विश्व स्तनपान सप्ताह अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को - Study Search Point

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विश्व स्तनपान सप्ताह अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को

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स्तनपान के प्रति जन जागरूकता लाने के मक़सद से अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को पूरे विश्व में स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। स्तनपान सप्ताह के दौरान माँ के दूध के महत्त्व की जानकारी दी जाती है। नवजात शिशुओं के लिए माँ का दूध अमृत के समान है। माँ का दूध शिशुओं को कुपोषण व अतिसार जैसी बीमारियों से बचाता है। स्तनपान को बढ़ावा देकर शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। शिशुओं को जन्म से छ: माह तक केवल माँ का दूध पिलाने के लिए महिलाओं को इस सप्ताह के दौरान विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाता है। स्‍तनपान शिशु के जन्‍म के पश्‍चात एक स्‍वाभाविक क्रिया है। भारत में अपने शिशुओं का स्‍तनपान सभी माताऐं कराती हैं, परन्‍तु पहली बार माँ बनने वाली माताओं को शुरू में स्‍तनपान कराने हेतु सहायता की आवश्‍यकता होती है। स्‍तनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव में जानकारी न होने के कारण बच्‍चों में कुपोषण का रोग एवं संक्रमण से दस्‍त हो जाते हैं।

विश्व स्तनपान सप्ताह, विश्वभर के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार और स्तनपान कराने को प्रोत्साहित हेतु एक सौ सत्तर देशों से अधिक देशों में प्रतिवर्ष अगस्त माह के पहले सप्ताह (एक अगस्त से सात अगस्त) में मनाया जाता है। विश्व स्तनपान सप्ताह 2015 का विषय "स्तनपान और कार्य : चलो इसे लागू करें" हैं। यह विषय “महिलाओं को स्तनपान और कार्य” को दृढ़तापूर्वक एक साथ करने का समर्थन देता है।
इसका उद्देश्य अनुकूल कार्यस्थल - स्तनपान स्थापन द्वारा कामकाज़ी महिलाओं के स्तनपान संबंधी अधिकारों के बारे में बड़े पैमाने पर जागरूकता प्रसारित करना हैं।
 माँ का दूध बच्चे के लिए अनमोल उपहार है। नवजात शिशु और बच्चे को सुरक्षा और स्नेह तथा पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती है। इन सभी आवश्यकताओं स्तनपान को पूरा करता है। मां का दूध, बच्चे के सम्पूर्ण विकास हेतु पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है तथा बच्चे को छह महीने की अवस्था तक मां के दूध के अलावा अन्य कोई वैकल्पिक आहार नहीं दिया जाना चाहिए। प्रत्येक माँ को स्तनपान कराने की तकनीकों जैसे कि स्तनपान कैसे कराएँ? और स्तनपान कब कराना चाहिए? तथा स्तनपान से संबंधित अन्य पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। डब्ल्यूएचओ की सिफ़ारिश के अनुसार, नवजात शिशु के लिए कोलोस्ट्रम, पीला, चिपचिपा/गाढ़ा माँ/स्तन का दूध संपूर्ण आहार होता है। स्तनपान कराना, जन्म के तुरंत बाद, एक घंटे के भीतर ही शुरू किया जाना चाहिए। बच्चे को छह महीने की अवस्था तक स्तनपान कराने की सिफ़ारिश की जाती है। शिशु को छह महीने की अवस्था के बाद और दो वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी दिया जाना चाहिए। यदि बच्चा ज़्यादा दूध पीता हैं, तो स्तन से ज़्यादा दूध पैदा करने की आवश्यकता होती हैं। यदि बच्चा दूध पीना बंद कर देता है अथवा बच्चा दोबारा कभी दूध नहीं पीता है, तो स्तन दूध पैदा करना बंद कर देता है।
 
बच्चे के लिए स्तनपान के लाभ :
  • बच्चे को स्तनपान/माँ के दूध से प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, लोहा, खनिज, पानी और आवश्यक एंजाइम पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होते है। 
  • स्तन का दूध जल्दी और आसानी से पचता हैं।
  • यह बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, जो कि बच्चे को भविष्य में कई प्रकार के संक्रमणों से भी बचाता हैं। 
  • यह बच्चे के मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।
  • यह मितव्ययी और संक्रमण से मुक्त होता हैं। 
  • स्तनपान बच्चे और मां के बीच भावनात्मक संबंध को मज़बूत/बढ़ाता है।
माँ के लिए स्तनपान के लाभ :
  • यह स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर होने की संभावना को कम करता है।
  • यह प्रसव से पहले खून बहना और एनीमिया की संभावना को कम करता है। 
  • यह माँ को अपनी पुरानी शारीरिक संरचना प्राप्त करने में सहायता करता हैं। स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच मोटापा सामान्यत: कम पाया जाता है।
समाज के लिए लाभ :
  • स्तनपान कराना, बच्चों में मृत्यु/मृत्यु दर को कम करता है।
  • स्तनपान करने वाले बच्चों में उत्कृष्ट प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास होता हैं तथा वे कई प्रकार की घातक की बीमारियों की रोकथाम में सक्षम बनते है। इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य के बजट में कमी आ सकती है।
हम सभी को स्तनपान के बारे में जानकारी जानने की आवश्यकता है :       
  • माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम और संपूर्ण पोषण आहार होता है।
  • स्तनपान कराना, बच्चे को खिलाने का सबसे उचित प्राकृतिक तरीका है।
  • बच्चे को जन्म के तुरंत बाद, एक घंटे के भीतर स्तनपान करना शुरू करना चाहिए।
  • बच्चे को छह महीने की अवस्था तक स्तनपान अवश्य कराना चाहिए।
  • बच्चे को पहले छह महीनों में किसी भी तरह के बाज़ार में उपलब्ध सूखे दूध, कृत्रिम आहार, पेय अथवा पानी नहीं दिया जाना चाहिए। 
  • यद्यपि बच्चा अथवा माँ बीमार हों, तो भी स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए।
  • माँ को दो वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराना ज़ारी रखना चाहिए। 
  • आपके बच्चे के लिए बोतल से दूध पीना हानिकारक हो सकता है। यह आपके शिशु में पतले दस्त/मल होने का प्रमुख कारण हो सकता है।
  • बच्चे को छह महीने की अवस्था के बाद से ही ठोस आहार दिया जाना शुरू करना चाहिए। 
  • स्तनपान कराने के दौरान, धूम्रपान अथवा शराब का सेवन न करें। यह "आपके और आपके बच्चे" के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • स्तनपान कराने से पहले अथवा बाद में उचित स्वच्छता बनाए रखें।
  • बच्चे को उसकी आवश्यकता के अनुसार अथवा चौबीस घंटों में आठ बार स्तनपान अवश्य कराएँ।

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