मराठा साम्राज्य के प्रमुख उत्तराधिकारी., - Study Search Point

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मराठा साम्राज्य के प्रमुख उत्तराधिकारी.,

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मराठा साम्राज्य या मराठा संघ,जो वर्त्तमान भारत के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है,ने 1674 से 1818 ई. तक शासन किया और अपने क्षेत्र का विस्तार किया। शिवाजी को मराठा साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है,जिन्होंने इसे संगठित रूप प्रदान किया। परन्तु पेशवाओं(साम्राज्य के प्रधान मंत्री) के अधीन इस साम्राज्य का तेजी से विस्तार हुआ। मोरे,घाटगे और निम्बालकर सर्वाधिक प्रभावशाली मराठा परिवार थे।

शम्भाजी(1680-1689 ई.) -
वे शिवाजी के छोटे पुत्र थे जो अपने बड़े भाई राजाराम के विरुद्ध उत्तराधिकार के युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद सिंहासनारुढ़ हुए। उसने राजपूत-मराठा गठबंधन को टालने के लिए और दक्कन सल्तनत से अपने पुराने संबंधों की पुन:स्थापना करने के लिए,अपने पिता की विस्तारवादी नीतियों को पुनः लागू किया। 1682 ई. में मुग़ल शासक औरंगजेब अपने विद्रोही पुत्र शहजादा अकबर का पीछा करते हुए दक्षिण भारत पंहुचा। शम्भाजी द्वारा शहजादा अकबर को शरण देने के कारण औरंगजेब ने उसकी हत्या करवा दी।
राजाराम(1689-1700 ई.) -
शम्भाजी की मृत्यु के बाद शिवाजी के दूसरे पुत्र राजाराम ने शासन संभाला और मराठों की परंपरा को आगे बढाया। उसने मराठों की विस्तारवादी नीति को जारी रखा और दक्कन के मुग़ल क्षेत्रों पर आक्रमण करने की परंपरा की शुरुआत की। अक्टूबर 1689 में,जुल्फिकार खान के नेतृत्व में, मुग़ल सेना ने रायगढ़ पर आक्रमण कर दिया और शम्भाजी के पुरे परिवार, जिसमे उनके पुत्र शाहू भी शामिल थे, को बंदी बना लिया गया। 1700 ई. में सतारा,जोकि जिंजी के पतन के मराठों की राजधानी बन गयी थी, में शंभाजी की मृत्यु हो गयी।
शिवाजी द्वितीय और ताराबाई(1700-1707 ई.) -
राजाराम की मृत्यु के बाद उसकी विधवा ताराबाई ने अपने पुत्र शिवाजी द्वितीय को गद्दी पर बिठाया और स्वयं उसकी संरक्षक बन गयी। उसने नागरिक व सैन्य दोनों सन्दर्भों में संकट के समय मराठा राज्य को स्थिरता प्रदान की। मुगलों ने चितपावन ब्राहमण बालाजी विश्वनाथ के सहयोग से ताराबाई को गद्दी से उतर दिया।
शाहू(1707-1749 ई.) -
मुग़ल शासक बहादुरशाह  ने शाहू को कैद से मुक्त कर दिया जिसके कारण ताराबाई और शाहू के मध्य मराठा गद्दी को लेकर संघर्ष प्रारंभ हो गया। शाहू ने ‘खेड़ा के युद्ध’ (12अक्टूबर,1707) में ताराबाई को परास्त कर सतारा पर कब्ज़ा कर लिया।
उसके शासनकाल में ही पेशवाओं की शक्ति का उदय  होना प्रारंभ हुआ और मराठा राज्य के मराठा संघ में रूपांतरण की प्रक्रिया शुरू हुई। उसी के शासनकाल के दौरान मराठा राज्य दो भागों-ताराबाई के नेतृत्व में कोल्हापुर और शाहू के नेतृत्व में सतारा,में बंट गया। इन दोनों प्रतिद्वंदी शक्तियों के मध्य शत्रुता अंततः 1731 ई. की ‘वर्ना संधि’ के द्वारा समाप्त हुई।
विशेष - मराठा साम्राज्य या मराठा महासंघ एक भारतीय साम्राज्यवादी शक्ति थी जो 1674 से 1818 तक अस्तित्व में रही। मराठा साम्राज्य की नींव छत्रपती शिवाजी ने 1674 में डाली। उन्होने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। बाद में आये पेशवाओनें इसे उत्तर भारत तक बढाया, ये साम्राज्य 1818 तक चला और लगभग पूरे भारत में फैल गया।
सातारा वंश -
➤ मराठा साम्राज्य छत्रपति शिवाजी को अपना खड्ग देते हुए भवानी की प्रतिमा
➤ छत्रपति शिवाजी (1627-1680)
➤ छत्रपति सम्भाजी (1680-1689)
➤ छत्रपति राजाराम प्रथम (1689-1700)
➤ महाराणी ताराबाई (1700-1707)
➤ छत्रपति शाहू (1707-1749) उर्फ शिवाजी द्वितीय, छत्रपति संभाजी का बेटा
➤ छत्रपति रामराज (छत्रपति राजाराम और महाराणी ताराबाई का पौत्र)
➤ छत्रपति शाहू द्वितीय(1777-1808)
कोल्हापुर वंश -
➥ महाराणी ताराबाई (1675-1761)
 शिवाजी द्वितीय (1700–1714)
➥ शिवाजी तृतीय (1760–1812)
➥ राजाराम प्रथम (1866–1870)
➥ शिवाजी पंचम (1870–1883)
➥ शहाजी द्वितीय (1883–1922)
➥ राजाराम द्वितीय (1922–1940)
➥ शाहोजी द्वितीय (1947–1949)
पेशवा -
➣ बालाजी विश्वनाथ (1713 – 1720)
➣ बाजीराव प्रथम (1720–1740)
➣ बालाजी बाजीराव (1740–1761)
➣ माधवराव पेशवा (1761–1772)
➣ नारायणराव पेशवा (1772–1773)
➣ रघुनाथराव पेशवा (1773–1774)
➣ सवाई माधवराव पेशवा (1774–1795)
➣ बाजीराव द्वितीय (1796–1818)
➣ अमृतराव पेशवा
➣ नाना साहिब

निष्कर्ष - अतः हम कह सकते है कि शिवाजी मराठा राज्य के संस्थापक थे, लेकिन उसका अत्यधिक विस्तार पेशवा-काल के दौरान ही हुआ।

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