असम राज्य में स्थित काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान - Study Search Point

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असम राज्य में स्थित काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान

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काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत के असम राज्य का एक राष्ट्रीय उद्यान है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान आसाम प्रदेश के गोलाघाट और नोआगांव जिलों की सीमा में स्थित है। इस उधान को UNESCO ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान न केवल भारत में वरन पूरे विश्व में एक सींग वाले गेंडे के लिए प्रसिद्ध है। पूरे विश्व में एक सींग वाले गेंडो की कुल संख्या का एक तिहाई, इस उद्यान में विधमान है। यह उद्यान टाइगर रिजर्व भी है। और यहाँ पर विश्व में शेरों की सबसे घनी आबादी है। गेंडों और शरों के अलावा यहाँ बड़ी संख्या में हाथी, भारतीय जंगली भैंसे, हिरण और सांभर भी पाये जाते है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को जंगली चिड़ियों की प्रजातियों के संरक्षण के प्रयास के लिए बर्ड लाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के रूप में भी चिन्हित किया गया है। पूर्वी हिमालय में स्थित यह उद्यान प्राणी जीवन की विविधता के लिए पूरे विश्व में अपना अद्वितीय स्थान रखता है। इस उद्यान के बीच में से ब्रह्मपुत्र सहित चार नदियां बहती है। और उद्यान में बहुत से तालाब है। उद्यान में विविध प्रकार की वनस्पति है। जिसमे लम्बी-लम्बी हरी घास और चौड़ी पत्ती के वृक्ष सबसे अधिक दिखते है। काजीरंगा का इतिहास 1904 से आरम्भ होता है, जब उस समय के वायसराय लार्ड कर्जन की पत्नी मेरी कर्जन ने इस क्षेत्र का भ्रमण किया , जो उस समय भी एक सींग वाले गेंडो के लिए प्रसिद्ध था। जब उन्हें यहाँ एक भी गेंडा देखने को नहीं मिला तो उन्होंने लार्ड कर्जन को इस प्राणी को विलुप्त होने से बचने के लिए तुरंत कार्यवाही करने के अनुरोध किया। इसके तुरंत बाद एक जून 1905 को दो सौ बत्तीस ( 232) वर्ग किलोमीटर में काजीरंगा रिजर्व फारेस्ट बना दिया गया। सन 1950 में काजीरंगा गेम अभ्यारण का नाम बदलकर काजीरंगा वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी रख दिया गया।


