दोपहर भोजन योजना : इसे मध्याह्न भोजन योजना भी कहते हैं, नामांकन बढ़ाने, उन्हें बनाए रखने और उपस्थिति के साथ-साथ बच्चों के बीच पोषण स्तर सुधारने के दृष्टिकोण के साथ प्राथमिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पोषण सहयोग कार्यक्रम 15 अगस्त, 1995 से शुरू किया गया। केंद्र द्वारा प्रायोजित इस योजना को पहले देश के 2408 ब्लॉकों में शुरू किया गया। वर्ष 1997-98 के अंत तक एनपी-एनएसपीई को देश के सभी ब्लॉकों में लागू कर दिया गया।
2002 में इसे बढ़ाकर न केवल सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और स्थानीय निकायों के स्कूलों के कक्षा एक से पांच तक के बच्चों तक किया गया बल्कि ईजीएस और एआईई केंद्रों में पढ़ रहे बच्चों को भी इसके अंतर्गत शामिल कर लिया गया। वर्ष 1995 से प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 5 तक) में बच्चों को मध्यान्ह भोजन लिये जाने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया, जिसके अन्तर्गत पूर्वी जनपदों में से खाद्यान्न भेजा जायेगा उसमें चावल की मात्रा 2/3 तथा गेहूँ की मात्रा 1/3 रखी जाय। इसी प्रकार पश्चिमी जनपदों में गेहूँ की मात्रा 2/3 तथा चावल की मात्रा 1/3 की होगी। उक्त खाद्यान्न वर्ष के 10 माहों (मई तथा जून को छोड़कर) में प्रत्येक छात्र को 100 ग्राम प्रतिदिन अर्थात प्रति माह 3 कि०ग्रा० की दर नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है।
➤ 2003 से 2004 10 जिलों के (30 प्रखण्डों) 2532 विद्यालयों में प्रयोग के तौर पर तैयार भोजन का वितरण।
➤ 1 जून 2005 से तैयार भोजन व्यवस्था का सर्वव्यापीकरण एवं वर्ग के सभी बच्चों के लिए लागू।
➤ 1 मार्च 2008 से वर्ग VI से वर्ग VIII के बच्चों के लिए भी मध्याह्नन भोजन की व्यवस्था।
• बच्चों के जीवन के मौलिक अधिकार के लिए बच्चों के अच्छे पोषण के लिए।
• बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए।
• बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए।
• बच्चों में अच्छी सामजिक समता के लिए।
• बच्चों में स्वच्छ्ता स्वच्छ्ता एवं सफाई के लिए।
• बच्चों के जीवन के मौलिक अधिकार के लिए।
मध्याह्न भोजन योजना हमारे देश महत्वपूर्ण योजना है जिसके तहत स्कूली बच्चों को सभी कार्य दिवसों पर मुफ्त भोजन प्रदान की जाती है। इस योजना के सफल कार्यान्वयन से जहाँ एक ओर बच्चों में कुपोषण की समस्या कम हुई है, वहीं दूसरी ओर यह विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि में सामाजिक संतुलन स्थापित करने में मदद कर रही है तथा रोजगार के प्रावधान के माध्यम से महिलाओं और वंचित सामाजिक के सशक्तिकरण में भी सार्थक साबित हो रही है।
➤ 1995 से 2002 प्रतिबच्चा 3 कि0 ग्रा0 अन्न प्रतिमाह वितरित किया गया था।➤ 2003 से 2004 10 जिलों के (30 प्रखण्डों) 2532 विद्यालयों में प्रयोग के तौर पर तैयार भोजन का वितरण।
➤ 1 जून 2005 से तैयार भोजन व्यवस्था का सर्वव्यापीकरण एवं वर्ग के सभी बच्चों के लिए लागू।
➤ 1 मार्च 2008 से वर्ग VI से वर्ग VIII के बच्चों के लिए भी मध्याह्नन भोजन की व्यवस्था।
एमडीएम कार्यक्रम के अंतर्गत खाद्यान्नों की आपूर्ति में आने वाली विभिन्न परेशानियों से निपटने के लिए एफसीआई प्रत्येक राज्य में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करता है। जिलाधिकारी/जिला पंचायत प्रमुख सुनिश्चित करते हैं कि खाद्यान्न एफएक्यू से कम का न हो तथा एफसीआई और जिलाधिकारी तथा/या जिला पंचायत प्रमुख द्वारा नामित व्यक्तियों की संयुक्त टीम के निरीक्षण के बाद ही जारी किया जाता है। • आवधिक रिटर्न भारत सरकार के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा राज्य सरकार/केंद्रशासित प्रदेशों को (i) बच्चों और संस्थानों के कवरेज, (ii) खाना पकाने की लागत, परिवहन, किचन शैड का निर्माण और किचन के सामानों की प्राप्ति पर आवधिक सूचना दाखिल करने के लिए कहा जाता है।
