अगर आपको कोई कहे कि 500 रुपए के नोट ने 1000 रुपए के नोट को पीछे छोड़ दिया तो आप कहेंगे ये क्या मजाक है! लेकिन यह सच है। अगर एसोचैम की स्टडी की रिपोर्ट पर गौर करें तो हालात ऐसे ही हैं। रिपोर्ट के अनुसार नोटों के बाजार में प्रचलन के मामले में 500 के नोट की ज्यादा डिमांड है। वहीं 1000 रुपए के नोट को पसंद करने वाले लोग कम हैं। आंकड़ों में देखा जाए तो मार्च 2015 तक 1000 के नोट का 39.3 फीसदी प्रयोग किया गया। दूसरी ओर 500 को नोट का प्रयोग 46 प्रतिशत तक रहा। मार्च 2013 में कैश सिस्टम में 1000 का नोट 5.9 प्रतिशत तक ही रहा जबकि 500 के नोट का चलन प्रतिशत 14.6 से 46 प्रतिशत के आंकड़ें को छू गया।
500 के नोट का राज -
एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल डीएस रावत का कहना है कि पिछले वर्षों में रहन-सहन का स्तर बढ़ा है या फिर कहें कि महंगा हुआ है। पिछले दो से तीन साल में नोटों का भाव गिरा है। आजकल महिलाएं भी घर से बाहर निकलते समय 500 का नोट लेकर निकलती हैं। मध्यम वर्ग के लोग तो सब्जी, चाय, कॉफी जैसी चीजों पर ही 500 का नोट लुटा देते हैं।
20 के नोट की हालत खराब
एसोचैम की रिपोर्ट में बताया गया है कि 20 का नोट 1 फीसदी से भी कम चला। मार्च 2013 में 20 के नोट की डिमांड 5.2 फीसदी थी, इसमें भी पिछले साल गिरावट दर्ज की गई।
साभार : Patrika News