विद्युत अपघटन क्या है ?
रसायन विज्ञान एवं निर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) मे विद्युत अपघटन (electrolysis) उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा किसी रासायनिक यौगिक में विद्युत-धारा प्रवाहित करके उसके रासायनिक बन्धों को को तोड़ा जाता है। उदाहरण के लिये जल में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर जल, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विघटित हो जाता है जिसे जल का विद्युत अपघटन कहते हैं। विद्युत अपघटन के बहुत से उपयोग हैं। अयस्कों को प्रसंस्कारित करके उनमें निहित रासायनिक तत्व को शुद्ध करना एवं उसे अलग करना इसका सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक एवं व्यावसायिक उपयोग है।
- 1800 - विलियम निकल्सनौर जोहान रिटर ने जल का विद्युत अपघटन करके हाइड्रोजन एवं आक्सीजन प्राप्त किया।
- 1807 - हम्फ्री डेवी ने विद्युतपघटन के उपयोग से पोटैशियम सोडियम, बेरियम, एवं मैगनीसियम की खोज की।
- 1886 - हेनरी म्वायसन (Henri Moissan) ने विद्युत अपघटन के उपयोग के द्वारा फ्लोरीन का आविष्कार किया।
- 1886 - अलमुनियम के निष्कर्षण (extraction) के लिये हाल-हेरोल्ट (Hall-Héroult) प्रक्रिया की खोज!
- 1890 - कास्टनर-केल्नर प्रक्रिया (Castner-Kellner process) द्वारा सोडियम हाइड्राक्साइड का निर्माण!
मोल धारणा क्या है ?
Mole Concept एक मोल किसी भी निश्चित सूत्र वाले पदार्थ की वह राशि है, जिसमें इस पदार्थ के इकाई सूत्र की संख्या उतनी है, जिनकी शुद्ध कार्बन-12 आइसोटोप के ठीक 12 ग्राम में परमाणुओं की संख्या है। मोल इकाई का मान- मोल का मान 6.022 x 1023 है। कार्बन के 12 ग्राम या एक मोल में 6.022 x 1023 परमाणु हैं। 6.022 x 1023 को आवोगाद्रो संख्या कहते हैं। मोल संख्या एवं द्रव्यमान दोनों का प्रतीक है। सन् 1967 में मोल को इकाई के रूप में स्वीकार किया गया। 20वीं शताब्दी में आधुनिक खोजों के परिणामस्वरूप जे॰ जे॰ थॉमसन, रदरफोर्ड, चैडविक आदि वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया कि परमाणु विभाज्य है तथा मुख्यतः तीन मूल कणों से मिलकर बना है, जिन्हें इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन कहते हैं।
बहुलता नियम क्या है ?
Hund's Rule Of Maximum Multiplicity) रसायन विज्ञान में हुण्ड का अधिकतम बहुलता नियम के अनुसार इलेक्ट्रॉन तब तक युग्मित नहीं होते जब तक कि रिक्त कक्षक प्राप्य हैं अर्थात् जब तक सम्भव है, इलेक़्ट्रॉन अयुग्मित रहते हैं।
ग्राम अणु भार क्या है ?
