[#LIVENOW] #PMonAIR : मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार ! ‘मन की बात’ का ये बारहवां #एपिसोड है और इस हिसाब से देखें तो एक साल बीत गया I पिछले वर्ष, 3 अक्टूबर को पहली बार मुझे ‘#मनकीबात’ करने का सौभाग्य मिला था I ‘मन की बात’ - एक वर्ष, अनेक बातें I मैं नहीं जानता हूँ कि आपने क्या पाया, लेकिन मैं इतना ज़रूर कह सकता हूँ, मैंने बहुत कुछ पाया I लोकतंत्र में जन-शक्ति का अपार महत्व है I
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➤ #PMonAIR : मैंने एक दिन ऐसे ही कह दिया था कि #SelfieWithDaughter) और सारी दुनिया अचरज हो गयी, शायद दुनिया के सभी देशों से किसी-न-किसी ने लाखों की तादाद में Selfie With Daughter) और बेटी को क्या गरिमा मिल गयी I और जब वो #SelfieWithDaughter करता था, तब अपनी बेटी का तो हौसला बुलंद करता था, लेकिन अपने भीतर भी एक कमिटमेंट पैदा करता था I जब लोग देखते थे, उनको भी लगता था कि बेटियों के प्रति उदासीनता अब छोड़नी होगी I एक साइलेंट रिवोल्यूशन थाI
➤ भारत के टूरिज्म को ध्यान में रखते हुए मैंने ऐसे ही नागरिकों को कहा था,#IncredibleIndia, कि भई, आप भी तो जाते हो, जो कोई अच्छी तस्वीर हो, तो भेज देना, मैं देखूंगा I लाखों की तादाद में हिन्दुस्तान के हर कोने की ऐसी-ऐसी तस्वीरें लोगों ने भेजीं I शायद भारत सरकार के टूरिज्म ने, राज्य सरकार के टूरिज्म डिपार्टमेंट ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि हमारे पास ऐसी-ऐसी विरासतें हैं I एक प्लेटफार्म पर सब चीज़ें आयीं और सरकार का एक रुपया खर्च नहीं हुआI
➤ पिछली गाँधी जयंती को मैंने उल्लेख किया था और लोगों को ऐसे ही मैंने प्रार्थना की थी कि 2 अक्टूबर #महात्मागाँधी की जयंती हम मना रहे हैं I और लोगों को मैंने आग्रह किया था कि आप खादी खरीदिये I थोडा बहुत कीजिये I
एक समय था, #KhadiForNation | क्या समय का तकाज़ा नहीं है कि#KhadiForFashion आज मैं बड़े संतोष के साथ कहता हूँ कि पिछले एक वर्ष में करीब-करीब खादी की बिक्री डबल हुई है I अब ये कोई सरकारी एडवरटाईज़मेंट से नहीं हुआ है I अरबों-खरबों रूपए खर्च कर के नहीं हुआ है I जन-शक्ति का एक एहसास, एक अनुभूतिI
एक समय था, #KhadiForNation | क्या समय का तकाज़ा नहीं है कि#KhadiForFashion आज मैं बड़े संतोष के साथ कहता हूँ कि पिछले एक वर्ष में करीब-करीब खादी की बिक्री डबल हुई है I अब ये कोई सरकारी एडवरटाईज़मेंट से नहीं हुआ है I अरबों-खरबों रूपए खर्च कर के नहीं हुआ है I जन-शक्ति का एक एहसास, एक अनुभूतिI
➤ एक बार मैंने ‘मन की बात’ में कहा था, #गरीब के घर में चूल्हा जलता है, बच्चे रोते रहते हैं, गरीब माँ - क्या उसे गैस-सिलिंडर नहीं मिलना चाहिए ? और मैंने सम्पन्न लोगों से प्रार्थना की थी कि आप #सब्सिडीसरेंडर नहीं कर सकते क्या ? सोचिये... और मैं आज बड़े आनंद के साथ कहना चाहता हूँ कि इस देश के 30 लाख परिवारों ने गैस-सिलिंडर की सब्सिडी छोड़ दी है और ये अमीर लोग नहीं हैं I एक टी.वी. चैनल पर मैंने देखा था कि एक रिटायर्ड टीचर, विधवा महिला, वो क़तार में खड़ी थी सब्सिडी छोड़ने के लिए I समाज के सामान्य जन भी, मध्यम वर्ग, निम्न-मध्यम वर्ग जिनके लिए सब्सिडी छोड़ना मुश्किल काम है I लेकिन ऐसे लोगों ने छोड़ा I क्या ये साइलेंट #रिवोल्यूशन नहीं है ? क्या ये जन-शक्ति के दर्शन नहीं हैं ?