सिक्किम स्थापना दिवस 16 मई को बनाया जाता है। सिक्किम नामग्याल राजतन्त्र द्वारा शासित स्वतन्त्र राज्य
था। 1975 में हुए जनमत-संग्रह के बाद यह भारतमें विलीन हो गया।
इस जनमत संग्रह के बाद राजशाही का अन्त और भारतीय संविधान की नियम-प्रणाली के अंतर्गत यहाँ प्रजातन्त्र का उदय हुआ।
सिक्किम
अंगूठे के आकार का यह राज्य पश्चिम में नेपाल, उत्तर और पूर्व में चीनी तिब्बत क्षेत्र और दक्षिण-पूर्व में भूटान से घिरा हुआ है। भारत का पश्चिम बंगाल राज्य इसके दक्षिण में है। अंग्रेज़ी, नेपाली, लेप्चा, भूटिया, लिंबू तथा हिन्दी इसकी आधिकारिक भाषाएँ हैं, परन्तु शासकीय कार्य में अंग्रेज़ी का ही प्रयोग होता है। हिन्दू धर्म औरवज्रयान बौद्ध धर्म यहाँ के प्रमुख धर्म है। राज्य की राजधानी और सबसे बड़ा शहर 'गंगटोक' है।
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विश्व दूरसंचार दिवस (World Telecom Day) प्रत्येक वर्ष '17 मई' को मनाया जाता है। आधुनिक युग में फोन, मोबाइल और इंटरनेट लोगों की प्रथम आवश्यकता बन गये हैं। इसके बिना जीवन की कल्पना करना बहुत ही मुश्किल हो चुका है। आज यह इंसान के व्यक्तिगत जीवन से लेकर व्यावसायिक जीवन में पूरी तक प्रवेश कर चुका है। पहले जहाँ किसी से संपर्क साधने के लिए लोगों को काफ़ी मशक्कत करनी पड़ती थी, वहीं आज मोबाइल और इंटरनेट ने इसे बहुत ही आसान बना दिया है। व्यक्ति कुछ ही सेकेंड में बेहद असानी से दोस्तों, परिवार और सगे संबधियों से संपर्क साध सकता है। 'विश्व दूरसंचार दिवस' मनाने की परंपरा 17 मई, 1865 में शुरू हुई थी, लेकिन आधुनिक समय में इसकी शुरुआत 1969 में हुई। तभी से पूरे विश्व में इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके साथ नवम्बर, 2006 में टर्की में आयोजित पूर्णाधिकारी कांफ्रेंस में यह भी निर्णय लिया गया था कि 'विश्व दूरसंचार' एवं 'सूचना' एवं 'सोसाइटी दिवस', तीनों को एक साथ मनाया जाए। वर्तमान समय में दूरसंचार का एक बहुत बड़ा हिस्सा इंटरनेट है। इसमें कोई शक नहीं है कि जिन लोगों की पहुंच इंटरनेट तक है, उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इंटरनेट ने उनके जीवन को काफ़ी सरल बना दिया है। इसके जरिए हम असंख्य सूचनाओं को पलक झपकते ही मात्र कुछ चंद सेकेंड में प्राप्त कर लेते हैं। इंटरनेट सिर्फ सूचनाओं के लिहाज से ही नहीं, बल्कि सोशल नेटवर्किग से लेकर स्टॉक एक्सचेंज, बैंकिंग, ई-शॉपिंग आदि के लिए अब अहम बन चुका है। इसके लिए यदि किसी को सबसे अधिक श्रेय देना चाहेंगे तो गूगल जैसे सर्च इंजन इसके हकदार हैं।
'दूरसंचार क्रांति' गरीब देश में हुई एक ऐसी क्रांति है, जिसने न केवल देश की छवि बदली बल्कि देश के विकास से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था की यह प्रत्यक्षदर्शी रही। आज जिस आसानी से हम अपने मोबाइल फोन के माध्यम से कई ऐसे कार्य कर लेते हैं, जिसके लिए कुछ साल पहले काफ़ी मशक्कत करना पड़ती थी। दूरसंचार क्रांति की बदौलत ही भारत की गिनती आज विश्व के कुछ ऐसे देशों में होती है, जहाँ आर्थिक समृद्धि में इस क्रांति का बड़ा योगदान रहा है। आज हम दूरसंचार के मामले में काफ़ी आगे निकल चुके हैं।
1880 में दो टेलीफोन कंपनियों 'द ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड' और 'एंग्लो इंडियन टेलीफोन कंपनी लिमिटेड' ने भारत में टेलीफोन एक्सचेंज की स्थापना करने के लिए भारत सरकार से संपर्क किया। इस अनुमति को इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया गया कि टेलीफोन की स्थापना करना सरकार का एकाधिकार था और सरकार खुद यह काम शुरू करेगी। 