भारत में अवस्थित खाड़ियाँ - Study Search Point

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भारत में अवस्थित खाड़ियाँ

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बंगाल की खाड़ी 
बंगाल की खाड़ी विश्व की सबसे बड़ी खाड़ी है और हिंद महासागर का पूर्वोत्तर भाग है। यह मोटे रूप में त्रिभुजाकार खाड़ी है जो पश्चिमी ओर से अधिकांशतः भारत एवं शेष श्रीलंका, उत्तर से बांग्लादेश एवं पूर्वी ओर से बर्मा (म्यांमार) तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह से घिरी है। बंगाल की खाड़ी का क्षेत्रफल 2,172,000 किमी² है। प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों के अन्सुआर इसे महोदधि कहा जाता था। बंगाल की खाड़ी 2,172,000 किमी² के क्षेत्रफ़ल में विस्तृत है, जिसमें सबसे बड़ी नदी गंगा तथा उसकी सहायक पद्मा एवं हुगली, ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदी जमुना एवं मेघना के अलावा अन्य नदियाँ जैसे इरावती, गोदावरी, महानदी, कृष्णा, कावेरी आदि नदियां सागर से संगम करती हैं। इसमें स्थित मुख्य बंदरगाहों में चेन्नई, चटगाँव, कोलकाता, मोंगला, पारादीप,तूतीकोरिन, विशाखापट्टनम एवं यानगॉन हैं।
प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों एवं मान्यता अनुसार बंगाल की खाड़ी नामक जलराशि को महोदधि नाम से जाना जाता था। इसके अलावा अन्य मध्यकालीन मानचित्रों में इसे साइनस गैन्जेटिकसया गैन्जेटिकस साइनस, अर्थात "गंगा की खाड़ी" नाम से भी दिखाया गया है। 10वीं शताब्दी में चोल राजवंश के नेतृत्त्व में निर्मित ग्रन्थों में इसे चोल सरोवर नाम भी दिया गया है। कालांतर में इसे बंगाल क्षेत्र के नाम पर बंगाल की खाड़ी नाम मिला।

होर्मुज़ जलसन्धि
होर्मुज़ जलसन्धि ईरान के दक्षिणी भाग में स्थित है, जो 'फ़ारस की खाड़ी' को 'ओमान की खाड़ी' से जोड़ने वाला एक प्रमुख जलमार्ग है। विश्व में क़रीब 40 प्रतिशत तेल और बड़ी मात्रा में प्राकृतिक गैस इसी मार्ग से विभिन्न देशों व क्षेत्रों तक पहुँचाए जाते हैं। होर्मुज़ जलसन्धि को फ़ारसी में 'तंगेह-ए-होरमुज़' नाम से जाना जाता है। यह पश्चिम एशिया की एक प्रमुख जलसन्धि है, जो ईरान के दक्षिण में 'फ़ारस की खाड़ी' को 'ओमान की खाड़ी' से जोड़ती है। इसके दक्षिण में संयुक्त अरब अमीरात और ओमान का 'मुसन्दम' नामक बहिक्षेत्र है। तेल के निर्यात की दृष्टि से यह होर्मुज़ जलसन्धि बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि ईराक़, क़तर तथा ईरान जैसे देशों का तेल निर्यात यहीं से होता है।इस जलसन्धि के सबसे कम चौड़े स्थान पर दोनों तटों में 39 किलोमीटर की दूरी है।

मन्नार की खाड़ी 
मन्नार की खाड़ी एक उथले पानी की खाड़ी है जो हिन्द महासागर में लक्षद्वीप सागर के एक भाग का निर्माण करती है। यह खाड़ी भारत के दक्षिणपश्चिम सिरे और श्रीलंका के पश्चिमी तट के बीच स्थित है। भारत के रामेश्वरम द्वीप से लेकर श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक चूना पत्थर से बने द्वीपों की रामसेतु नामक एक शृंख्ला, इस खाड़ी को पाक खाड़ी से पृथक करती है। दक्षिण भारत की तमिरबरणि नदी और श्रीलंका की अरुवी अरु नदी इसी खाड़ी में गिरती हैं।
पाक की खाड़ी
पाक की खाड़ी श्रीलंका और भारत के मध्य स्थित है। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु पाए जाते हैं। अपनी इसी जैव विविधता के कारण यह खाड़ी प्रसिद्ध है।

