भारतीय मूल के ब्रिटिश शिल्पकार अनीश कपूर की कलाकृति ‘क्वींस वजाइन’ के कारण फ्रांस में हंगामा मच गया है। यह कलाकृति 17वीं सदी के मशहूर पैलेस ऑफ वर्सेलीस के बगीचे में चल रही कला प्रदर्शनी में प्रदर्शित की गई है। इसे लेकर मीडिया और सोशल मीडिया के एक वर्ग में उनकी आलोचना हो रही है। मुंबई में जन्मे 61 साल के अनीश कपूर ने अपना काम का शीर्षक डर्टी कॉर्नर रखा है। उनकी कृतियों की प्रदर्शनी बीते मंगलवार से शुरू हुई है। यह एक नवंबर तक चलेगी।
कैसी है यह कलाकृति
इस्पात और पत्थर की बनी 200 फुट लम्बी और 33 फुट ऊंची इस कृति की शक्ल एक गुफा जैसी है। इसे जिस राज प्रासाद उद्यान में रखा गया है, वहां हर साल 50 लाख पर्यटक आते हैं।
इस्पात और पत्थर की बनी 200 फुट लम्बी और 33 फुट ऊंची इस कृति की शक्ल एक गुफा जैसी है। इसे जिस राज प्रासाद उद्यान में रखा गया है, वहां हर साल 50 लाख पर्यटक आते हैं।
अनीश ने पिछले सप्ताह एक साक्षात्कार में कहा था कि डर्टी कॉर्नर का मतलब साफ तौर पर सेक्स और वैभव से है। ‘वजाइन ऑफ क्वीन’ का मतलब शक्ति हासिल करना है। हालांकि शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में कपूर अपने इस बयान से पलटते नजर आए। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा कोई बयान याद नहीं है। हां, प्रदर्शनी की जानकारी देते हुए उन्होंने इस शब्द का इस्तेमाल जरूर किया था।
क्या कहा गया मीडिया में
-फ्रांसीसी मीडिया ने उनकी क्वींस वजाइन को उकसाने वाली कृति बताया है।
-यूरोप वन रेडियो स्टेशन की वेबसाइट ने लिखा है कि अनीश कपूर ने स्कैंडल खड़ा कर दिया है।
- अखबार ला फिगारो ने लिखा है कि वर्सेलस में एक तरफ सदियों पुराने फ्रांसिसी महल की शान-ए- शौकत है तो दूसरी तरफ अनीश कपूर की समकालीन कला है।
- युवा पत्रिका लेस इनरॉक्स के मुताबिक इस कलाकृति के विरोधी वास्तव में फासीवादी हैं।
-फ्रांसीसी मीडिया ने उनकी क्वींस वजाइन को उकसाने वाली कृति बताया है।
-यूरोप वन रेडियो स्टेशन की वेबसाइट ने लिखा है कि अनीश कपूर ने स्कैंडल खड़ा कर दिया है।
- अखबार ला फिगारो ने लिखा है कि वर्सेलस में एक तरफ सदियों पुराने फ्रांसिसी महल की शान-ए- शौकत है तो दूसरी तरफ अनीश कपूर की समकालीन कला है।
- युवा पत्रिका लेस इनरॉक्स के मुताबिक इस कलाकृति के विरोधी वास्तव में फासीवादी हैं।
-अनीश कपूर का जन्म 12 मार्च 1954 में मुम्बई में हुआ था। अनीश हिन्दू पंजाबी पिता और इराकी यहूदी मां की संतान हैं। उनकी स्कूली शिक्षा दून स्कूल में हुई। 16 साल की उम्र में वह 1970 में इजराइल गए। वहां इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़कर कलाकार बनने का निश्चय किया। 1973 में वह इंग्लैंड पहुंचे। वहां हॉर्नसे कॉलेज ऑफ आर्ट और चेल्सिया स्कूल ऑफ आर्ट एंड डिजाइन में अध्ययन किया।
उपलब्धियां
- अनीश विशालकाय और अदभुत आकृतियां बनाने के लिए जाने जाते हैं। उनकी कलाकृतियां न्यूयॉर्क, लंदन, शिकागो, इस्तांबुल, जेरुशलन और दिल्ली में देखी जा सकती हैं।
- उनकी कुछ ऐसी ही अनोखी आकृतियां ब्रिटेन के टेट मॉडर्न टरबाइन हॉल और शिकागो के मिलेनियम पार्क में रखी हुई हैं। ब्रिटेन में ओलंपिक टॉवर काफी चर्चित है।
- अनीश विशालकाय और अदभुत आकृतियां बनाने के लिए जाने जाते हैं। उनकी कलाकृतियां न्यूयॉर्क, लंदन, शिकागो, इस्तांबुल, जेरुशलन और दिल्ली में देखी जा सकती हैं।
- उनकी कुछ ऐसी ही अनोखी आकृतियां ब्रिटेन के टेट मॉडर्न टरबाइन हॉल और शिकागो के मिलेनियम पार्क में रखी हुई हैं। ब्रिटेन में ओलंपिक टॉवर काफी चर्चित है।
सम्मान
- अनीश अपनी शिल्पकला में महारत के लिए 1991 में टर्नर पुरस्कार मिल चुका है। 2003 में सीबीई भी बनाया जा चुका है।
- वह भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश कलाकार हैं, जिन्हें वर्ष 2009 में रॉयल अकादमी में प्रवेश मिला।
- शिल्पकार अनीश कपूर को 2013 में नाइटहुड सम्मान भी मिल चुका है।
- अनीश अपनी शिल्पकला में महारत के लिए 1991 में टर्नर पुरस्कार मिल चुका है। 2003 में सीबीई भी बनाया जा चुका है।
- वह भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश कलाकार हैं, जिन्हें वर्ष 2009 में रॉयल अकादमी में प्रवेश मिला।
- शिल्पकार अनीश कपूर को 2013 में नाइटहुड सम्मान भी मिल चुका है।
साभार : LiveHind
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