दादरा और नगर हवेली (દાદરા અને નગર હવેલી, दादरा आणि नगर हवेली, Dadrá e Nagar Aveli) भारत का एक केंद्रशासित प्रदेश हैं। यह दक्षिणी भारत में महाराष्ट्र और गुजरात के बीच स्तिथ है, हालाँकि दादरा, जो कि इस प्रदेश कि एक तालुका है, कुछ किलोमीटर दूर गुजरात में स्तिथ एक विदेशी अन्तः क्षेत्र है। सिलवासा इस प्रदेश की राजधानी है। यह क्षेत्र दमन से 10 से30 किलोमीटर दूर है। इस प्रदेश पर 1779 तक मराठाओं का और फिर 1954 तक पुर्तगाली साम्राज्य का साशन था। इस संघ को भारत में 11 अगस्त 1961 में शामिल किया गया। 2अगस्त को मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है। दादरा और नगर घवेली प्रमुख रूप से ग्रामीण क्षेत्र है जिसमे 62% से अधिक आदिवासी रहते है।
संघ राज्य क्षेत्र 40 प्रतिशत हिस्सा आरक्षित वनों से घिरा है जो नाना प्रकार के वनस्पति और पशु को निवास प्रदान करते है। समुद्री तट से समीपता के कारण, गर्मियों में तापमान ज्यादा ऊपर नहीं जाता। दमनगंगा यहाँ की प्रमुख नदी है जो अरब सागर में जाकर मिलती है। दादरा और नगर हवेली ( Dadra and Nagar Haveli) भारत का एक केंद्रशासित प्रदेश हैं। यह दक्षिणी भारत में महाराष्ट्र औरगुजरात के मध्य स्थित है, हालाँकि दादरा, जो कि इस प्रदेश कि एक तालुका है, कुछ किलोमीटर दूर गुजरात में स्थित एक विदेशी अन्तः क्षेत्र है। सिलवासा इस प्रदेश की राजधानी है। यह क्षेत्र दमन से 10 से 30 किलोमीटर दूर है।
इतिहास
मराठों और पुर्तग़ालियों के बीच लंबे संघर्ष के बाद 17 दिसंबर, 1779 को मराठा सरकार ने मित्रता सुनिश्चित करने के लिए इस प्रदेश के कुछ गांवों का 12,000 रुपये का राजस्व क्षतिपूर्ति के तौर पर पुर्तग़ालियों को सौंप दिया था। जनता द्वारा 2 अगस्त, 1954 को मुक्त कराने तक, पुर्तग़ालियों ने इस प्रदेश पर शासन किया। 1954 से 1961 तक यह प्रदेश लगभग स्वतंत्र रूप से काम करता रहा जिसे ‘स्वतंत्र दादरा एवं नगर हवेली प्रशासन’ ने चलाया। लेकिन 11 अगस्त, 1961 को यह प्रदेश भारतीय संघ में शामिल हो गया है और तब से भारतसरकार एक 'केंद्रशासित प्रदेश' के रूप में इसका प्रशासन कर रही है। पुर्तग़ाल के चंगुल से इस क्षेत्र की मुक्ति के बाद से ‘वरिष्ठ पंचायत’ प्रशासन की परामर्शदात्री संस्था के रूप में कार्य कर रही थी पंरतु इसे 1989 में भंग कर दिया गया और अखिल भरतीय स्तर पर संविधान संशोधन के अनुरूप 'दादरा और नगर हवेली' ज़िला पंचायत और 11 ग्राम पंचायतों की एक प्रदेश परिषद गठित कर दी गई। दादरा और नगर हवेली 491 वर्ग कि.मी. में फैला छोटा सा केंद्रशासित प्रदेश है।
दादरा की मुक्ति
फ्रांसिस मैस्करेनहास और विमान देसी के नेतृत्व में युनाइटेड फ्रंट ऑफ गोअन्स के करीब 15 सदस्यों ने 22 जुलाई 1954 की रात को दादरा पुलिस स्टेशन में हमला बोला। उन्होंने उप-निरीक्षक अनिसेतो रोसारियो की हत्या कर दी। अगले ही दिन पुलिस चौकी पर भारतीय तिरंगा फहराया गया और दादरा को मुक्त प्रान्त घोषित कर दिया गया। जयंतीभाई देसी को दादरा के प्रशाशन हेतु पंचायत का मुखिया बना दिया गया।
नारोली की मुक्ति
28 जुलाई 1954 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और आज़ाद गोमान्तक दल के स्वयंसेवक ने नारोली के पुलिस चौकी पर हमला बोला और पुर्तगाली अफसरों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया और नारोली को आजाद किया। अगले दिन, 29जुलाई को स्वतंत्र नारोली की ग्राम पंचायत की स्थापना हुई।
सिलवासा की मुक्ति