कच्छ की खाड़ी
कच्छ की खाड़ी गुजरात राज्य के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में कच्छ जिला और जामनगर जिले के मध्य स्थित है। इस खाड़ी के पश्चिम में अरब सागर स्थित है। वैसे यह खाड़ी अरब सागर का ही एक हिस्सा है। गुजरात की पश्चिमी सीमा में 1600 कि. मी. लंबा समुद्र तट है जो भारत के अन्य सभी राज्यों के समुद्र तटों की अपेक्षा सबसे लंबा है। यह समुद्र तट कच्छ की खाड़ी और खंभात की खाड़ी से मिलकर बना है।  पूर्व दिशा में लगभग 180 किमी तक फैली इस खाड़ी की चौड़ाई 16 से 65 किमी तक है। इसके किनारे की भूमि दलदली व समतल है और इसके जल में कई छोटे-छोटे द्वीप उभरे हुए हैं। खाड़ी के प्रवेश मार्ग के पास ओखा बन्दरगाह स्थित है। अन्य बंदरगाहों में मांडवी, बेदी और कांडला शामिल हैं।
फारस की खाड़ी
फारस की खाड़ी, पश्चिम एशिया में हिन्द महासागर का एक विस्तार है, जो ईरान और अरब प्रायद्वीप के बीच तक गया हुआ है। 1980-1988 के ईरान इराक युद्ध के दौरान यह खाड़ी लोगों के कौतूहल का विषय बनी रही जब दोनों पक्षों ने एक दूसरे के तेल के जहाजों (तेल टैंकरों) पर आक्रमण किया था। 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान, फारस की खाड़ी एक बार फिर से चर्चा का विषय बनी, हालांकि यह संघर्ष मुख्य रूप से एक भूमि संघर्ष था जब इराक ने कुवैत पर हमला किया था और जिसे बाद में वापस पीछे ढकेल दिया गया। फारस की खाड़ी में कई अच्छी मछली पकड़ने के जगहें हैं, व्यापक प्रवाल भित्तियां और प्रचुर मात्रा में मोती कस्तूरी है, लेकिन इसकी पारिस्थितिकी का औद्योगीकरण के कारण क्षय हुआ है, विशेष रूप से, युद्ध के दौरान फैले तेल और पेट्रोलियम ने इस पर विपरीत प्रभाव डाला है।
अक्सर "फारस की खाड़ी" को अधिकतर अरब राष्ट्रों द्वारा इसके विवादास्पद नाम "अरब की खाड़ी" या सिर्फ "खाड़ी" कहकर पुकारा जाता है, हालांकि इन दोनों नामों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं है। अंतरराष्ट्रीय जल सर्वेक्षण संगठन इसके लिए "ईरान की खाड़ी (फारस की खाड़ी)" नाम का इस्तेमाल करता है।

