार द्वारा अब तक की सबसे बड़ी वित्तीय सहायता।
➤ 2018-19 तक फसल बीमा कवरेज को 20% से 50% तक बढ़ाने की योजना है।
 गन्ना किसानों को सीधी सब्सिडी -
➤ गन्‍ना किसानों को सीधी सब्सिडी : सीधे गन्‍ना किसानों के खातों में धनराशि भेजी गई
➤ गन्ना किसानों को दी जाने वाली बकाया राशि पहले की तुलना काफी कम हुई।
➤ चीनी मौसम 2017-18 के दौरान गन्‍ने की पिराई पर चीनी मिल मालिकों को प्रति क्विंटल 5.50 रुपये की वित्‍तीय सहायता दी गई ताकी उन्हें किसानों की बकाया राशि अदा करने में मदद मिले।
परंपरागत कृषि विकास योजना -
➤ जैविक खेती को बढ़ावा : 2015-16 में 300 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ इस योजना की शुरुआत की गई, 2018-19 में 360 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ।
➤ पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के लिए जैविक मूल्‍य श्रृंखला-2015-2018 के लिए 400 करोड़ रुपये आवंटित,2015-2017 के दौरान 225.95 करोड़ रुपये जारी किये गये थे।
नीली क्रांति -
➤ मत्‍स्‍य पालन क्षेत्र में क्रांति, नीली क्रांति के अंतर्गत सभी मौजूदा योजनाओं को एकीकृत कर योजना की पुनर्संरचना की गई
➤ सभी मछली पालन योजनाओं का एकीकरण, नीली क्रांति योजना को मंजूरी।
➤  ‘पांच वर्षों के लिए 3000 करोड़ रूपये के व्यय से एकीकृत मछली पालन विकास एवं प्रबंधन’।
➤ मछुआरों की वार्षिक बीमा किश्‍त राशि को 29 रूपये से घटाकर 20.34 रूपये किया गया, जिससे अधिकांश मछुआरों ने बीमा कराया।
➤ दुर्घटना मृत्‍यु और स्‍थाई अपंगता के लिए बीमा कवर  राशि को 1.00 लाख रूपए से बढ़ाकर 2.00 लाख किया गया।
पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन -
➤ श्‍वेत क्रांति के लिए बजटीय प्रावधान को  2017-18 में 1136 करोड़ रूपये से 43.8%  बढ़ाकर 2018-19 में 1634 करोड़ रुपये किया गया।
➤ 2014-17 में सालाना औसत दूध उत्पादन 146.3 मिलियन टन से बढ़कर 2014-17 के दौरान 163.7 मिलियन टन हो गया जो लगभग 12% वृद्धि दर्शाता है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन -
➤  स्‍वदेशी नस्‍ल की गायों के संरक्षण एवं विकास के लिए 500 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ दिसंबर 2014 में स्‍वदेशी गौ प्रजनन अनुरक्षण एवं विकास हेतु नए राष्‍ट्रीय कार्यक्रम की पहल का शुभारंभ।
➤  20 गोकुल ग्रामों की स्‍थापना की गई है और 41 बुल मदर फार्म का आधुनिकीकरण किया जा रहा है।
आपदा में किसानों को सहायता -
➤ आपदा में किसानों को राहत अब न्‍यूनतम 50 प्रतिशत फसल नुकसान होने की जगह न्‍यूनतम 33 प्रतिशत नुकसान पर ही मिलेगी।
➤ फसलों के लिए इनपुट सब्सिडी हेतु सहायता राशि वर्षा सिंचित क्षेत्रों के लिए 51 प्रतिशत, सिंचित क्षेत्रों के लिए 50 प्रतिशत और बारहमासी क्षेत्रों के लिए 50 प्रतिशत बढ़ाई गई।
➤   अतिवृष्टि के फलस्‍वरूप खाद्यान को नुकसान होने पर पूर्ण न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य का भुगतान किया जाएगा।
➤ मृतक के परिवारों को बतौर सहायता अब 2.5 लाख रुपये के बजाय 4 लाख रुपये दिये जायेंगे।
छोटे किसानों के लिए सांस्थानिक क्रेडिट -
➤ इंटरेस्ट सबवेन्शन स्कीम (आईएसएस) के तहत एक वर्ष तक की अवधि के लिए प्रति वर्ष 7% की उप-ब्याज दर पर किसानों को 3 लाख रुपये तक लघु अवधि फसल ऋण बढ़ाया जाता है।
➤ फसल कटने के बाद आईएसएस भी समान ब्याज दर पर छोटे और सीमांत किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड परअल्‍पावधिफसल ऋण के तहत 6 महीने तक के लिए ऋण प्रदान करता है।
➤ किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना किसानों को अपनी खेती और अन्य जरूरतों के लिए एकल खिड़की के नीचे बैंकिंग प्रणाली से पर्याप्त और समय पर क्रेडिट समर्थन मुहैया कराता है।
➤ बैंकों द्वारा प्रोन्‍नत संयुक्‍त दायित्‍व समूह कृषिगत गतिविधियों और गैर-कृषि गतिविधियों को लेकर छोटे, सीमांत, बटाइदार किसानों को प्रोत्साहित करने का काम करता है।
➤ 24.53 लाख संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) ने 31 मार्च, 2017 तक पूरे देश में बैंकों द्वारा 26,848.13 करोड़ रुपये का ऋण प्रदान किए।

किसान चैनल (24X7) -
➤ किसानों के लिए समर्पित 24X7 किसान टीवी चैनल।

साभार - पी आइ बी

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