कप्तान फिदाल्गो के नेतृत्व में अभी भी पुर्तगाली सेना ने नगर हवेली में स्तिथ सिलवासा में अड्डा जमाया हुआ था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और आज़ाद गोमान्तक दल के स्वयंसेवकों ने मौका देखते ही सिलवासा की परिधि में स्थित पिपरिया पर कब्जा जमा लिया। करीब आते देख कप्तान फिदल्गो ने स्वतंत्रता सेनानियों को आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दी परन्तु वे सिलवासा की और बढ़ चले। अपने निश्चित पराजय को देखते हुए कप्तान फिदल्गो150 सेन्य करमचारियों के साथ सिलवासा से 15 किमी दूर खान्वेल भाग गए। 2 अगस्त 1954 को सिलवासा मुक्त घोषित कर दिया गया। कप्तान फिदाल्गो, जो नगर हवेली के अंदरूनी हिस्से में छुपे थे, को आखिरकार 11 अगस्त 1954 में आत्मसमर्पण करना पड़ा। एक सार्वजनिक बैठक में कर्मलकर को प्रथम प्रशाशक के रूप में चुना गया।
भारत में संयोजन
स्वतंत्र होने के बावजूद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय द्वारा दादरा-नगर हवेली को पुर्तगाली संपत्ति के रूप में मान्यता प्राप्त थी 1954 से 1961 तक, दादरा और नगर हवेली वरिष्ठ पंचायत द्वारा संचालित एक मुक्त प्रदेश रहा। 1961 में जब भारत ने गोवा को मुक्त किया तब श्री बदलानी को एक दिन के लिए राज्य-प्रमुख बनाया गया। उन्होंने तथा भारत के प्रधान मंत्री, जवाहर लाल नेहरु, ने एक समझौते पर हस्ताक्षार किया और दादरा और नगर हवेली औपचारिक रूप से भारत में संयोजित कर दिया।
दादरा और नगर हवेली मुख्यत: ग्रामीण क्षेत्र हैं, जहां 79 प्रतिशत आदिवासी रहते हैं। इसका कृषि क्षेत्र लगभग 21,115 हेक्टेयर है। मुख्य फ़सल धान (ख़रीफ) है तथा नागली और पहाड़ी बाज़ारा अन्य प्रमुख फ़सलें हैं। फलों में आम, चीकू तथा केले का मुख्य उत्पादन होता है तथा कुल भू-भाग के 40 प्रतिशत क्षेत्र में वन हैं। पिछले कुछ वर्षों में गन्ने की खेती को बड़े स्तर पर शुरू किया गया है। सिंचाई के क्षेत्रों में कई प्रकार की फ़सल प्रणालियों को अपनाने के प्रयास जारी हैं। दादरा और नगर हवेली में स्वतंत्रता से पूर्व, किसी प्रकार की सिंचाई सुविधाएं नहीं थी और किसानों को पूरी तरह वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता था। प्रदेश के भारतीय संघ में सम्मिलित होने के बाद लघु सिंचाई क्षेत्र में पर्याप्त उपाय किए गए हैं। अब तक सिंचाई कुओं से संबंधित 128 लिफ्ट सिंचाई परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। भूतल जल संसाधनों, जैसे कि नदियों, बांधों के जरिए प्रदेश में 1851 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए अतिरिक्त सिंचाई व्यवस्था की गई है।
त्योहार और पर्यटन स्थल
दादरा और नगर हवेली क्षेत्र में सामान्यतया सभी हिंदु, मुस्लिम और ईसाई त्योहार मनाए जाते हैं। आदिवासी अपने ही त्योहार मनाते हैं। ढोडिया और वर्ली जनजातियां ‘दिवसो’ त्योहार मनाती हैं और ढोडिया जनजाति रक्षाबंधन भी मनाती है। वर्ली, कोकना और कोली जनजातियां 'भावड़ा' त्योहार मनाती हैं। यहाँ की सभी जातियों के लोग फ़सल काटने से पहले ग्राम देवी की पूजा करते है तथा फ़सल काटने के बाद ‘काली पूजा’ का त्योहार मनाते हैं।
घने वन क्षेत्र तथा अनुकूल जलवायु को देखते हुए यहाँ पर्यटन क्षेत्र को उच्च प्राथमिकता दी गई है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हर साल तारपा उत्सव, पंतग उत्सव और विश्व पर्यटन दिवस आदि आयोजित किए जाते हैं। पर्यटन की दृष्टि से प्रमुख स्थान है -
- ताडकेश्वर शिव मंदिर
- वृंदावन
- खानवेल का हिरण पार्क
- बाणगंगा झील और द्वीप उद्यान
- वनविहार उद्यान
- लघु प्राणी विहार
- बाल उद्यान
- आदिवासी म्यूजियम
- सिलवासा स्थित हिरवावन उद्यान
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