दामोदर चापेकर ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, - Study Search Point

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दामोदर चापेकर ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी,

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चापेकर बन्धु के रूप में 'दामोदर चापेकर' (1870-1897 ई.), 'बालकृष्ण चापेकर' (1873-1899 ई.) और 'वासुदेव चापेकर' (1870-1899 ई., भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध हैं। ये तीनों भाई बाल गंगाधर तिलक से अत्यधिक प्रभावित थे। महाराष्ट्र के इन तीनों चापेकर बन्धुओं ने बाल गंगाधर तिलक के प्रभाव में आकर देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। 
बालकृष्ण तथा दामोदर चापेकर ने जून, 1897 ई. में महारानी विक्टोरिया के 'हीरक जयन्ती' समारोह के अवसर पर दो ब्रिटिश अधिकारियों रैण्ड और ले. एम्हर्स्ट की हत्या कर दी थी। इस हत्याकाण्ड के बाद दोनों भाईयों को गिरफ़्तार कर फांसी दे दी गयी। तीसरे भाई वासुदेव चापेकर ने गणेश शंकर द्रविड़ की हत्या कर दी, जिसने दामोदर और बालकृष्ण को गिरफ़्तार करवाया था। वासुदेव चापेकर को 8 मई, 1899 ई. में गिरफ़्तार करके फांसी दी गयी। तीनों भाईयों ने भारत की आज़ादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया और सदा के लिए अमर हो गये।

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