दुनिया का एक भी देश नहीं है भ्रष्टाचार मुक्त, - Study Search Point

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दुनिया का एक भी देश नहीं है भ्रष्टाचार मुक्त,

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दुनिया में एक देश ऐसा नहीं है जो #भ्रष्टाचार मुक्त हो। हालांकि 2015 में, लोगों ने इसके खिलाफ एकजुट होकर काम किया गया और यह दिखाया गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कामयाबी मिल सकती है। अब जब भ्रष्टाचार वैश्विक रूप ले चुका है कई देशों ने इसे लेकर अपनी रैंकिंग में सुधार किया है। ट्रांसपेरेंसी #इंटरनेशनलकरप्शनपरसेप्शनइंडैक्स की रिपोर्ट यही इशारा करती है। भारत इस सूची में 76वें स्थान पर है। भारत 2014 में भी 38 पॉइंट्स के साथ इसी नंबर पर था। ब्राजील ने इस मामले में सबसे ज्यादा गिरावट देखी है। 5 पॉइंट और 7 पोजिशन गिरकर देश 76 नंबर पर है। चीन इस सूची में 37 पॉइंट के साथ 83वें नंबर पर जबकि रूस 29 पॉइंट के साथ 119वें नंबर पर है।
यह इंडैक्स 168 देशों में सरकारी क्षेत्र की कंपनियों में भ्रष्टाचार की कहानी को सामने लेकर आती है। #चीन, #रूस से कम भ्रष्ट है #भारत, डेनमार्क सबसे दुनिया में एक देश ऐसा नहीं है जो भ्रष्टाचार मुक्त हो। हालांकि 2015 में, लोगों ने इसके खिलाफ #एकजुट होकर काम किया गया और यह दिखाया गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कामयाबी मिल सकती है। #डेनमार्क ने दूसरे साल भी इस सूची में टॉप पर जगह बनाई है। डेनमार्क के साथ ही उत्तर कोरिया और सोमालिया का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। सभी ने 8 अंक हासिल किए हैं। पिछले 4 सालों में नीचे आने वाले देशों में #लीबिया, ऑस्ट्रेलिया, #ब्राजील, #स्पेन और तुर्की हैं। बड़ा सुधार करने वाले देशों में #ग्रीस, सेनेगल और यूके है।
सीपीआई में शून्य से लेकर 100 तक अंक होते हैं। जिस देश के अंक जितने ज्यादा होते हैं, उस देश में उतना कम भ्रष्टाचार होता है। इस मामले में डेनमार्क सबसे आगे हैं, वहां सबसे कम भ्रष्टाचार है। इसके बाद फिनलैंड (90 अंक) और स्वीडन (89 अंक) का स्थान है। इस मामले में भारत 76वें स्थान पर है।
ट्रांसपेरेंसी #इंटरनेशनल की सीपीआई 2015 रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई है। इसमें भारत का स्कोर भले ही पिछले साल जितना रहा है, लेकिन उसका स्थान 85 से कम होकर 76 हो गया है। इस रिपोर्ट में 168 देशों को शामिल किया गया था, जबकि 2014 की रिपोर्ट में 174 देशों को शामिल किया गया था। दुनियाभर में विशेषज्ञों की राय के आधार पर सीपीआई में देशों के सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार का अनुमान लगाया जाता है। इस मामले में भूटान का स्थान 27वां है, और उसकी रैंक 65 है। यह भारत की तुलना में काफी अच्छा है, जबकि अन्य पड़ोसी देशों की हालत काफी खराब नजर आ रही है।

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