पुदुचेरी भारत गणराज्य का केन्द्रशासित प्रदेश है। पहले पुदुचेरी एक फ्रांसीसी उपनिवेश था जिसे 4 ज़िलों का समावेश करके बनाया गया था। पुदुचेरी नाम इसके सबसे बडे ज़िले पुदुचेरी के नाम पर पडा़ है। पहले पुदुचेरी का आधिकारिक नाम पॉंडिचेरी था जिसे सितंबर 2006में बदलकर पुदुचेरी कर दिया गया। पुदुचेरी का स्थानीय तमिल भाषा में अर्थ होता है 'नया गाँव'। यह प्रदेश बंगाल की खाड़ी के पूर्व में स्थित है। यह प्रदेश लगभग तीन सौ सालों तक फ्रांसिसी अधिकार में रहा। जनरल डूमा फ़्राँसीसी उपनिवेश पाण्डिचेरी का गवर्नर था। प्राचीन समय में फ्रांस से व्यापार का यह प्रमुख केंद्र था। फ्रांसिसी संस्कृति और वास्तुशिल्प के प्रमाण आज भी यहाँ कहीं कहीं दिख जाते हैं। आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
आनन्द रंग पिल्लई ने पांडिचेरी की घटनाओं का विवरण लिखा है और साथ ही उन घटनाओं का भी उल्लेख किया है जिनकी प्रतिक्रिया फ़्राँसीसी राजधानी में हुई। पांडिचेरी का विकास मार्टिन ने एक समृद्ध नगर के रूप में किया। यह नगर भारत में फ्रांसीसी उपनिवेशों की राजधानी के रूप माहे और कोरोमंडल तट पर करिकाल की बस्तियाँ थी। आंग्ल-फ्रांसीसी संघर्ष में दौरान अंग्रेजों ने दो बार, 1745 ई. और 1747 ई. में पांडिचेरी लेने का असफल प्रयास किया लेकिन 1761 ई. में वे इसे लेने में सफल हो गये। इसके साथ ही भारत में फ्रांसीसियों के साम्राज्य का अंत हो गया। पुदुचेरी के अंतर्गत दक्षिण के पुदुचेरी, कराइकल, माहे और यनम के वे क्षेत्र हैं, जहां पहले फ्रांसीसियों का शासन था। पुदुचेरी इस प्रदेश की राजधानी है जो भारत में फ्रांस के निवासियों का मुख्यालय थी। यह 138 वर्षों तक फ्रांसीसी शासन के अधीन था। 1 नवंबर 1954 को इसका भारत में विलय कर दिया गया।
प्राचीन समय से ही पुदुचेरी वैदिक संस्कृति का केंद्र रहा है। यह ऋषि अगस्त्य की भूमि है। पुदुचेरी में आध्यात्मिक शान्ति और बढ़ गयी जब 12वीं शताब्दी में यहाँ 'अरविंद आश्रम' की स्थापना हुई।
आनन्द रंग पिल्लई ने पांडिचेरी की घटनाओं का विवरण लिखा है और साथ ही उन घटनाओं का भी उल्लेख किया है जिनकी प्रतिक्रिया फ़्राँसीसी राजधानी में हुई। पांडिचेरी का विकास मार्टिन ने एक समृद्ध नगर के रूप में किया। यह नगर भारत में फ्रांसीसी उपनिवेशों की राजधानी के रूप माहे और कोरोमंडल तट पर करिकाल की बस्तियाँ थी। आंग्ल-फ्रांसीसी संघर्ष में दौरान अंग्रेजों ने दो बार, 1745 ई. और 1747 ई. में पांडिचेरी लेने का असफल प्रयास किया लेकिन 1761 ई. में वे इसे लेने में सफल हो गये। इसके साथ ही भारत में फ्रांसीसियों के साम्राज्य का अंत हो गया। पुदुचेरी के अंतर्गत दक्षिण के पुदुचेरी, कराइकल, माहे और यनम के वे क्षेत्र हैं, जहां पहले फ्रांसीसियों का शासन था। पुदुचेरी इस प्रदेश की राजधानी है जो भारत में फ्रांस के निवासियों का मुख्यालय थी। यह 138 वर्षों तक फ्रांसीसी शासन के अधीन था। 1 नवंबर 1954 को इसका भारत में विलय कर दिया गया।
प्राचीन समय से ही पुदुचेरी वैदिक संस्कृति का केंद्र रहा है। यह ऋषि अगस्त्य की भूमि है। पुदुचेरी में आध्यात्मिक शान्ति और बढ़ गयी जब 12वीं शताब्दी में यहाँ 'अरविंद आश्रम' की स्थापना हुई।
