सरसों के साग के फायदे, - Study Search Point

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सरसों के साग के फायदे,

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सरसों का साग एक पंजाबी व्यंजन है। यह सरसों के पत्तों को पकाकर बनता है। सरसों रस तथा पाक में चरपरी, स्निग्ध, तीक्ष्ण, कड़वी, अग्निदीपक, हलकी, स्पर्श तथा वीर्य में उष्ण, कफ तथा वातनाशक होती है। यह बवासीर, कान के रोग, खुजली, कृमि, कोढ़ तथा श्वेत कुष्ठ नाशक होती है। सर्दी में इसका उपयोग गरमी तथा गर्मियों में शरीर को ठंडक पहुँचाता है। सरसों के तेल में बनाया गया अचार लम्बे समय तक सुरक्षित तथा स्वादिष्ट रहता है। सरसों के हरे पत्तों में विटामिन 'ए' पर्याप्त मात्रा में रहता है।
बनाने की बिधि :
सामग्री: सरसों के पत्ते - (1/2 किलो), टमाटर - दो, पिसा हुआ अदरक - एक चम्मच, हरी मिर्च - दो बारीक कटी हुई, लहसुन - बारीक कटा हुआ दो चम्मच, प्याज - एक (बारीक कटा हुआ), हींग - एक चुटकी, किचन किंग सब्जी मसाला एक चम्मच, गरम मसाला एक चम्मच, हल्दी एक चम्मच, बेसन - दो चम्मच, सरसों का तेल - तीन चम्मच, देशी घी - दो चम्मच, धनिया के पत्ते बारीक कटे हुए एक चम्मच, जीरा आधा चम्मच, नमक स्वादानुसार, मक्खन
सरसों के पत्तों को बड़े बड़े काट कर पानी में अच्छी तरह से दो बार धो लें। धोने के बाद इसको प्रेशर कुकर में आधा कटोरी पानी की साथ उबलने के लिए रख दें| एक सीटी के बाद कुकर को आंच पर से हटा दें, ठंडा होने के बाद मिक्सी में इसको पीस लें | टमाटर को भी अलग से मिक्सी में पीस कर इसमें सब्जी मसाला, हल्दी, अदरक और बेसन मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें | एक कढाई में सरसों का तेल डालकर गरम करें, तेल गरम होने पर इसमें जीरा और हींग डाल दें, जब जीरा तेल में ऊपर आ जाय इसमें लहसुन, प्याज और हरी मिर्च डाल कर सुनहरा होने तक भूनें |अब इसमें टमाटर पेस्ट डालकर भुने, जब पेस्ट से तेल अलग होने लगे इसमें सरसों का पेस्ट और देशी घी डालकर अच्छी तरह से चला लें और धीमी आंच पर दस मिनट तक पकने दें| बीच बीच में चला कर देख लें, जिससे साग जलने न पाए | अब आप का साग तैयार है, मख्खन और धनिया के पत्ते डालकर गरमा गरम परोसें | 
औषधीय प्रयोग
➥ शरीर पर सरसों के तेल की मालिश से सारे शरीर में खून का दौरा तेज होकर शरीर में स्फूर्ति आती है। इससे शरीर पुष्ट होता है, बुढ़ापे के लक्षण मिटते हैं, थकान दूर होती है, माँसपेशियाँ मजबूत बनती हैं तथा त्वचा स्वच्छ एवं झुर्रियों रहित, कोमल कांतिपूर्ण बनती है।➥ नवजात शिशु तथा प्रसूता, दोनों का शरीर सरसों के तेल की मालिश से पुष्ट तथा बलवान बनता है। यह शरीर के रोम छिद्रों द्वारा सारे शरीर में पहुँच कर शरीर का पोषण करता है तथा शक्ति प्रदान करता है। सर्दियों में सरसों के तेल की मालिश करके नहाने से शरीर पर ठण्ड का असर नहीं होता।➥ शरीर का रोग ग्रस्त अंग जिसमें दर्द, सूजन या गठिया हो, सरसों के तेल की मालिश से आराम मिलता है। सरसों के तेल में हींग, अजवायन, लहसुन, डालकर गर्म करके, ठण्डा होने पर छान कर शीशी में रखें। सर्दी के कारण हाथ, पैर, कमर में दर्द होने लगे तो इस तेल की मालिश से आराम मिलेगा। बच्चों को सर्दी लग जाने पर इस तेल की मालिश से उनकी सर्दी दूर होगी। सिर के बालों में नियमित रूप से सरसों का तेल लगाने से वे असमय सफेद नहीं होंगे, सिर में दर्द नहीं होगा, आँखों की ज्योति बढ़ती है तथा नींद ठीक आती है।➥ कानों में सरसों का तेल डालने से कान दर्द, बहरापन आदि कान के रोग मिटते हैं। इससे कान का मैल फूलकर बाहर निकल आता है। कान में दर्द हो या कीड़ा घुस गया हो तो सरसों के तेल में 3-4 कलियाँ लहसुन की डाल कर गर्म करके गुनगुना रहने पर 1-2 बूँद कान में डालें। कीड़ा मरकर तेल के साथ बाहर आ जाएगा।➥ सरसों के तेल में बारीक पिसा नमक मिलाकर कुछ समय तक लगातार मंजन करने से दाँत दर्द, पायरिया आदि रोगों में लाभ होता है। जुकाम होने पर गर्म सरसों के तेल की छाती, पीठ पर मालिश करने तथा नाक के चारों ओर लगाने से लाभ होता है।➥ पैर के तलवों में सरसों के तेल की मालिश से थकावट दूर होती है, पैरों की शक्ति बढ़ती है तथा इससे आँखों की ज्योति भी बढ़ती है। सरसों के दाने शहद के साथ पीसकर चाटने से खाँसी में आराम मिलता है।➥ सरसों के तेल में कपूर डालकर मालिश करने से गठिया के दर्द में आराम मिलेगा। बच्चे के पेट की तिल्ली बढ़ जाने पर सरसों के तेल को गुनगुना गर्म करके कुछ दिन उसके पेट की मालिश करें। प्रसूतिगृह की विषाक्त गंध को दूर करने के लिए सरसों के दानों की घी के साथ धूप देनी चाहिए।
➥ किसी ने जहरीला पदार्थ खा लिया हो तो गर्म पानी में सरसों के दाने पीसकर पिलाने से तत्काल वमन हो जाएगा तथा पेट से जहरीला पदार्थ बाहर निकल आता है। सरसों के तेल में आक के पत्तों का रस तथा हल्दी मिलाकर गर्म करें, ठण्डा होने पर छान कर शीशी में रख लें। खाज-खुलली, दाद आदि चर्म रोगों के लिए यह तेल बहुत फायदेमंद है।

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