खुशनसीब
हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं, मरकर भी वो लोग अमर हो जाते हैं, करता हूँ
उन्हें सलाम ए वतन पे मिटने वालों, तुम्हारी हर साँस में तिरंगे का नसीब
बसता है…,
सन् 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के तुंरत बाद भारतीय थलसेना की स्थापना हुई थी। 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के ऍम करिअप्पा ने ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल सर फ्रांसिस बूचर से भारतीय थल सेना के कमांडर इन चीफ की जिम्मेदारी संभाली थी, इसी उपलक्ष में हर साल 15 जनवरी को थल सेना दिवस मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत यहां इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ होती है। इस दिन सेना के वीर जवान अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके देश पर सर्वस्व न्यौछावर करने के जज्बे को अधिक पुख्ता करते हैं, तथा अपने देशवासियों को यह एहसास कराते हैं कि हमारे रहते हुए आप तक कोई भी खतरा नहीं पहुंच सकता।
थल सेना की स्थापना - भारतीय सेना का गठन 1776 में कोलकाता में ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार के अधीन हुआ। (1 अप्रैल 1895, आधिकारिक तौर पर 123 वर्ष पहले) भारतीय सशस्त्र सेनाएँ का हिस्सा।
मुख्यालय - नई दिल्ली
आदर्श वाक्य - "सर्विस बिफोर सेल्फ़" (स्वपूर्व सेवा) भारतीय सेना का वर्ष 2019 का विषय : राष्ट्र सर्वोपरि
रंग - सुनहरा, लाल और काले रंग का समावेश,
थलसेनाध्यक्ष - जनरल बिपिन रावत
उप सेनाप्रमुख - लेफ्टिनेंट जनरल सरत चन्द ( वर्तमान 2019 तक )
भारत के राष्ट्रपति थलसेना का प्रधान सेनापति होता है। थल सेना की कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है, आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है (वे अधिकारी फ़ील्ड मार्शल के॰एम॰ करिअप्पा & फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ हैं)। भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, जो भारतीय राज्यों की सेना से हुई थी। जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये।
उद्देश्य - भारतीय सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी आक्रमण और आंतरिक खतरों से बचाव, और अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा को बनाए रखना हैं। यह प्राकृतिक आपदाओं और अन्य गड़बड़ी के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाते है।
भारतीय सेना ने संयुक्त राष्ट्र के कई शांति स्थापित करने की कार्यवाहियों में भाग लिया गया है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं : - अंगोला , कम्बोडिया, साइप्रस, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, अल साल्वाडोर, नामीबिया, लेबनान, लाइबेरिया, मोजाम्बिक, रवाण्डा, सोमालिया, श्रीलंका और वियतनाम| भारतीय सेना ने कोरिया में हुयी लड़ाई के दौरान घायलों और बीमारों को सुरक्षित लाने के लिये भी अपनी अर्द्ध-सैनिकों की इकाई प्रदान की है।
भारतीय
थलसेना को 13 कोर के अंतर्गत 35 प्रभागों में संगठित किया गया है। सेना का
मुख्यालय, भारतीय राजधानी नई दिल्ली में स्थित है, और यह सेना प्रमुख (चीफ
ऑफ़ दी आर्मी स्टाफ) के निरिक्षण में रहती हैं। सेना की 6 क्रियाशील
कमान(कमांड) और 1 प्रशिक्षण कमांड है। प्रत्येक कमान का नेतृत्व जनरल ऑफिसर
कमांडिंग इन चीफ होता है जोकि एक लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का अधिकारी होता
हैं।
भारतीय सेना वाहिनी के 3 प्रकार के होते हैं। कमान आम तौर पर 2 या अधिक कोर के होते हैं। अपने आदेश के तहत एक कोर सेना प्रभागों है। भारतीय सेना के पास वर्तमान में 32 रेजिमेंट कार्यरत है।
इन रेजिमेंट में सबसे पुरानी : -
1) मद्रास रेजिमेंट, मुख्यालय - वेलिंगटन, उधगमंडलम, तमिलनाडु, स्थापना - 1758
2) पंजाब रेजिमेंट, मुख्यालय - रामगढ़ छावनी, झारखंड, स्थापना - 1761
विशेष : -
1. भारतीय सेना का गठन 1776 में कोलकाता में ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार के अधीन हुआ था। फिलहाल देश भर में भारतीय सेना की 53 छावनियां और 9 आर्मी बेस हैं।
2. समुद्र तल से 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर दुनिया की सबसे ऊंचा रणक्षेत्र है।
3. भारतीय सेना के पास एक घुड़सवार रेजिमेंट भी है। दुनिया में इस तरह की अब बस तीन रेजिमेंट्स रह गई हैं, जिनमें से एक भारतीय सेना के पास है।
4. हिमालय पर्वत की द्रास और सुरु नदियों के बीच लद्दाख की घाटी में स्थित बेली पुल का निर्माण भारतीय सेना ने 1982 में किया था, जो दुनिया का सबसे ऊंचा पुल माना जाता है।
