आज का इतिहास 28 फ़रवरी, - Study Search Point

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आज का इतिहास 28 फ़रवरी,

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1522- स्वीडन में जनता ने डेनमार्क के वर्चस्व के विरुद्ध संघर्ष का आरंभ किया। इस संघर्ष का नेतृत्व गोस्तव वाज़ा कर रहे थे। उन्होंने स्वीडन के किसानों और प्रोटेस्टेंट ईसाइयों की सहायता से इस देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष आरंभ किया। इस जनान्दोलन के परिणाम स्वरुप गोस्ताव वाज़ा स्वीडन के शासक बने और इस देश में वाज़ा शासन श्रृंखला की नींव पडी। इस वंश ने लगभग तीन शताब्दियों तक स्वीडन पर राज किया।
1813- को रूस और प्रांस के बीच रानजैतिक व सैनिक संधि हुई। इन दोनों देशों के शासकों ने फ़्रांस के तानाशाह नेपोलियन बोनापार्ट का मुकाबला करने के लिए यह संधि की थी क्योंकि दोनों देशों की सेनाओं ने नेपोलियन बोनापार्ट से मात खाई थी। इस संधि में ब्रिटेन, ऑस्ट्रिया और स्वीडन के शामिल हो जाने के बाद नेपोलियन बोनापार्ट के विरुद्ध एक मज़बूत मोर्चा तैयार हो गया और इस संयुक्त मोर्चे ने नेपोलियन को पराजित कर दिया।

1847- अमेरिका ने सकरामेंटो के युद्ध में मेक्सिको को पराजित किया।


1922- प्राचीन देश मिस्र ने स्वतंत्रता प्राप्त की। लगभग ८हज़ार वर्ष पूर्व इस देश में आबादी बसी और लगभग साढ़े 6 हज़ार वर्ष पूर्व इस देश में केंद्रीय सरकार का गठन हुआ। इस्लाम के उदय के बीस वर्षों के बाद इस देश पर मुसलमानों का अधिकार हुआ। सन 969 ईसवी में फ़ातेमी शासकों ने मिस्र पर अधिकार किया और धीरे धीरे यह देश फ़ातेमी शासकों का केंद्र बन गया। सन 1172 ईसवी में फ़ातेमी शासन श्रृंखला का अययूबी शासक ने अंत कर दिया और 16 वीं शताब्दी के आरंभ में उसमानियों ने मिस्र पर अधिकार किया।

1928- सीवी रमन ने रमन प्रभाव का आविष्कार किया जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरुस्कार दिया गया।

1963- भारत के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद का निधन।

1991- फ़ार्स की खाड़ी के 40 दिवसीय युद्ध में अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज बुश सीनियर ने संघर्ष विराम की घोषणा की। फ़ार्स की खाड़ी का संकट, इराक़ द्वारा कुवैत पर आक्रमण और इस देश पर अतिग्रहण कर लेने के बाद आरंभ हुआ। कुवैत पर इराक़ का क़ब्ज़ा जारी रखने और अमरीका द्धारा इस संकट के सैनिक समाधान पर बल दिये जाने के बाद अमरीका ब्रिटेन फ़्रांस और जापान के युद्धक विमानों ने जनवरी सन 1991 में इराक़ पर आक्रमण आरंभ किया। संघर्षविराम की घोषणा के बाद इराक़ और संयुक्त देशों के बीच वार्ता आरंभ हुई और इराक़ ने सुरक्षा परिषद के 12 सुत्रीय प्रस्ताव को स्वीकार किया।

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