मोबाइल फ़ोन मानव स्वास्थ्य के लिए एक वास्तविक ख़तरा है, यह चेतावनी यूक्रेन में होने वाले एक चिकित्सा अनुसंधान में सामने आई है। यूक्रेन के नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में आयोजित हुए एक अनुसंधान में बताया गया है कि वायरलेस उपकरणों से उत्पन्न होने वाले रेडिएशन कई चिकित्सा समस्याओं जैसे कैंसर से लेकर कंपन और अल्ज़ाइमर का कारण बन सकते हैं। शोध में दावा किया गया है कि रेडिएशन शरीर में ऑक्सीकरण के तनाव का कारण बनता है जिससे यह शारीरिक प्रक्रियाओं को हानि पहुंचता है जो रोग की तीव्रता को कम करता है। यूक्रेन में चिकित्सा अनुसंधान में हुए शोध के अनुसार मोबाइल से निकलने वाली रेडियोधर्मिता जीवित कोशिकाओं को प्रभावित करती है या सरल शब्दों में एक व्यक्ति के डीएनए को नुकसान पहुंचती है। शोधकर्ता डॉ ईगोरिया कीमीनको का दावा है कि ऑक्सीकरण की यह प्रक्रिया, रेडियोधर्मिता की चपेट में रहने के परिणामस्वरूप होती है और इससे वायरलेस डिवाइसेस और कैंसर के बीच संबंध की व्याख्या की जा सकती है। उनका कहना था कि वायरलेस डिवाइसेस के दीर्घकालिक उपयोग अन्य छोटे चिकित्सा मुद्दों जैसे सिरदर्द, सुस्ती और त्वचा की खुजली का भी ख़तरा होता है।
शोध में यह भी सामने आया है कि पुनः सक्रिय रोगाणुयुक्त ऑक्सीजन फिर से सक्रिय हो जाते हैं जो कोशिकाओं के चिन्हों को भेजने और आंतरिक दशाओं जैसे तापमान को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इनकी संख्या में नाटकीय वृद्धि होती है तो इससे कोशिकाओं की संरचना को नुकसान पहुंचता है जिसे ऑक्सीकरण तनाव के नाम से जाना जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रतिदिन केवल 20 मिनट तक मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल लगातार 5 वर्षों तक करने से एक प्रकार की मानसिक अपोस्टोलिक का ख़तरा तीन गुना बढ़ जाता है जबकि फ़ोन के प्रतिदिन एक घंटे तक लगातार 4 साल तक इस्तेमाल ऐसी कोशिकाओं का ख़तरा 3 से 5 गुना बढ़ा देते हैं। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल करने वाले अगर मोबाइल के साथ हैंड फ़्री का प्रयोग करें तो इस नुक़सान से बचा जा सकता है।