उग्रपंथियों का राजनीतिक उदय कांग्रेस के अन्दर ही बंगाल विभाजन विरोधी प्रदर्शनों से हुआ था|जब ब्रिटिश सरकार ने बंगाल के लोगों द्वारा किये जा रहे जन प्रदर्शनों के बावजूद बंगाल के विभाजन को रद्द करने से मना कर दिया तो अनेक युवा नेताओं का सरकार से मोहभंग हो गया, इन्हें ही नव-राष्ट्रवादी या उग्रपंथी कहा गया| लाला लाजपत राय,बाल गंगाधर तिलक,बिपिन चंद्र पाल और अरविन्द घोष प्रमुख उग्रपंथी नेता थे| उन्हें उग्रपंथी कहा गया क्योकि उनका मानना था कि सफलता केवल उग्र माध्यमों से ही प्राप्त की जा सकती है|
उग्रपंथ के उदय के कारण -
1. नरमपंथियों/उदारवादियों द्वारा सिवाय भारतीय परिषद् अधिनियम(1909) के तहत विधान परिषदों के विस्तार के,कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल न कर पाना |
2. 1896-97 के प्लेग और अकाल,जो भारत के लोगों की आर्थिक स्थिति में ह्रास का कारण बना,के बाद भी ब्रिटिशों की शोषणकारी नीतियों में कोई बदलाव नहीं आया|
3. दक्षिण अफ्रीका में भारतियों के साथ रंग-भेद|
4. 1904-05 की रूस-जापान युद्ध की घटना ने राष्ट्रीय जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी|
प्रमुख उग्रपंथी/गरमपंथी -
• बाल गंगाधर तिलक: इन्हें ‘लोकमान्य’ भी कहा जाता है| इनके द्वारा निकाले गए ‘मराठा’(अंग्रेजी में) व ‘केसरी’(हिंदी में) नाम के साप्ताहिक पत्रों ने ब्रिटिश शासन पर हमलों में क्रांतिकारी भूमिका निभाई|1916 में इन्होने पूना में होमरूल लीग की स्थापना की और नारा दिया कि “स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मै इसे लेकर रहूँगा”|
• लाला लाजपत राय : इन्हें ‘शेरे-पंजाब’ या ‘पंजाब का शेर’ कहा जाता था|इन्होने स्वदेशी आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| ‘साइमन वापस जाओ’ का नारा इन्होने ही दिया था|
• बिपिन चन्द्र पाल : ये पहले उदारवादी थे लेकिन बाद में उग्रपंथी बन गए| इन्होने स्वदेशी आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी|अपने प्रभावशाली भाषणों व लेखन के द्वारा इन्होनें राष्ट्रवाद के विचार को देश के कोने-कोने तक पहुँचाया|
• अरविन्द घोष : ये एक अन्य उग्रपंथी नेता थे जिन्होनें स्वदेशी आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई थी|
बंगाल का विभाजन -
बंगाल विभाजन भारत में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड कर्जन ने 1905 में लागू किया किया था जिसके कारण निम्नलिखित थे-
• बंगाली राष्ट्रवाद की ताकत को तोड़ना क्योकि बंगाल भारतीय राष्ट्रवाद का केंद्र था|
• बंगाल में हिन्दुओं व मुस्लिमों को विभाजित करना|
• यह दर्शाना की ब्रिटिश सरकार इतनी शक्तिशाली है कि वह जो चाहे कर सकती है|
लेकिन विभाजन ने स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जन को जागृत कर जन-आन्दोलन का रूप दे दिया जिसका परिणाम बहिष्कार और स्वदेशी आन्दोलन के रूप में दिखाई दिया|
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