पेराडाइज समुद्री तट
पेराडाइज समुद्री तट शहर से 8 किलोमीटर दूर कुड्डलोर मेन रोड के समीप है। इस समुद्र तट के एक ओर छोटी सी खाड़ी है। यहाँ पर केवल नाव द्वारा ही पहुँचा जा सकता है। यहाँ पर समुद्री पानी में डॉल्फिन को देखना सुखद अनुभव है। यहाँ पर इतनी सुन्दरता और शान्ति है कि यह अपने नाम को सार्थक करता है। यहाँ आकर स्वर्ग का आभास होता है।
ऑरोविल्ले समुद्री तट
यह समुद्री तट ऑरोविल्ले के पास है। पुदुचेरी से इसकी दूरी 12 किमी है। यहाँ तट पर पानी अधिक गहरा नहीं है,अत: तैरने के लिए यह सही जगह है। सप्ताहांत में यहाँ पर बहुत पर्यटक आते हैं। इसलिए सप्ताहांत में यहाँ बहुत भीड़ होती है। सप्ताह के शेष दिनों में यहाँ ज़्यादा भीड़ नहीं होती है। पुदुचेरी के बीचों बीच यह सरकारी उद्यान सबसे ख़ूबसूरत सार्वजनिक स्थल है। इस उद्यान का आकर्षण उद्यान में बना 'आयी मंडपम' है। इस भवन का निर्माण नेपोलियन तृतीय के शासनकाल में कराया गया था। यह भवन ग्रीक रोमन वास्तु कला का उदारहण है। इस भवन का नाम महल में काम करने वाली एक महिला के नाम पर रखा गया था। उक्त महिला ने अपने घर के स्थान पर एक जलकुंड बनाया था। कहा जाता है कि किसी समय नेपोलियन ने यहाँ पर पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई थी और प्रसन्न होकर इस स्मारक का नाम 'आयी मंडपम' रखा था।
अरिकमेडु
पुदुचेरी से 4 किमी दक्षिण में यह ऐतिहासिक स्थान है। यह स्थान रोमन कॉलोनियों के साथ किये गये व्यापार का प्रतीक है। यहाँ के व्यापारी वाइन का आयात करते थे और बदले में कपड़ा, बहुमूल्य रत्न और आभूषणों का निर्यात करते थे। आज भी यहाँ 18वी. शताब्दी के फ्रेंच जेसूट मिशन हाउस के खंडहर मिलते हैं। यह स्थान 1783 में बंद कर दिया गया था। फ्रांसीसी शासनकाल में आनंद रंगा पिल्लई पुदुचेरी के राज्यपाल थे। उनकी डायरियां 18वीं शताब्दी के फ्रांस और भारत के संबंधों का ज्ञान कराती हैं। यह महल प्राचीन भवनों में से एक है। इसका निर्माणकाल 1738 था। इसका वास्तुशिल्प भारतीय और फ्रेंच शैली का सम्मिलित मिश्रण है।
फ्रेंकॉइस डुप्लेक्स
फ्रेंकॉइस डुप्लेक्स 1754 तक पुदुचेरी के गवर्नर थे। 1870 में श्रद्धांजलि स्वरूप इनकी एक प्रतिमा फ्रांस में और दूसरी प्रतिमा पुदुचेरी में स्थापित की गई थी। 2.88 मीटर ऊंची ग्रेनाइट से बनी यह मूर्ति गौवर्ट एवेन्यू पर है।
तिरुकामेश्वर मंदिर
श्री गोकिलंबल तिरुकामेश्वर मंदिर पुदुचेरी से 10 किलोमीटर की दूरी पर है। दस दिनों तक चलने वाले ब्रह्मोत्सव में यहाँ पर हज़ारों की संख्या में भक्तजन आते हैं। यह ब्रह्मोत्सव मई और जून माह में मनाया जाता है। इस उत्सव में मंदिर के रथ को भक्तजन खींचते हैं। यह रथ 15 मी. ऊंचा होता है। हज़ारों भक्तों द्वारा रथ खींचने का दृश्य अविस्मरणीय होता है। सर्व धर्म सम भाव की प्रतीक यह रथयात्रा फ्रेंच शासन के समय में भी निकाली जाती थी। उस समय तत्कालीन फ्रेंच गवर्नर स्वयं इस रथयात्रा में भाग लेते थे और रथ को खींचा करते थे। इसके अतिरिक्त यहाँ पर ऑस्टेरी झील है जो 10 हैक्टेयर में फैली हुई है। इस झील में पक्षियों की अनेक दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं।
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