सन 1968 में आसाम सरकार ने असम नेशनल पार्क एक्ट पारित करके काजीरंगा को राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया। इसके बाद, उन्नीस सौ चौहत्तर (1974) में भारत सरकार ने भी, इसे सरकारी मान्यता प्रदान की। इस उद्यान के अनोखे प्राकृतिक वातारण को देखते हुए UNESCO ने 1975 में इसे विश्व धरोहर (यानि वर्ल्ड हेरिटेज साइट) घोषित कर दिया। पिछले कुछ दशकों में काजीरंगा कई मानव रचित व प्राकृतिक विपदाओं का शिकार रह चुका है। सीमा क्षेत्र में लोगों द्वारा किये गए अतिक्रमण की वजह से भी , उद्यान की वनस्पति व पशुवर्ग में कमी आई है। इस क्षेत्र का नाम काजीरंगा कैसे पड़ा इस विषय में कई किम्वदतिया प्रचलित है। परन्तु इतिहासकारों का मानना है कि करबी भाषा के शब्द काज़िर-ए-रंग से काजीरंगा बना है जिसका अर्थ है काजिर गाँव। यह उद्यान चार सौ तीस वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह समुद्र तल से 40 मीटर से लेकर80 मीटर की उंचाई पर स्थित है। ब्रह्मपुत्र नदी, उद्यान की उत्तरी और पूर्वी सीमा रेखा बनाती है तथा दक्षिणी सीमा रेखा पर मोरा डिफ्लू नदी बहती है। उद्यान में दो और नदियां डिफ्लू और मोरा धातिरा भी बहती है। काजीरंगा के मैदान, ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा बाद में लायी गयी मिट्टी से बने होने के कारण बहुत उपजाऊ है। उद्यान के लगभग पांच प्रतिशत क्षेत्र में नदियों की बाढ़ द्वारा बनी झीले है। बीच-बीच में प्राकृतिक ऊँचे टीले है, जिन्हें चपोरी कहते है। इन टीलों पर बाढ़ के दौरान जंगली पशु शरण लेते है। भारतीय सेना द्वारा पशुओं की सुरक्षा के लिए बहुत से कृत्रिम टीलों का निर्माण भी किया गया है। काजीरंगा इंडो - मलाया पर्यावरण क्षेत्र में स्थित है। इस क्षेत्र में Assam Alluvial plains, Semi-evergreen forests, tropical moist deciduous forest, Eastern dillenia swamp forest पाये जाते है। उद्यान में लगभग पैंतीस प्रकार के स्तनपायी जीव मिलते है। इनमें से पंद्रह जातियों के विलुप्त होने का खतरा है। काजीरंगा को विश्व में एक सींग वाले गेंडों की सबसे अधिक जनसंख्या वाला उद्यान होने के गौरव प्राप्त है। यहाँ लगभग अठारह सौ पचपन गेंडे है। भारतीय जंगली भैसों की संख्यां सोलह सौ छियासठ (1666) है। तथा यहाँ चार सौ अड़सठ (468) दलदली हिरण है। बड़े शाकाहारी जानवरो में 1940 हाथी, 30 गौड़ और 58 साम्भर मौजूद है। छोटे शाकाहारी जानवरों में भारतीय मुनटियाक, जंगली सूअर, hawk deer मुख्य है। काजीरंगा में विश्व के लगभग सत्तावन (57) प्रतिशत भारतीय जंगली भैंसे पाये जाते हैं जो कि किसी उद्यान में सबसे बड़ी जनसंख्या है। अफ्रीका से बाहर काजीरंगा कुछ उन चुने हुऐ क्षेत्रों में से है जहाँ बड़ी बिल्लियों जैसे भारतीय शेर और तेंदुए एक साथ पाये जाते है। यहाँ लगभग 118 शेर है और औसतन 5 वर्ग किलो मीटर में एक शेर पाया जाता है, जो की विश्व में शेरों की सबसे घनी आबादी है। यहाँ पर जंगल Cat. Fishing cat तेंदुए भी प्रयाप्त संख्या में है। छोटे स्तनपायी जानवरों में हिसपिड खरगोश, भारतीय भूरा नेवला , छोटा भारतीय नेवला, Large Indian Civet, small Indian Civet , Bengal fox, golden jackal, sloth bear, Chinese pangolin, Indian Pangolins, hodfoadger, hog badger, Chinese forest badger और partly coloured flying squirrel पाये जाते है। बंदरों की प्रजातियों में Assamese macaque, capped and golden langur और hoolock gibbon भी पार्क में पाये जाते है।
काजीरंगा की नदियों में Ganges dolphin भी पायी जाती है। Bird Life International द्वारा काजीरंगा की Important Bird Area के रूप में पहचान की जाती है। यहाँ पर चिड़ियों की बहुत सी प्रजातियां पायी जाती है। एक समय में काजीरंगा में गिध्दों की सात प्रजातियाँ पायी जाती थी। लेकिन diclofenac दवा युक्त पशुओं के शव खाने के कारण गिद्धों की संख्या विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गयी है। इस समय केवल Indian vulture, Slender built vulture और Indian white rumped vulture ही रह गए हैं। विश्व के दो सबसे बड़े साँप reticulated python और rock python इस उद्यान में पाये जाते है। विश्व का सबसे लम्बा जहरीला साँप King cobra भी इस पार्क में मौजूद है। यहाँ पर कछुओं की पंद्रह प्रजातिया तथा मछलियो की बयालीस (42) प्रजातियाँ पायी जाती है। काजीरंगा में लगभग इकसठ (61) प्रतिशत क्षेत्र में लम्बी हरी घास तथा अट्ठाइस (28 प्रतिशत क्षेत्र में वृक्ष है। लगभग ६ प्रतिशत क्षेत्र में तालाब है जिन्हें बील कहते है।

