20 मार्च : विश्व गौरैया दिवस -
तिथि - विश्व गौरैया दिवस को हर साल 20 मार्च के दिन मनाया जाता है।
शुरुआत - विश्व गौरैया दिवस वर्ष 2010 से मनाया जा रहा है।
उद्देश्य - गौरैया के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इसके अलावा ये शहरी वातावरण में रहने वाले आम पक्षियों के प्रति जागरूकता लाने हेतु भी मनाया जाता है।
इस साल (2019) विश्व गौरैया दिवस के लिए विषय (थीम) - घर की गौरैया विलुप्त होने के कगार पर है। इस साल के लिए थीम - "आई लव लव स्पैरो" है। विषय को इस आशा से प्रेरित किया गया है कि हम में से अधिक लोग PEOPLE AND SPARROWS के बीच संबंधों का जश्न मनाएंगे।
विशेष -
नासिक निवासी मोहम्मद दिलावर ने घरेलू गौरैया पक्षियों की सहायता हेतु नेचर फोरेवर सोसाइटी की स्थापना की थी। इनके इस कार्य को देखते हुए टाइम ने 2008 में इन्हें हिरोज ऑफ दी एनवायरमेंट नाम दिया था। विश्व गौरैया दिवस मनाने की योजना भी इन्हीं के कार्यालय में एक सामान्य चर्चा के दौरान बनी थी। पर्यावरण के संरक्षण और इस कार्य में मदद की सराहना करने हेतु एनएफ़एस ने 20 मार्च 2011 में गुजरात के अहमदाबाद शहर में गौरैया पुरस्कार की शुरुआत की थी।
➤➤ इको-एसईएस एक्शन फाउंडेशन (फ्रांस) के अलावा, अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी हैं जो इस दिन के लिए सहयोग करते हैं। दिल्ली में तो गौरैया इस कदर दुर्लभ हो गई है कि ढूंढे से भी ये पक्षी नहीं मिलता, इसलिए वर्ष 2012 में दिल्ली सरकार ने इसे राज्य-पक्षी घोषित कर दिया।
गौरैया की घटती संख्या के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
1. भोजन और जल की कमी
2. घोसलों के लिए उचित स्थानों की कमी
3. तेज़ी से कटते पेड़-पौधे
4. गौरैया के बच्चों का भोजन शुरूआती दस-पन्द्रह दिनों में सिर्फ कीड़े-मकोड़े ही होते है, लेकिन आजकल लोग खेतों से लेकर अपने गमले के पेड़-पौधों में भी रासायनिक पदार्थों का उपयोग करते हैं, जिससे ना तो पौधों को कीड़े लगते हैं और ना ही इस पक्षी का समुचित भोजन पनप पाता है। इसलिए गौरैया समेत दुनिया भर के हज़ारों पक्षी आज या तो विलुप्त हो चुके हैं या फिर किसी कोने में अपनी अन्तिम सांसे गिन रहे हैं।
5. आवासीय ह्रास, अनाज में कीटनाशकों के इस्तेमाल, आहार की कमी और मोबाइल फोन तथा मोबाइल टॉवरों से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें गौरैया के अस्तित्व के लिए खतरा बन रही हैं।
तिथि - विश्व गौरैया दिवस को हर साल 20 मार्च के दिन मनाया जाता है।
शुरुआत - विश्व गौरैया दिवस वर्ष 2010 से मनाया जा रहा है।
उद्देश्य - गौरैया के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इसके अलावा ये शहरी वातावरण में रहने वाले आम पक्षियों के प्रति जागरूकता लाने हेतु भी मनाया जाता है।
इस साल (2019) विश्व गौरैया दिवस के लिए विषय (थीम) - घर की गौरैया विलुप्त होने के कगार पर है। इस साल के लिए थीम - "आई लव लव स्पैरो" है। विषय को इस आशा से प्रेरित किया गया है कि हम में से अधिक लोग PEOPLE AND SPARROWS के बीच संबंधों का जश्न मनाएंगे।
नासिक निवासी मोहम्मद दिलावर ने घरेलू गौरैया पक्षियों की सहायता हेतु नेचर फोरेवर सोसाइटी की स्थापना की थी। इनके इस कार्य को देखते हुए टाइम ने 2008 में इन्हें हिरोज ऑफ दी एनवायरमेंट नाम दिया था। विश्व गौरैया दिवस मनाने की योजना भी इन्हीं के कार्यालय में एक सामान्य चर्चा के दौरान बनी थी। पर्यावरण के संरक्षण और इस कार्य में मदद की सराहना करने हेतु एनएफ़एस ने 20 मार्च 2011 में गुजरात के अहमदाबाद शहर में गौरैया पुरस्कार की शुरुआत की थी।
➤➤ इको-एसईएस एक्शन फाउंडेशन (फ्रांस) के अलावा, अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी हैं जो इस दिन के लिए सहयोग करते हैं। दिल्ली में तो गौरैया इस कदर दुर्लभ हो गई है कि ढूंढे से भी ये पक्षी नहीं मिलता, इसलिए वर्ष 2012 में दिल्ली सरकार ने इसे राज्य-पक्षी घोषित कर दिया।
गौरैया की घटती संख्या के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
1. भोजन और जल की कमी
2. घोसलों के लिए उचित स्थानों की कमी
3. तेज़ी से कटते पेड़-पौधे
4. गौरैया के बच्चों का भोजन शुरूआती दस-पन्द्रह दिनों में सिर्फ कीड़े-मकोड़े ही होते है, लेकिन आजकल लोग खेतों से लेकर अपने गमले के पेड़-पौधों में भी रासायनिक पदार्थों का उपयोग करते हैं, जिससे ना तो पौधों को कीड़े लगते हैं और ना ही इस पक्षी का समुचित भोजन पनप पाता है। इसलिए गौरैया समेत दुनिया भर के हज़ारों पक्षी आज या तो विलुप्त हो चुके हैं या फिर किसी कोने में अपनी अन्तिम सांसे गिन रहे हैं।
5. आवासीय ह्रास, अनाज में कीटनाशकों के इस्तेमाल, आहार की कमी और मोबाइल फोन तथा मोबाइल टॉवरों से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें गौरैया के अस्तित्व के लिए खतरा बन रही हैं।
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