1520 - स्पेन के नाविक फ़र्डिनंड मेजालन ने एक जल डमरु को पार किया जिसे आज उन्हीं के नाम पर मेज़ालन जल डमरु के नाम से जाना जाता है। इस तरह वे एटलांटिक महासागर से प्रशांत महासागर में प्रविष्ट हो गये। मेज़ालन उस समय दक्षिणी अमरीका के तटवर्ती क्षेत्रों में समुद्र संबंधी खोज में लगे हुए थे। वे आज के दिन इस जल डमरु की ओर आकर्षित हुए और इस मार्ग से प्रशांत महासागर पहुँच गये।
1643- इटली के विख्यात संगीतकार क्लॉडियो मोंट वोर्डी का 67 वर्ष की आयु में निधन हुआ। उन्हें बचपन से ही संगीत से गहरा लगाव था और युवाकाल तक पहुँचते- पहुँचते वे इस क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गये।
1943- योगोस्लाविया में टीटो के नेतृत्व में फ़ाशिज़्म विरोधी और स्वतंत्रता प्रेमी मोर्चा बना। इस संगठन के सदस्यों ने जर्मनी की सेना के हाथों योगोस्लाविया के अतिग्रहण के दौरान जर्मनी की सेना पर कुठारा घात लगाया और सन 1944 में सोवियत संघ की लाल सेना की सहायत से जर्मन सेना को अपने देश से मार भगाया।
1947- में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने कमज़ोर बहुसंख्या के साथ फ़िलिस्तीन को यहूदी व फ़िलिस्तीनी भागों में बांट दिया। यह अन्यायपूर्ण व आतार्किक निर्णय पश्चिमी सरकारों विशेषकर अमरीका व ज़ायोनियों के प्रभाव के अंतर्गत किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ के इस प्रस्ताव के अनुसार बैतुलमुक़द्दस या यरूश्लम को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र घोषित किया गया। फिलिस्तीन के विभाजन के प्रस्ताव द्वारा इस क्षेत्र में एक ज़ायोनी शासन के गठन को औपचारिकता दे दी गयी किंतु इससे अरबों में आक्रोश फूट पड़ा।
1643- इटली के विख्यात संगीतकार क्लॉडियो मोंट वोर्डी का 67 वर्ष की आयु में निधन हुआ। उन्हें बचपन से ही संगीत से गहरा लगाव था और युवाकाल तक पहुँचते- पहुँचते वे इस क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गये।
1943- योगोस्लाविया में टीटो के नेतृत्व में फ़ाशिज़्म विरोधी और स्वतंत्रता प्रेमी मोर्चा बना। इस संगठन के सदस्यों ने जर्मनी की सेना के हाथों योगोस्लाविया के अतिग्रहण के दौरान जर्मनी की सेना पर कुठारा घात लगाया और सन 1944 में सोवियत संघ की लाल सेना की सहायत से जर्मन सेना को अपने देश से मार भगाया।
1947- में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने कमज़ोर बहुसंख्या के साथ फ़िलिस्तीन को यहूदी व फ़िलिस्तीनी भागों में बांट दिया। यह अन्यायपूर्ण व आतार्किक निर्णय पश्चिमी सरकारों विशेषकर अमरीका व ज़ायोनियों के प्रभाव के अंतर्गत किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ के इस प्रस्ताव के अनुसार बैतुलमुक़द्दस या यरूश्लम को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र घोषित किया गया। फिलिस्तीन के विभाजन के प्रस्ताव द्वारा इस क्षेत्र में एक ज़ायोनी शासन के गठन को औपचारिकता दे दी गयी किंतु इससे अरबों में आक्रोश फूट पड़ा।