वैज्ञानिकों को यॉर्कशायर के समुद्रतट पर ब्रिटेन के सबसे प्राचीन शाकाहारी (सौरोपोड्स) डायनासोर का जीवाश्म मिला है! वैज्ञानिकों को मिला रीढ़ की हड्डी का यह जोड़ उस डायनासोर समूह से है, जिसमें पृथ्वी पर रहने वाले सबसे विशालकाय जानवर शामिल हैं!
यॉर्कशायर में समुद्रतटीय शहर व्हिटबाय के करीब मिला यह नया डायनासोर मध्य जुरासिक काल का है, जो करीब 1.76 करोड़ साल पुराना है! यह निष्कर्ष इस बात का प्रतीक है कि इस किस्म के डायनासोर का पिछला कंकाल रिकॉर्ड ब्रिटेन से है. कहा गया है कि यॉर्कशायर डायनासोर के पद्चिह्न् इस बात के सबूत हैं कि देश का यह हिस्सा कभी ब्रिटेन का अपना 'जुरासिक वर्ल्ड' हुआ करता था! कई वैज्ञानिक मध्य जुरासिक चट्टानों से यॉर्कशायर तक हैरान कर देने वाले डायनासोर के पद्चिन्हों पर काम कर रहे हैं! युनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्ट के प्रोफेसर फिल मैनिंग ने कहा, "यॉर्कशायर की जुरासिक चट्टानों से जीवाश्म की रीढ़ की हड्डी का एक ऐसा जोड़ आंखों के सामने पाना एक सुखद आश्चर्य है, जो जाहिर तौर पर एक शाकाहारी डायनासोर का है! सौरोपोड्स (शाकाहारी डायनासोर) को अक्सर ब्रोंटोसॉर्स कहा जाता है! इसमें करीब 1.50 करोड़ वर्षो तक पृथ्वी पर विचरण करने वाले सबसे बड़े शाकाहारी डायनासोर शामिल हैं! इन निष्कर्षो के विवरण एक पत्र में 'प्लोस वन' पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं!
By : NBP
यॉर्कशायर में समुद्रतटीय शहर व्हिटबाय के करीब मिला यह नया डायनासोर मध्य जुरासिक काल का है, जो करीब 1.76 करोड़ साल पुराना है! यह निष्कर्ष इस बात का प्रतीक है कि इस किस्म के डायनासोर का पिछला कंकाल रिकॉर्ड ब्रिटेन से है. कहा गया है कि यॉर्कशायर डायनासोर के पद्चिह्न् इस बात के सबूत हैं कि देश का यह हिस्सा कभी ब्रिटेन का अपना 'जुरासिक वर्ल्ड' हुआ करता था! कई वैज्ञानिक मध्य जुरासिक चट्टानों से यॉर्कशायर तक हैरान कर देने वाले डायनासोर के पद्चिन्हों पर काम कर रहे हैं! युनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्ट के प्रोफेसर फिल मैनिंग ने कहा, "यॉर्कशायर की जुरासिक चट्टानों से जीवाश्म की रीढ़ की हड्डी का एक ऐसा जोड़ आंखों के सामने पाना एक सुखद आश्चर्य है, जो जाहिर तौर पर एक शाकाहारी डायनासोर का है! सौरोपोड्स (शाकाहारी डायनासोर) को अक्सर ब्रोंटोसॉर्स कहा जाता है! इसमें करीब 1.50 करोड़ वर्षो तक पृथ्वी पर विचरण करने वाले सबसे बड़े शाकाहारी डायनासोर शामिल हैं! इन निष्कर्षो के विवरण एक पत्र में 'प्लोस वन' पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं!
By : NBP
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें