ब्रेल लिपि दिवस : 4 जनवरी., - Study Search Point

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ब्रेल लिपि दिवस : 4 जनवरी.,

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मनाने का उद्देश्य - ब्रेल पद्धति का आविष्कार 1821 में एक नेत्रहीन फ्रांसीसी लेखक लुई ब्रेल ने किया था। इसी उपलक्ष्य में यह दिन मनाया जाता है।
तिथि : 4 जनवरी
सम्बंधित जानकारी - सन 2009 में 4 जनवरी को जब लुई ब्रेल के जन्म को पूरे दो सौ वर्षों का समय पूरे हुए तो लुई ब्रेल जन्म द्विशती के अवसर पर हमारे देश भारत ने इस अवसर पर उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया।
ब्रेल लिपि का जिन्होंने निर्माण किया वे थे फ़्रांस के निवासी लुई ब्रेल -
1809 में फ्रांस के एक छोटे से कस्बे कुप्रे के एक साधारण परिवार में जन्मे लुई ब्रेल ने अपने 43 वर्ष के छोटे से जीवन में अंधेपन का शिकार लोगों के लिए वह काम किया, जिसके कारण आज वह शिक्षित हैं, समाज की मुख्यधारा से जुड़े हैं, स्कूलों, कॉलेजों में दूसरे विद्यार्थियों की तरह पढ़ सकते हैं, व्यापार कर सकते हैं।
ब्रेल लिपि का विचार लुई के दिमाग में फ्रांस की सेना के कैप्टन चार्ल्स बार्बियर से मुलाकात के बाद आया. चार्ल्स ने सैनिकों द्वारा अंधेरे में पढ़ी जाने वाली नाइट राइटिंग और सोनोग्राफी (चिकित्सीय निदान (diagnostics) का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह पराश्रव्य ध्वनि पर आधारित एक चित्रांकन (इमेजिंग) तकनीक है। चिकित्सा क्षेत्र में इसके कई उपयोग हैं जिसमें से गर्भावस्था में गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी की प्राप्ति सर्वाधिक जानी मानी है।) के बारे में लुई को बताया था। यह लिपि कागज पर उभरी हुई होती थी और 12 बिंदुओं पर आधारित थी। लुई ब्रेल ने इसी को आधार बनाकर उसमें संशोधन कर उस लिपि को 6 बिंदुओं में तब्दील कर ब्रेल लिपि को इजात कर दिया।

➥ चार्ल्स बार्बियर द्वारा जिस लिपि का उल्लेख किया गया था, उसमें 12 बिंदुओ को 6-6 की पंक्तियों में रखा जाता था। उसमें विराम चिन्ह, संख्या और गणितीय चिन्ह आदि का समावेश नहीं था। लुई ने ब्रेल लिपि में 12 की बजाए 6 बिंदुओ का प्रयोग किया और 64 अक्षर और चिन्ह बनाए। लुई ने लिपि को कारगार बनाने के लिए विराम चिन्ह और संगीत के नोटेशन लिखने के लिए भी जरुरी चिन्हों का लिपि में समावेश किया। ब्रेल लिपि के तहत बिंदुओं को जोड़कर अक्षर, अंक और शब्‍द बनाए जाते हैं। 1825 में लुई ने एक ऐसी लिपि का आविष्कार किया जिसे ब्रेल लिपि कहा जाता है। इस लिपि में पहली किताब 1829 में प्रकाशित हुई। लुई ने लिपि का आविष्कार कर नेत्रहीन लोगों की शिक्षा में क्रांति ला दी।6 जनवरी 1852 को मात्र 43 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। उनके निधन के 16 वर्ष बाद 1868 में रॉयल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ ने इस लिपि को मान्यता दी। भारत सरकार ने 2009 में लुई ब्रेल के सम्मान में डाक टिकिट जारी किया था।
➥ भारतीय लिपियों को ब्रेल पद्धति से निरूपित करने के लिये विकसित एकसमान व्यवस्था को भारती ब्रेल कहते हैं , भारती ब्रेल 6 डॉट पर आधारित है। सन् 1951 के आसपास भारतीय लिपियों को लिखने की एकीकृत व्यवस्था स्वीकृत कर ली गयी जो श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश ने भी स्वीकार कर लिया है।

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