राष्ट्रीय युवा दिवस : 12 जनवरी., - Study Search Point

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राष्ट्रीय युवा दिवस : 12 जनवरी.,

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'उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए' का संदेश देने वाले युवाओं के प्रेरणास्त्रो‍त, समाज सुधारक युवा युग-पुरुष 'स्वामी विवेकानंद' का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। इनके जन्मदिन को ही राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रमु्ख कारण स्वामी  जी के दर्शन सिद्धांत, अलौकिक विचार और उनके आदर्श हैं, जिनका उन्होंने स्वयं पालन किया और भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी उन्हें स्थापित किया।
राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की शुरुवात -
हर साल 12 जनवरी को पूरे भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है. 18 वर्ष से 35 वर्ष के लोगों को युवा माना जाता है। 1984 में भारत सरकार ने हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था। साल 1985 में पहली बार भारत में राष्ट्रीय़ युवा दिवस मनाया गया था। 1995 में पहली बार राष्ट्रीय युवा दिवस के दिन राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन भोपाल में किया गया। राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन 5 दिन किया जाता है।

उद्देश्य - राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन करने का उद्देश्य भारत की अनेकों सांस्कृतिक, धार्मिक विभिन्नताएं आदि होने के बाद भी विविधता में एकता को प्रदर्शित करना होता है।
 राष्ट्रीय युवा महोत्सव का  विषय (थीम) -
2018 में राष्ट्रीय युवा महोत्सव उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में आयोजित किया गया।  उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में आयोजित 22वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव की थीम "संकल्प से सिद्धि" (Sankalp se Siddhi) रखा गया है।
खेल राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने दिल्ली में राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव 2019 का शुभारंभ किया। राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव 2019 को "नए भारत की आवाज़ बनो" "उपाय ढूंढो और नीति में योगदान करो" की थीम पर आयोजित किया गया।
राष्ट्रीय युवा दिवस 2019 का  विषय (थीम) - "चैनेलाइजिंग यूथ पावर फॉर नेशन बिल्डिंग"


स्वामी विवेकानंद संक्षिप्त परिचय : -
1863 में एक कुलीन परिवार में जन्में स्वामी विवेकानंद नरेंद्रनाथ दत्त के रूप में जाने जाते थे। इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था, बचपन में विवेकानंद की मां ने उनका नाम "वीरेश्वर" रखा था, उन्हें अक्सर "बिली" कहकर बुलाया जाता था। रामकृष्ण परमहंस के शिष्य बनने के बाद, स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की 1898 में स्थापना की। 25 वर्ष की अवस्‍था में सन्‍यास ग्रहण कर लिया और पैदल ही पूरे भारत का भ्रमण किया था। सन् 1897 में मद्रास में युवाओं को संबोधित किया, और उनमे नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार किया।
स्वामी विवेकानन्द 11 सितंबर 1893 में शिकागो (अमेरिका) में हो रहे विश्‍व हिन्‍दी परिषद में भारत के प्रतिनिधि के रूप से पहुंचे थे। उन्‍होंन आपने भाषण की शुरूआत “मेरे अमेरिकी भाई बहनों ” के साथ की थी इसी वाक्‍य ने वहॉ बैठे सभी लोगोे का दिल जीत लिया था। स्वामी जी पर विचार व्यक्त करते हुए रविंद्र नाथ टैगोर ने कहा था की अगर आप भारत को जानना चाहते है तो स्वामी विवेकानंद को पढ़ें। स्वामी विवेकानंद ने - आत्मज्ञान, आत्मत्याग, आत्मसंयम, आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास नाम के 5 सूत्र दिए। 4 जुलाई 1902 को स्वामी विवेकानंद ने 39  वर्ष की अवस्‍था में बेलूर मठ में अंतिम सांस ली।

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