• सामाजिक विज्ञान शोध संस्थानों द्वारा निगरानी सर्वशिक्षा अभियान की निगरानी के लिए चिह्नित 41 सामाजिक विज्ञान शोध संस्थानों को मध्याह्न भोजन योजना की निगरानी का काम भी सौंपा गया है।
• शिकायत निवारण राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कहा गया है कि जनशिकायतों के निवारण के लिए एक समुचित पद्धति विकसित करें जिसका बड़े पैमाने पर प्रचार होना चाहिए और आसान पहुंच में हो। उच्च प्राथमिक स्तर तक विस्तार केंद्रीय बजट 2007-08 में वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि मध्याह्न भोजन योजना 2007-08 में 3427 शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों (ईबीबी) में उच्च प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को शामिल करने के लिए बढ़ाई जाएगी। इसके लिए 7324 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान रखा गया है जो 2006-07 के बजट के मुकाबले 37 प्रतिशत अधिक है।
• सामाजिक विज्ञान शोध संस्थानों द्वारा निगरानी सर्वशिक्षा अभियान की निगरानी के लिए चिह्नित 41 सामाजिक विज्ञान शोध संस्थानों को मध्याह्न भोजन योजना की निगरानी का काम भी सौंपा गया है।
• शिकायत निवारण राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कहा गया है कि जनशिकायतों के निवारण के लिए एक समुचित पद्धति विकसित करें जिसका बड़े पैमाने पर प्रचार होना चाहिए और आसान पहुंच में हो। उच्च प्राथमिक स्तर तक विस्तार केंद्रीय बजट 2007-08 में वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि मध्याह्न भोजन योजना 2007-08 में 3427 शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों (ईबीबी) में उच्च प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को शामिल करने के लिए बढ़ाई जाएगी। इसके लिए 7324 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान रखा गया है जो 2006-07 के बजट के मुकाबले 37 प्रतिशत अधिक है।
• बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए।
• बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए।
• बच्चों में अच्छी सामजिक समता के लिए।
• बच्चों में स्वच्छ्ता स्वच्छ्ता एवं सफाई के लिए।
• बच्चों के जीवन के मौलिक अधिकार के लिए।
कार्यक्रम की चुनौतियाँ : -
FCI से कई बार आवंटन समय पर प्राप्त नहीं होता है, जिसके कारण मध्याह्न भोजन योजना प्रभावित होती है। वित्तीय वर्ष 2009-10 के प्रथम एवं द्वितीय त्रैमास के लिये खाद्यान्न का आवंटन समय पर प्राप्त हुआ, लेकिन राज्य में भारतीय खाद्य निगम द्वारा राज्य खाद्य निगम को खाद्यान्न समय पर उपलब्ध नहीं कराया गया। राज्य खाद्य निगम भी ससमय खाद्यान्न संवेदको को उपलब्ध नहीं कराती है। FCI के द्वारा Bag पर MDM अंकित करने का निर्णय हुआ था, जिस पर अमल नहीं हो रहा है। फलत: चावल की गुणवत्ता पर नियंत्रण नहीं हो पाता है। FCI का बेहतर तालमेल SFC के साथ् नहीं हो पाता है। विद्यालय स्तर पर प्रतिदिन मूनू का पालन नहीं होने सम्बन्धित समस्या अनुश्रवण समिति की बैठक समय पर नहीं होना। विद्यालय शिक्षा समिति के स्तर पर समन्वय की कमी।
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