दाद की सम्स्या, - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

दाद की सम्स्या,

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दाद -
दाद एक फफूँद का संक्रमण है जिसमें गोल-गोल दाग हो जाते हैं। दाद शरीर के किसी भी हिस्से पर यहॉं तक कि खोपड़ी पर भी हो सकते है। इसमें बहुत खुजली होती है।
कारण और फैलाव -
बडी खुजली की तरह यह संक्रमण भी अस्वच्छ हालातों में सम्पर्क होने से होता है।
चिकित्सीय लक्षण -
दाद में भी भयंकर खुजली होती है। दाद के दाग गोलाकार होते हैं और उनके बीच में एक साफ दिखने वाला हिस्सा होता है। बाहर का घेरा शोथग्रस्त (खुरदुरा, लाल) दिखता है और उसमें लगातार खुजली होती है।
इलाज -
दाद के लिए सबसे असरकारी फफूँद रोधी दवा मिकानाजोल मलहम है। इसके अलावा निस्टेटिन, हेमाइसिन और सेलीसिलिक एसिड का भी इस्तेमाल होता है। विटफील्ड मलहम में सैलीसिलिक अम्ल और बैन्जाइक अम्ल होते हैं। यह एक सस्ती और असरकारी दवा है। दाद के निशान न रहने के कम से कम दो हफ्ते बाद तक दवा का इस्तेमाल करना हैं। अगर दाद उपरी दवा से ठीक नहीं होते हैं तो फफूँद रोधी गोली (जैसे ग्रिसियोफल्विन) खानी पड़ती है। आयुर्वेद में लताकरन्ज के तेल का इस्तेमाल फायदेमन्द बताया गया है। आँतों की सफाई भी मददगार हो सकती है। मेदक का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे कि त्रिफला चूरण या अरण्ड का तेल। अमलतास की पत्तियों का लेप दिन में दो बार करना भी एक इलाज है। खाने में नमक कम हो।
त्वचा के एक और फफूँद वाले संक्रमण में खुजली नहीं होती, इसे टीनिया वर्सीकोलर कहते हैं। इसमें पीठ के ऊपरी हिस्से व छाती में हल्के धब्बे पड़ जाते हैं। यह फफूँद एक ऐसा संक्रमण है जो बहुत चिरकारी होता है और जिस पर किसी भी दवा का आसानी से असर नहीं पड़ता। इसके चार हफ्तों के लिए क्लोट्रिमझोल मलहम लगाएँ। दिन में दो बार मल्हम को अच्छी तरह चमडीपर घिस कर लगाएँ।

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