ओमान की खाड़ी
ओमान की खाड़ी (Gulf of Oman), जिसे अरबी में ख़लीज उमान  और फ़ारसी में ख़लीज-ए-मकरान (خليج مکران) कहते हैं, अरब सागर और होरमुज़ जलसन्धि के बीच स्थित एकजलडमरू है। यह होरमुज़ जलसन्धि के पार फ़ारस की खाड़ी से जुड़ता है। हालांकि इसे खाड़ी बुलाया जाता है, भौगोलिक रूप से यह वास्तव में एक जलडमरू है। इसके उत्तर में ईरान औरपाकिस्तान का मकरान क्षेत्र है जबकि इसके दक्षिण में संयुक्त अरब अमीरात और ओमान स्थित हैं। फ़ारस की खाड़ी की तुलना में इसकी गहराई काफी अधिक है।
खंभात की खाड़ी 
खंभात की खाड़ी (पूर्व नाम: कैंबे की खाड़ीअरब सागर स्थित एक तिकोनी आकृति की खाड़ी है। यह दक्षिणी ओर से अरब सागर में खुलती है। यह भारतीय राज्य गुजरात के सागर तट, पश्चिमी भारत के शहर मुंबई और काठियावाड़ प्रायद्वीप के मध्य स्थित है और उसे पूर्व और पश्चिमी, दो भागों में बांटती है। केन्द्र शासित प्रदेश दमन और दीव के निकट इसका मुहाना लगभग 190 किलोमीटर चौड़ा है, जो तीव्रता सहित 24 किमी तक संकरा हो जाता है। इस खाड़ी में साबरमतीमाहीनर्मदा और ताप्ती सहित कई नदियों का विलय होता है दक्षिण दिशा से दक्षिण पश्चिमी मानसून के सापेक्ष इसकी आकृति और इसकी अवस्थिति, इसकी लगभग 10-15मीटर ऊँची उठती और प्रवेश करती लहरों की 6-7 नॉट्स की द्रुत गति के कारण है। इसे शैवाल और रेतीले तट नौपरिवहन के लिए दुर्गम बनाते हैं साथ ही खाड़ी में स्थित सभी बंदरगाहों को लहरों व नदियों में बाढ़ द्वारा लाई गई गाद का बाहुल्य मिलता है। गुजरात से 4 बड़ी, 5 मध्यम, 25 छोटी एवं 5 मरुस्थलीय नदियां खाड़ी में गिरती हैं एवं खाड़ी में प्रतिवर्ष 71,000 घन मि.मी जल विसर्जित करती हैं।
खाड़ी की पूर्व में भरुच नामक भारत का एक प्राचीनतम बंदरगाह शहर एवं सूरत हैं, जो भारत और यूरोप के बीच का आरंभिक वाणिज्यिक संपर्क स्थल के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं। ये शहर इसके मुहाने पर स्थित हैं। हालांकि इस खाड़ी में स्थित बंदरगाहों का महत्त्व स्थानीय लोगों हेतु ही है, फिर भी यहाँ पर खनिज तेल के लिये किये गए खोज प्रयासों ने, विशेषकर भरुच के निकट, खाड़ी के मुहाने और बॉम्बे हाई के अपतटीय क्षेत्रों में वाणिज्यिक पुनरुत्थान हुआ है। वर्ष 2000 में भारत के तत्कालीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉ॰मुरली मनोहर जोशी ने जल के नीचेबड़े स्तर पर मानव-निर्मित ढांचों के मिलने की घोषणा की थी। यद्यपि खाड़ी पर स्थित बंदरगाहों का महत्त्व स्थानीय मात्र ही है, लेकिन यहाँ पर तेल के मिलने और खोज प्रयासों ने, विशेषकर भरुच के निकट, खाड़ी के मुहाने और बॉम्बे हाई के अपतटीय क्षेत्रों में वाणिज्यिक पुनरुत्थान हुआ है।

अदन की खाड़ी
अदन की खाड़ी (ख़लीज़ अदन) अरब सागर मे, यमन (अरब प्रायद्वीप के दक्षिणी तट) और सोमालिया (अफ्रीका का सींग) के मध्य स्थित है। लाल सागर और अदन की खाड़ी को केवल 20 किलोमीटर चौड़ा बाब अल-मन्देब जलडमरूमध्य आपस में जोड़ता है। यह जलमार्ग उस स्वेज नहर जलयान मार्ग का एक महत्त्वपूर्ण भाग है, जो भूमध्य सागर को अरब सागर के द्वारा हिन्द महासागर से जोड़ता है और इस खाड़ी को प्रति वर्ष लगभग 21,000 जलयान पार करते हैं। इस खाड़ी में समुद्री डाकुओं द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रहीं गतिविधियों के चलते इसे 'जलदस्यु मार्ग' भी कहते हैं।

कैम्बे की खाड़ी
कैम्बे की खाड़ी दक्षिणी गुजरातभारत में अवस्थित है। यह खाड़ी काठियावाड़ प्रायद्वीप और गुजरात को अलग करती है। तापीनर्मदामाही तथा साबरमती नदियाँ इसमें अपना मुहाना बनाती हैं।

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