पृथ्वी की सतह पर सात बड़े और कई छोटे टेक्टॉनिक प्लेट होते है। और यही टेक्टॉनिक प्लेट्स एक दूसरे से दूर होते हैं, टूट कर अलग होते हैं, जो समय बीतते महाद्वीप बन जाते हैं। इसी कारण से, भूवैज्ञानिक इतिहास से पहले और आज के महाद्वीपों से पहले कई दूसरे महाद्वीप हुआ करते थे।
महाद्वीपों की सँख्या 7 : -
महाद्वीपों को विभाजित करने के कई तरीके हैं :-
प्रतिरूप | ||||||||
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सात महाद्वीप | ||||||||
6 महाद्वीप | ||||||||
6 महाद्वीप | ||||||||
5 महाद्वीप | ||||||||
5 महाद्वीप | ||||||||
4 महाद्वीप |
प्रायः सात महाद्वीप का सिद्धान्त पश्चिमी यूरोप, उत्तरी यूरोप, मध्य यूरोप, दक्षिणी-पूर्व यूरोप, चीन तथा लगभग सभी अंग्रेज़ी भाष्य देशों में पढ़ाया जाता है। छः महाद्वीप वाला मानक – जिसमें यूरोप और एशिया को मिलाकर यूरेशिया कहा जाता है – भूगोलशास्त्रियों द्वारा पसन्द किया जाता है और रूस, पूर्वी यूरोप तथा जापान में भी पढ़ाया जाता है। छः महाद्वीप वाला मानक – जिसमें उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीका को मिलाकर केवल अमरीका कहा जाता है – दक्षिणी अमरीका, आइबीरिया प्रायद्वीप, इटली, ईरान, यूनान और यूरोप के कुछ भाग में पढ़ाया जाता है। इस पद्धति में कुछ फेर बदल कर केवल पाँच बसे हुए महाद्वीपों को भी दर्शा सकता है (अंटार्टिका को हटाकर) जैसा ओलंपिक के चिन्ह में देखने को मिलता है। ओशिऍनिया या ऑस्ट्रेलेशिया नाम कभी-कभी ऑस्ट्रेलिया और उसके आसपास के प्रशान्त महासागर के द्वीप समूहों को मिलकर दिया जाता है। उदाहरणतः, कनाडा की मानचित्रावली (ऍटलस) में ओशिऍनिया नाम दिया गया है, और ऐसा ही आइबीरिया और दक्षिणी अमरीका में भी देखा जाता है।
aapne bhut hi achchha prayaas Kiya hai en chhote chhote prashno ko student Bahut achhe se samajh pate hai ese hi likhte rhe
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