कद्दू एक स्थलीय, द्विबीजपत्री पौधा है जिसका तना लम्बा, कमजोर व हरे रंग का होता है। तने पर छोटे-छोटे रोयें होते हैं। यह अपने आकर्षों की सहायता से बढ़ता या चढ़ता है। इसकी पत्तियां हरी, चौड़ी और वृत्ताकार होती हैं। इसका फूल पीले रंग का सवृंत, नियमित तथा अपूर्ण घंटाकार होता। नर एवं मादा पुष्प अलग-अलग होते हैं। नर एवं मादा दोनों पुष्पों में पाँच जोड़े बाह्यदल एवं पाँच जोड़े पीले रंग के दलपत्र होते हैं। नर पुष्प में तीन पुंकेसर होते हैं जिनमें दो एक जोड़ा बनाकार एवं तीसरा स्वतंत्र रहता है। मादा पुष्प में तीन संयुक्त अंडप होते हैं जिसे युक्तांडप कहते हैं। इसका फल लंबा या गोलाकार होता है। फल के अन्दर काफी बीज पाये जाते हैं। फल का वजन4 से 8 किलोग्राम तक हो सकता है। सबसे बड़ी प्रजाति मैक्सिमा का वजन 34 किलोग्राम से भी अधिक होता है। यह लगभग संपूर्ण विश्व में उगाया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, मेक्सिको, भारत एंव चीन इसके सबसे बड़े उत्पादक देश हैं। इस पौधे की आयु एक वर्ष होती है।
क्या आप जानते हैं?
कद्दू की खेती आलस्का सहित छह महाद्वीपों में होती है। केवल अंटार्कटिका में वे नहीं उगाए जाते।
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कद्दू खरबूजा प्रजाति का फल है लेकिन इसका प्रयोग सब्जी की तरह किया जाता है।
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कद्दू के फूल और बीज भी खाने के काम आते हैं।
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कद्दू पोटैशियम और विटामिन ए का महत्वपूर्ण स्रोत है।
पौष्टिक तत्व -
कद्दू में मुख्य रूप से बीटा केरोटीन पाया जाता है, जिससे विटामिन ए मिलता है। पीले और संतरी कद्दू में केरोटीन की मात्रा अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। बीटा केरोटीन एंटीऑक्सीडेंट होता है जो शरीर में फ्री रैडिकल से निपटने में मदद करता है। कद्दू व इसके बीज विटामिन सी और ई, आयरन, कैलशियम मैग्नीशियम, फॉसफोरस, पोटैशियम, जिंक, प्रोटीन और फाइबर आदि के भी अच्छे स्रोत होते हैं। इसमें श्वेतसार, कुकुर्बिटान नामक क्षाराभ, एकतिक्तराल, प्रोटीन-मायोसिन, वाईटेलिन शर्करा क्षार आदि पाए जाते हैं। यह बलवर्धक है, रक्त एवं पेट साफ करता है, पित्त व वायु विकार दूर करता है और मस्तिष्क के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। प्रयोगों में पाया गया है कि कद्दू के छिलके में भी एंटीबैक्टीरिया तत्व होता है जो संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं से रक्षा करता है। कद्दू के बीज भी आयरन, जिंक, पोटेशियम और मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं। इसमे खूब रेशा यानी की फाइबर होता है जिससे पेट हमेशा साफ रहता है। शायद इन्हीं खूबियों के कारण कद्दू को प्राचीन काल से ही गुणों की खान माना जाता रहा है। यह खून में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायक होता है और अग्नयाशय को भी सक्रिय करता है। इसी वजह से चिकित्सक मधुमेह के रोगियों को कद्दू के सेवन की सलाह देते हैं।
बड़े काम की चीज है कद्दू
कद्दू रस एवं विपाक में मधुर होता है। इसके बीजों से प्राप्त तेल को सिर पर लगाने से फायदा होता हैं इसकी फल मज्जा का शरीर पर लेप करने से सन्ताप दाह में लाभ होता है। अग्नि से जल जाने पर (अग्निदग्ध) इसके पत्तों का रस निकालकर लगाने से काफी लाभ मिलता है, इसी के साथ-साथ इसके फूल का रस पारद के विष को भी दूर करता है। उन्माद आदि मानसिक रोगों में यह अच्छा लाभ करता है तथा स्मृति ह्रास व मस्तिष्क व ह्रदय की दुर्बलता को दूर करता है। मानस रोगों में पका कद्दू विशेष लाभदायक होता है। यह शरीर को पुष्ट बनाता है। यह उरःक्षत, रक्तपित्त, मूत्र, कृच्छ, मूत्राघात, अश्मरी, राजयक्ष्मा क्षय आदि में भी सहायक रूप से लाभ करता है। शरीर में जलन की शान्ति के लिए इसके बीजों को पीसकर मिश्री मिलाकर ठण्डाई के रूप में प्रयोग करते हैं। गर्मियों में इसका अवलेह व मुरब्बा भी प्रयोग किया जाता है तथा इसके अनेक व्यंजन, बर्फी, खीर, हलवा, रायता, पकौड़े आदि के रूप में भी प्रयोग करते हैं। आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान में इसके अनेक योग प्रयोग किए जाते हैं, जैसे कुष्माण्डखण्ड, कुस्माण्डगुडकल्याणक, कुड्माण्डधृत आदि।
घरेलू नुस्खे-
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