Gram Molecular Weight) जब किसी पदार्थ के अणुओं का भार ग्राम में प्रदर्शित किया जाता है तो उसे ग्राम अणु भार कहते हैं। हाइड्रोजन का अणु भार 2 है जबकि ग्राम अणु भार 2 ग्राम है। प्रत्येक पदार्थ के 1 ग्राम अणु में उस पदार्थ के 6.023 x 1023 अणु होते हैं।
Melting Point रसायन विज्ञान में पदार्थ को गर्म करने पर ठोस पदार्थ द्रव अवस्था में परिवर्तित होते हैं, तो उनमें से अधिकांश में यह परिवर्तन एक विशेष दाब पर तथा एक नियतताप पर होता है। यह नियत ताप वस्तु का द्रवणांक कहलाता है। जब तक पदार्थ ग़लता रहता है, तब तक ताप स्थिर रहता है। यदि विशेष दाब नियत रहे। प्रकृति में सभी रासायनिक पदार्थ साधारणत: ठोस, द्रव और गैस तथा प्लाज्मा - इन चार अवस्थाओं में पाए जाते हैं। द्रव और गैस प्रवाहित हो सकते हैं, किंतु ठोस प्रवाहित नहीं होता। लचीले ठोस पदार्थों में आयतन अथवा आकार को विकृत करने से प्रतिबल उत्पन्न होता है। अल्प विकृतियों के लिए विकृति और प्रतिबल परस्पर समानुपाती होते हैं। इस गुण के कारण लचीले ठोस एक निश्चित मान तक के बाहरी बलों को सँभालने की क्षमता रखते हैं। प्रवाह का गुण होने के कारण द्रवों और गैसों को तरल पदार्थ (fluid) कहा जाता है। ये पदार्थ कर्तन (shear) बलों को सँभालने में अक्षम होते हैं और गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण प्रवाहित होकर जिस बरतन में रखे रहते हैं, उसी का आकार धारण कर लेते हैं। ठोस और तरल का यांत्रिक भेद बहुत स्पष्ट नहीं है। बहुत से पदार्थ, विशेषत: उच्च कोटि के बहुलक (polymer) के यांत्रिक गुण, श्यान तरल (viscous fluid) और लचीले ठोस के गुणों के मध्यवर्ती होते हैं।
प्रत्येक पदार्थ के लिए एक ऐसा क्रांतिक ताप (critical temperature) पाया जाता है, जिससे अधिक होने पर पदार्थ केवल तरल अवस्था में रह सकता है। क्रांतिक ताप पर पदार्थ की द्रव और गैस अवस्था में विशेष अंतर नहीं रह जाता। इससे नीचे के प्रत्येक ताप पर द्रव के साथ उसका कुछ वाष्प भी उपस्थित रहता है और इस वाष्प का कुछ निश्चित दबाव भी होता है। इस दबाव को वाष्प दबाव कहते हैं। प्रत्येक ताप पर वाष्प दबाव का अधिकतम मान निश्चित होता है। इस अधिकतम दबाव को संपृक्त-वाष्प-दबाव के बराबर अथवा उससे अधिक हो, तो द्रव स्थायी रहता है। यदि ऊपरी दबाव द्रव के संपृक्तवाष्प-दबाव से कम हो, तो द्रव अस्थायी होता है।
द्रवणांक पर दाब का प्रभाव
उन पदार्थों के द्रवणांक दाब बढ़ाने से बढ़ जाते हैं, जिनका आयतन गलने पर बढ़ जाता है। जैसे-मोम, ताँबा आदि। उन पदार्थों के द्रवणांक दाब बढ़ाने से घट जाता है, जिनका आयतन गलने पर घट जाता है। जैसे- बर्फ, ढलवाँ लोहा आदि।
आहारीय खनिज वे खनिज होते हैं, जो आहार के संग शरीर को मिलते हैं एवं पोषण करने में सहाय्क होते हैं। शरीर के लिए पांच महत्त्वपूर्ण तत्त्व कैल्शियम, मैग्नेशियम, फ़ास्फ़ोरस, पोटाशियम और सोडियमअत्यावश्वक होते हैं। इनके अलावा अन्य महत्वपूर्ण किंतु सूक्ष्म मात्रिक तत्व हैं, क्रोमियम, तांबा, आयोडिन, लोहा, मैगनीज और जस्ता। इसके अतिरिक्त सेलेनियम भी अच्छे स्वास्थ्य बनाये रखने में एक उपयोगी है। अन्य सूक्ष्म मात्रिक तत्त्वों में सल्फ़र, निकल, कोबाल्ट, फ़्यूरीन, आंक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन भी हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। ये सब मिलकर आहारीय खनिज कहलाते हैं। ये स्वास्थ्य के लिए उतने ही आवश्यक हैं, जितने विटामिन इत्यादि। लौह रक्त के लिए और कैल्शियम हडिडयों के लिए सम्पूरक के रुप में गर्भावस्था में महत्वपूर्ण है। आयोडिन की कमी गलगण्ड और मन्दबुद्धि, तथा मैग्नेशियम की कमी कैन्सर का कारण बन सकती है। मैगनीज और क्रोमियम का भी हृदय-रोग से संबध है। सामान्य रक्त-शर्करा के स्तरों को बनाए रखने के लिए क्रोमियम की आवश्यकता है। पाचन-तंत्र में जस्ते की कमी से गंजापन, भूख न लगना और यौन-दुष्क्रिया के परिणाम हो सकते है।
खनिज क्या है ?
