हैदराबाद के इतिहास का निर्माण अनेक राज्यों व शासकों जैसे-चालुक्य वंश ,काकतीय वंश ,दिल्ली सल्तनत,बहमनी सल्तनत, विजयनगर साम्राज्य ,निज़ामों और अंग्रेजों के द्वारा हुआ है।इसी कारण उसका इतिहास अत्यधिक विविधतापूर्ण है। मुग़ल बादशाह द्वारा चिनकिलिच खां को निज़ाम-उल-मुल्क की उपाधि प्रदान की गयी और दक्कन का गवर्नर बना दिया गया। 1722 ई.में उसे मुग़ल साम्राज्य का वजीर नियुक्त किया गया लेकिन उसके तुरंत बाद वह दक्कन लौट गया और उस क्षेत्र पर अपनी पकड़ को मजबूत किया। उसके उत्तराधिकारी हैदराबाद के निज़ाम कहलाये। हैदराबाद के निजामों द्वारा लगभग दो सदी तक हैदराबाद पर शासन किया गया और हैदराबाद का सांस्कृतिक एवं आर्थिक दृष्टि से विकास किया।
हैदराबाद के शासकों का विवरण निम्नलिखित है –
निज़ाम-उल-मुल्क : वह हैदराबाद राज्य का संस्थापक था जिसने 1738 ई.में पेशवा के साथ भोपाल की संधि की और 1739 ई.में करनाल के युद्ध में मध्यस्थ की भूमिका निभाई।
नासिर जंग : इसकी हत्या पठान हिम्मत खां द्वारा जिन्जी के निकट कर दी गयी थी।
मुज़फ्फर जंग : वह फ्रासीसियों की मदद से सिंहासन पर बैठा लेकिन जल्द ही उसकी दुर्घटनावश मृत्यु हो गयी।
सलाबत जंग : यह भी फ्रांसीसियो की मदद से शासक बना।
हैदराबाद के निज़ाम कला,संस्कृति और साहित्य के बहुत बड़े अनुयायी थे। उन्होंने हैदराबाद में सलारजंग संग्रहालय और चौमहला महल का निर्माण कराया।
निष्कर्ष - हैदराबाद राज्य का इतिहास राजवंशों के उदय और पतन से भरा हुआ है लेकिन उसके वास्तविक संस्थापक निजाम-उल-मुल्क थे जिन्होंने न केवल राज्य की सीमाओं का निर्धारण किया बल्कि उसे सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से समृद्ध भी बनाया।
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