बाढ़ के दौरान तालाबों में silt आ जाती है जिसको नियमित रूप से हटाया जाता है ताकि तालाबों में उपयुक्त मात्र में पानी बना रहे। गर्मी आने से पूर्व इन तालाबों में बांध भी बनाये जाते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा पानी जंगली जानवरों तथा चिड़ियों के लिए इकठ्ठा हो सके। यहाँ के प्राणी जीवन को शिकारियों से बचाने के लिए भी, वन विभाग को काफी मेहनत करनी पड़ती है। इसके लिए लगभग 121 कैम्प स्थापित किये गए है। जिनमें हथियार बंद कर्मचारी तैनात है। अवैध शिकारियों के विषय में सूचना प्राप्त करने के लिए वन अधिकारी स्थानीय लोगों के संपर्क में रहते है। ऐसी कोई सूचना प्राप्त होते ही अवैध शिकारियों को पकड़ने की कार्यवाही की जाती है। इस उद्यान के इतने विशाल क्षेत्र के प्रबंधन में कई कठिनाईयाँ भी आ रही हैं। जहाँ बाढ़ इस उद्यान के पारितंत्र यानी ecosystem को बनाये रखने लिए आवश्यक हैं वहीं इसके कुछ विपरीत प्रभाव भी पड़ते है। पिछले कुछ वर्षों में बाढ़ का स्तर बढ़ गया हैं जो की इस उद्यान के जानवरों के लिए खतरा है। बाढ़ के दौरान ज्यादातर जानवर पास की उंचाई वाले क्षेत्रों में शरण लेते हैं जो की गांवो के आसपास है। इन क्षेत्रों में अवैध शिकार के कारण बहुत से जानवर मारे जाते हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान का प्राकृतिक परिवेश वनों से युक्‍त है, जहाँ बड़ी एलिफेंट ग्रास, मोटे वृक्ष, दलदली स्‍थान और उथले तालाब हैं। एक सींग वाला गैंडा, हाथी, भारतीय भैंसा, हिरण, सांभर, भालूबाघ, चीते, सुअर, बिल्ली, जंगली बिल्‍ली, हॉग बैजर, लंगूर, हुलॉक गिब्‍बन,भेडिया, साही, अजगर और अनेक प्रकार की चिडियाँ, जैसे- 'पेलीकन'[1]बत्तख, कलहंस, हॉर्नबिल, आइबिस[2], जलकाक, अगरेट, बगुला, काली गर्दन वाले स्‍टॉर्क, लेसर एडजुलेंट, रिंगटेल फिशिंग ईगल आदि बड़ी संख्‍या में पाए जाते हैं।

सींग वाले गैंडे के लिए प्रसिद्ध

काज़ीरंगा राष्‍ट्रीय उद्यान न केवल भारत में वरन पूरे विश्‍व में एक सींग वाले गैंडे के लिए प्रसिद्ध है। यह राष्‍ट्रीय उद्यान असम का एकमात्र राष्‍ट्रीय उद्यान है। यह केंद्रीय असम में स्थित है। उद्यान उबड़-खाबड़ मैदानों, लम्बी-ऊँची घासों, आदिवासियों और भयंकर दलदलों से पूर्ण कुल 430 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यूनेस्को द्वारा घोषित विश्‍व धरोहरों में से एक काज़ीरंगा राष्‍ट्रीय उद्यान साल 2005 में 100वर्ष का हो गया है।

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