1881 में सरकार ने अपने पहले के फैसले के ख़िलाफ़ जाकर इंग्लैंड की 'ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड' को कोलकाता, मुंबई, मद्रास (चेन्नई) और अहमदाबाद में टेलीफोन एक्सचेंज खोलने के लिए लाइसेंस दिया। इससे 1881 में देश में पहली औपचारिक टेलीफोन सेवा की स्थापना हुई। 28 जनवरी, 1882 भारत के टेलीफोन इतिहास में 'रेड लेटर डे' है। इस दिन भारत के तत्कालीन गवर्नर-जनरल काउंसिल के सदस्य मेजर ई. बैरिंग ने कोलकाता, चेन्नई और मुंबई में टेलीफोन एक्सचेंज खोलने की घोषणा की। आज इंटरनेट के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, अपनी विश्वनीयता को बरकरार रखना। जिस तरह से इंटरनेट ने हमारे जीवन को सरल बनाने में एक अहम योगदान दिया है, उसी तरह इसने कई ऐसी समस्याएँ भी उत्पन्न कर दी हैं, जिससे कहीं न कहीं हमारा समाज दूषित हो रहा है। देखें तो आज इंटरनेट पर काम कम और इसका दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है। पोर्नोग्राफी जैसी समस्या इंटरनेट के हर हिस्से में पहुंच चुकी है। देखने में यह आया है कि नासमझ लोग अपने यार-दोस्तों की तस्वीरें इंटरनेट पर डाल देते हैं, लेकिन अश्लीलता परोसने वाली वेबसाइट्स उन्हें चुराकर उनका दुरुपयोग करना शुरू कर देती हैं। इसके सामने एक और बड़ी चुनौती साइबर अपराध भी है, जिसकी आड़ में लोग अफवाह फैला कर देश में साइबर युद्ध जैसे हालात पैदा करने की कोशिश करते रहते हैं।
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अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (International Museum Day) प्रत्येक वर्ष '18 मई' को मनाया जाता है। संग्रहालय में हमारे पूर्वजों की अनमोल यादों को संजोकर रखा जाता है। यह दिवस विश्वभर में संग्रहालयों की भूमिका के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रतिवर्ष मनाया जाता है। लोग तो चले जाते हैं, लेकिन उनकी यादें हमेशा बनी रहती हैं। यह यादें भी कई तरह से संजोकर रखी जाती हैं।
हमारे पूर्वजों ने अपनी यादों को सुन्दर तरीक़े से संजोकर रखा, जिससे कि हम भी उनके बारे में जान सकें। संग्रहालयों की विशेषता और उनके महत्व को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 1983 में '18 मई' को 'अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय किया था। इसका उद्देश्य आम जनता में संग्रहालयों के प्रति जागरुकता फैलाना और उन्हें संग्रहालयों में जाकर अपने इतिहास को जानने के प्रति जागरुक बनाना है। यह दिवस विश्वभर में संग्रहालयों की भूमिका के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रतिवर्ष मनाया जाता है। 'अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय परिषद' के अनुसार, "संग्रहालय में ऐसी अनेक चीज़ें सुरक्षित रखी जाती हैं, जो मानव सभ्यता की याद दिलाती हैं। संग्रहालयों में रखी गई वस्तुएं प्रकृति और सांस्कृतिक धरोहरों को प्रदर्शित करती हैं।" इस दिवस का उद्देश्य विकासशील समाज में संग्रहालयों की भूमिका के प्रति जन-जागरूकता को बढ़ाना है और यह कार्यक्रम विश्व में काफ़ी समय से मनाया जा रहा है। संग्रहालय में हमारे पूर्वजों की अनमोल यादों को संजोकर रखा जाता है। किताबें, पाण्डुलिपियाँ, रत्न, चित्र, शिला चित्र और अन्य सामानों के रूप में तमाम तरह की वस्तुएं संग्रहालयों में हमारे पूर्वजों की यादों को ज़िंदा रखे हुई हैं। भारत में भी 'अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस' पर तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य आम जनता, छात्रों एवं शोधार्थियों को विभिन्न संग्रहालयों में उपलब्ध समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की जानकारी देना है। आज के दिन 'भारत सरकार' के सभी संग्रहालयों में प्रवेश निःशुल्क कर दिया जाता है।
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