खनिज ऐसे भौतिक पदार्थ हैं जो खान से खोद कर निकाले जाते हैं। कुछ उपयोगी खनिज पदार्थों के नाम हैं - लोहा, अभ्रक, कोयला, बॉक्साइट (जिससेअलुमिनियम बनता है), नमक (पाकिस्तान व भारत के अनेक क्षेत्रों में खान से नमक निकाला जाता है!), जस्ता, चूना पत्थर इत्यादि। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में खनिजों के उत्पादन में निरन्तर वृद्धि हुई है। कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट आदि का उत्पादन निरंतर बढ़ा है। 1951 में सिर्फ़ 83 करोड़ रुपये के खनिजों का खनन हुआ था, परन्तु 1970-71 में इनकी मात्रा बढ़कर 490 करोड़ रुपये हो गई। अगले 20 वर्षों में खनिजों के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। 2001-02 में निकाले गये खनिजों का कुल मूल्य 58,516.36 करोड़ रुपये तक पहुँच गया जबकि 2005-06 के दौरान कुल 75,121.61 करोड़ रुपये मूल्य के खनिजों का उत्पादन किया गया। यदि मात्रा की दृष्टि से देखा जाये, तो भारत में खनिजों की मात्रा में लगभग तिगुनी वृद्धि हुई है, उसका 50% भाग सिर्फ़ पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के कारण तथा 40% कोयला के कारण हुआ है। अन्य शब्दों में 2005-06 में कुल खनिज मूल्य (75,121.61 करोड़ रु) में से पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस से 26,851.31 करोड़ रुपये तथा कोयला और लिग्नाइट से 29,560.75 करोड़ रुपये के मूल्य शामिल हैं। शेष 11,575.35 करोड़ रुपये मूल्य के अन्य धात्विक तथा अधात्विक खनिज थे।
खनिज लवण क्या है ?
कैल्सियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम और सोडियम पाँच महत्त्वपूर्ण बुनियादी खनिज, शरीर के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। महत्त्वपूर्ण सूक्ष्म मात्रिक तत्व क्रोमियम, तांबा, आयोडिन, लोहा,मैंगनीज और जस्ता हैं। इसके अतिरिक्त सेलेनियम भी अच्छा स्वास्थ्य क़ायम रखने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अन्य सूक्ष्म मात्रिक तत्व जैसे गंधक, निकल, कोबाल्ट, फ़्लोरीन,ऑक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन की भी हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को क़ायम रखने में अपनी भूमिका है।
खनिज लवण (Minerals Salt) शरीर की जैविक क्रियाओं के संचालन के लिए आवश्यक होते हैं। दूध, पनीर, अण्डा, मछली, फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ खनिज लवणों का प्रमुख स्रोत हैं।
- खनिज लवणों की उपयोगिता
कैल्शियम (Ca) तथा फास्फोरस (P) दाँतों तथा हड्डियों के निर्माण में भाग लेते हैं। इंसुलिन, थॉयरॉक्सिन, थायमिन, हीमोग्लोबिन आदि का निर्माण खनिज लवणों के योग से होता है। ये विभिन्न अंगों, जैसे - हृदय तथा माँसपेशियों को क्रियाशील रखते हैं।