प्रसिद्ध राष्ट्र भक्त, स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु गुप्त, - Study Search Point

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प्रसिद्ध राष्ट्र भक्त, स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु गुप्त,

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देशबंधु गुप्त (14 जुलाई1900पानीपतहरियाणा1951) प्रसिद्ध राष्ट्र भक्त, स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार थे। अपने विद्यार्थी जीवन में ही देशबंधु गुप्त राष्ट्रीय आन्दोलन में कूद पड़े थे। उनसे प्रभावित होकर ही लाला लाजपत राय ने उन्हें अपने साथ ले लिया था। गुप्त जी में संगठन करने की बड़ी क्षमता थी। वर्ष 1942 में 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के दौरान इन्हें गिरफ़्तार किया गया और फिर 1945 में ही ये जेल से बाहर आ सके। एक पत्रकार के रूप में भी देशबंधु गुप्त जाने जाते थे। स्वामी श्रद्धानन्द ने इन्हें राष्ट्रीय पत्र 'तेज' का सम्पादक नियुक्त किया था।1948 में 'अखिल भारतीय समाचार पत्र सम्पादक सम्मेलन' के अध्यक्ष भी आप चुने गए थे। गुप्त जी हमेशा 'जाति प्रथा' का विरोध करते रहे। जब गुप्त जी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, तब उसी अवधि में कई इतिहास प्रसिद्ध घटनाएं घटीं।
महात्मा गाँधी के नेतृत्व में रॉलेट एक्ट के विरोध में पहला व्यापक आन्दोलन चला। जलियाँवाला बाग़ में भीषण हत्याकांड हुआ औरभारत की प्रबुद्ध जनता ने एक स्वर से ब्रिटिश राजकुमार की भारत-यात्रा का विरोध किया। विद्यार्थी जीवन में ही देशबंधु गुप्त राष्ट्रीय आन्दोलन में कूद पड़े और गिरफ़्तार कर लिये गए।
➦ लाला लाजपत राय गुप्त जी की प्रतिभा से काफ़ी प्रभावित हुए। ये उनकी प्रतिभा ही थी, जिससे प्रभावित होकर लाला जी ने उन्हें अपने साथ ले लिया। देशबंधु गुप्त को आर्य समाज के प्रसिद्ध नेता तथा देशभक्त स्वामी श्रद्धानन्द के साथ जेल में रहने का भी अवसर मिला। महात्मा गाँधी के प्रेरक व्यक्तित्व से भी वे प्रभावित हुए। इस प्रकार उनके विचारों में प्राचीनता और आधुनिकता के संयुक्त दर्शन होते थे। देशबंधु गुप्त में संगठन की बड़ी क्षमता थी। ब्रिटेन के राजकुमार की भारत यात्रा के समय सरकारी अधिकारियों ने उनके स्वागत के लिए दिल्ली में दलितों की एक सभा का आयोजन किया था। अपनी चतुरता से देशबंधु ने मंच पर कब्ज़ा करके सभा को भंग कर दिया। तभी से उनकी गणना दिल्ली के प्रमुख कांग्रेस जनों में होने लगी। इसके बाद जितने भी राष्ट्रीय आन्दोलन हुए, उन सब में उन्होंने सक्रिय भाग लिया और जेल की सज़ाएं भोगीं। 1942 के 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के दौरान भी वे गिरफ़्तार हुए और फिर 1945 में ही जेल से बाहर आ सके।
➦ एक पत्रकार के रूप में भी देशबंधु गुप्त प्रसिद्ध थे। उनकी पत्रकारिता का लाला लाजपत राय के साथ आरंभ हुआ। लालाजी 'वंदेमातरम्' नामक पत्र के लिए बोल कर देशबंधु को लेख लिखवाया करते थे। तभी से उनकी भी इस क्षेत्र में रुचि बढ़ी। वर्ष 1923 में स्वामी श्रद्धानन्द ने अपने राष्ट्रीय पत्र 'तेज' का उन्हें संपादक बना दिया था। देशबंधु गुप्त जीवन-भर राष्ट्रीय और सामाजिक गतिविधियों से जुड़े रहे। वे आर्य समाज के अनुयायी और सांप्रदायिकता की भावना से दूर थे, परंतु हिन्दुओं को दबाकर अन्य धर्मावलंबियों को आगे बढ़ाना उन्हें स्वीकार नहीं था। वे जाति-प्रथा के प्रबल विरोध थे।

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