5. साल 1949 में जब जनरल करिअप्पा ने आखिरी ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल सर फ्रांसिस बूचर से भारतीय थल सेना के कमांडर इन चीफ की जिम्मेदारी संभाली थी, उस वक्त भारतीय थल सेना में करीब 2 लाख सैनिक थे, जबकि आज यह संख्या 13 लाख से भी ज्यादा है।
सन् 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के तुंरत बाद भारतीय थलसेना की स्थापना हुई थी। 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के ऍम करिअप्पा ने ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल सर फ्रांसिस बूचर से भारतीय थल सेना के कमांडर इन चीफ की जिम्मेदारी संभाली थी, इसी उपलक्ष में हर साल 15 जनवरी को थल सेना दिवस मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत यहां इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ होती है। इस दिन सेना के वीर जवान अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके देश पर सर्वस्व न्यौछावर करने के जज्बे को अधिक पुख्ता करते हैं, तथा अपने देशवासियों को यह एहसास कराते हैं कि हमारे रहते हुए आप तक कोई भी खतरा नहीं पहुंच सकता।
थल सेना की स्थापना - भारतीय सेना का गठन 1776 में कोलकाता में ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार के अधीन हुआ। (1 अप्रैल 1895, आधिकारिक तौर पर 123 वर्ष पहले) भारतीय सशस्त्र सेनाएँ का हिस्सा।
मुख्यालय - नई दिल्ली
आदर्श वाक्य - "सर्विस बिफोर सेल्फ़" (स्वपूर्व सेवा) भारतीय सेना का वर्ष 2019 का विषय : राष्ट्र सर्वोपरि
रंग - सुनहरा, लाल और काले रंग का समावेश,
थलसेनाध्यक्ष - जनरल बिपिन रावत
उप सेनाप्रमुख - लेफ्टिनेंट जनरल सरत चन्द ( वर्तमान 2019 तक )
भारत के राष्ट्रपति थलसेना का प्रधान सेनापति होता है। थल सेना की कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है, आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है (वे अधिकारी फ़ील्ड मार्शल के॰एम॰ करिअप्पा & फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ हैं)। भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, जो भारतीय राज्यों की सेना से हुई थी। जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये।
उद्देश्य - भारतीय सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी आक्रमण और आंतरिक खतरों से बचाव, और अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा को बनाए रखना हैं। यह प्राकृतिक आपदाओं और अन्य गड़बड़ी के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाते है।
भारतीय सेना ने संयुक्त राष्ट्र के कई शांति स्थापित करने की कार्यवाहियों में भाग लिया गया है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं : - अंगोला , कम्बोडिया, साइप्रस, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, अल साल्वाडोर, नामीबिया, लेबनान, लाइबेरिया, मोजाम्बिक, रवाण्डा, सोमालिया, श्रीलंका और वियतनाम| भारतीय सेना ने कोरिया में हुयी लड़ाई के दौरान घायलों और बीमारों को सुरक्षित लाने के लिये भी अपनी अर्द्ध-सैनिकों की इकाई प्रदान की है।
भारतीय सेना वाहिनी के 3 प्रकार के होते हैं। कमान आम तौर पर 2 या अधिक कोर के होते हैं। अपने आदेश के तहत एक कोर सेना प्रभागों है। भारतीय सेना के पास वर्तमान में 32 रेजिमेंट कार्यरत है।
इन रेजिमेंट में सबसे पुरानी : -
1) मद्रास रेजिमेंट, मुख्यालय - वेलिंगटन, उधगमंडलम, तमिलनाडु, स्थापना - 1758
2) पंजाब रेजिमेंट, मुख्यालय - रामगढ़ छावनी, झारखंड, स्थापना - 1761
विशेष : -
1. भारतीय सेना का गठन 1776 में कोलकाता में ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार के अधीन हुआ था। फिलहाल देश भर में भारतीय सेना की 53 छावनियां और 9 आर्मी बेस हैं।
2. समुद्र तल से 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर दुनिया की सबसे ऊंचा रणक्षेत्र है।
3. भारतीय सेना के पास एक घुड़सवार रेजिमेंट भी है। दुनिया में इस तरह की अब बस तीन रेजिमेंट्स रह गई हैं, जिनमें से एक भारतीय सेना के पास है।
4. हिमालय पर्वत की द्रास और सुरु नदियों के बीच लद्दाख की घाटी में स्थित बेली पुल का निर्माण भारतीय सेना ने 1982 में किया था, जो दुनिया का सबसे ऊंचा पुल माना जाता है।
5. साल 1949 में जब जनरल करिअप्पा ने आखिरी ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल सर फ्रांसिस बूचर से भारतीय थल सेना के कमांडर इन चीफ की जिम्मेदारी संभाली थी, उस वक्त भारतीय थल सेना में करीब 2 लाख सैनिक थे, जबकि आज यह संख्या 13 लाख से भी ज्यादा है।
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